देखभाल करने वाले, मदद के लिए हाँ कहें

जिम्मेदारियों के बोझ को कम करने के लिए परिवार और दोस्तों से मदद स्वीकारें

देखभाल करना एक लंबी और कठिन यात्रा है जो व्यक्ति को शारीरिक एवं भावनात्मक रूप से अपछयित करता है। प्रचलित कलंक और भेदभाव के कारण हर बार मदद मांगना आसान नहीं होता, विशेष रूप से तब जब आप मानसिक रोग से पीड़ित किसीकी देखभाल कर रहे हों। परंतु विशेषज्ञों का सुझाव है कि देखभाल करने वाले को किसी से मिली मदद को स्वीकार करना चाहिए। 

भारत में देखभाल करने के बोझ का सबसे अधिक सामना करते हैं। खर्चों में वृद्धि,  खाली समय की अनुपलब्धता, और बदले सामाजिक रिश्ते,  बोझ का एक प्रकार हैं, भावनात्मक कठिनाइयां देखभाल करने वाले के सामने एक अलग बात है। डॉ. आरती जगन्नाथन, सहायक प्राध्यापक, मनोरोग सामाजिक कार्य विभाग, निम्हांस कहती हैं “देखभाल करने वाले परिवार के रहते हुए भी, आमतौर पर एक ही व्यक्ति होता है जो रोग से पीड़ित व्यक्ति की देखभाल करता है।” 

स्किज़ोफ्रेनिया या अल्जाईमर्स जैसी संजीदा/और क्रमिक मानसिक रोगों से पीड़ित व्यक्ति के के देखभाल कठिन होता है. क्योंकि ध्यान देने लायक अनेक कार्य हैं, जैसे कि नहाना, समयोचित चिकित्सा प्रदान करना, व्यक्ति के स्वास्थ्य का पर्यवेक्षण करना, और उन्हे स्वास्थ्य की जाँच करवाना। इस तरह की लंबी अवधि की देखभाल तनावपूर्ण हो सकती है, जिसके लिए देखभाल करने वाले को अन्य लोगों से सहारे की ज़रूरत है ।

प्रतिकार की स्थिति

जब कोई उन्हे मदद करना चाहता हैं, तो देखभाल करें वाले ये सोचते हैं कि: “आप मेरी मदद क्यों करना चाहते हैं ? क्या आपको बदले में कुछ चाहिए?” जब एक दोस्त या रिश्तेदार मदद करना चाहता है, तो देखभाल करने वाले को यह चिंता होती है कि इस एहसान को वह कैसे वापस करे। यह स्थिति भी देखभाल करने वाले को दोषी स्थिति में छोड़ सकती है। कुछ ऐसे दोस्त और रिश्तेदार होंगे जो देखभाल करने वाले से एहसान की उम्मीद रखते हों परंतु ऐसे भी लोग होंगे जो सिर्फ़ मदद करना चाहते हैं। मसलन,  किराने के सामान की खरीदारी, या घर को संभालने के कार्यों में मदद कर सकता है ।

साझा करने से डरना

मानसिक रोग से पीड़ित व्यक्ति की देखभाल करना मुश्किल इस लिए है क्योंकि मानसिक रोग से जुड़े भेदभाव और कलंक के कारण देखभाल करनेवाले और उनके परिवार समाज से डोर रहते हैं। इसके साथ, परिवार के सदस्य और दोस्त बोझ को इन तरीकों में बढ़ा सकते हैं :

  • उनकी निंदा करके
  • उनके बारे में समालोचनात्मक होकर
  • उन्हे अलग रखकर

अलग होने के बदले, देखभाल करने वाले को यह सुनिश्चित करना होगा कि वह अपने परिवार, दोस्त और रिश्तेदारों को व्यक्ति की बीमारी के बारे में बताएं। जब वे बीमारी के बारे में समझ जाएँगे, देखभाल करने वाले के लिए उनसे सहायता लेना आसान होगा। डॉ. जगन्नाथ कहते हैं - “समाज जब मरीज़ और उसके देखभाल करने वाले को समुदाय में स्वीकारा जाए, देखभाल करने वाले को अपनी भावानाओं के बोझ को हल्का करने में मदद करता है ।

मदद को स्वीकार करना आपको अपने जीवन को संतुलित रखेगा और आप व्यक्ति की देखभाल अधिक कुशलता से कर पाएंगे ।

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