नींद अश्वसन, नींद में सांस रुकना (स्लीप ऐप्नीया)

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नींद अश्वसन (स्लीप ऐप्नीया) क्या होता है?

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ये एक तरह का निद्रा विकार है जिसमें नींद के दौरान व्यक्ति की सांसे कई बार रुक जाती हैं और फिर शुरू हो जाती हैं. और ये सिलसिला नींद में चलता रहता है. नींद अश्वसन दो तरह के होते हैं.

अवरोधक नींद अश्वसन, अब्स्ट्रक्टिव स्लीप ऐप्नीया (ओएसए): इस दशा में श्वास नली (ट्रेकिया) में अवरोध आ जाता है और व्यक्ति खर्राटे लेना शुरू कर देता है. ये इस विकार का सबसे आमफ़हम रूप है.

केंद्रीय नींद अश्वसन, सेंट्रल स्लीप ऐप्नीया (सीएसए): इस दशा में सांस रुक जाती है क्योंकि मस्तिष्क, सांस की आवाजाही पर नियंत्रण रखने वाली मांस-पेशियों तक उचित संकेत नहीं भेजता है.

ओएसए से पीड़ित कई लोग अपनी समस्या के बारे में नहीं जानते हैं, उन्हें उसके बारे में पता नहीं चल पाता है क्योंकि वे यूँ तो नींद में खर्राटे लेते हैं लेकिन जैसे ही करवट बदलते हैं तो उनकी सांस पहले की तरह सामान्य रूप से चलने लगती है. जबकि सीएसए के मरीज़ गले में कुछ अटकन महसूस करते हुए या हाँफते हुए जाग जाते हैं और वे उस समये पूरे होश में रहते हैं.

ये जानना महत्त्वपूर्ण है कि खर्राटे लेने वाला हर व्यक्ति नींद अश्वसन से पीड़ित नहीं होता है और ये भी ज़रूरी नहीं है कि नींद अश्वस्न से पीड़ित लोग हमेशा खर्राटे लेते ही हों. ये यूँ तो संभावित रूप से एक गंभीर समस्या है लेकिन इसका इलाज उपलब्ध है.

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नींद अश्वसन के लक्षण क्या हैं?

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नींद अश्वसन से पीड़ित किसी व्यक्ति के लिए अपनी समस्या का पता खुद ही लगा पाना कठिन हो सकता है क्योंकि कई सारे लक्षण नींद के दौरान ही होते हैं. फिर भी कुछ चिन्ह ऐसे हैं जिन्हें देखकर बीमारी का पता लगाया जा सकता हैः

• दिन में सोनाः रात को अच्छी नींद लेने के बावजूद अगर आप दिन में भी लंबे समय तक अत्यधिक नींद महसूस करते हैं तो हो सकता है कि आपको नींद में सांस लेने में तक़लीफ़ आती हो जिसका आपको अंदाज़ा नहीं लग पाता है.

• नींद में हाँफना और गला फँसना: सांस में रुकावट के चलते रात में आपकी नींद टूट जाती हो. या लोग आपको बताएँ कि आप हाँफते हुए और गले में फँसाव की आवाज़ के साथ उठ पड़े थे.

• सुबह उठकर सिर में दर्द, मुँह सूखाः आपको रोज़ सुबह उठने पर सिरदर्द हो जाता हो, मुँह में सूखापन लगता हो और गले में खराश हो. ये इस बात का संकेत है कि सोते समय आपकी सांस बाधित हुई है.

• ज़ोर ज़ोर से खर्राटे लेनाः आपको ये बताया गया हो कि आप नियमित रूप से ज़ोर ज़ोर से खर्राटे लेते हैं.

• चिड़चिड़ापन आ जाना और मूड में उतार चढ़ावः आप उल्लेखनीय रूप से चिड़चिड़े हो रहे हो सकते हैं, आपका मूड भी बदलता रह सकता है- ऐसा अवरुद्ध नींद की वजह से भी हो सकता है.

अगर आपने किसी को नियमित रूप से खर्राटे लेते हुए देखासुना है या हाँफते हुए या फँसे हुए गले की आवाज़ सुनी है, तो आपको उनसे नींद अश्वसन के बारे में बात करनी चाहिए और उन्हें पेशेवर मदद लेने की सलाह देनी चाहिए.

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नींद अश्वसन की क्या वजहें होती हैं?

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नींद अश्वसन का सबसे आमफ़हम रूप है अवरोधी नींद अश्वसन, ओएसए. ओएसए तब होता है जब ऊपरी श्वास तंत्र की पेशियाँ शिथिल हो जाती हैं और जीभ पीछे उलट जाती है जिससे आपकी हवा खींचने की मात्रा सीमित हो जाती है. कई मामलों में, ऐसी दशा में व्यक्ति खर्राटे लेने लगता है क्योंकि आपके कंठ के पीछे का टिश्यू यानि ऊतक अत्यधिक बल की वजह से वाइब्रेट यानि कंपन करने लगता है. व्यक्ति इस वजह से हाँफने भी लगता है या उसका गला भी फँस सकता है जिसकी वजह से उनकी नींद टूट जाती है और वे उठकर बैठ जाते हैं. ओएसए उन लोगों को हो सकता है जिनकी गर्दन पर बहुत अधिक चर्बी होती है जो हवा के रास्ते पर दबाव डालती है. धूम्रपान करने वालों को भी ओएसए हो सकता है.

ओएसए की अन्य वजहें हैं उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड-प्रेशर), ज़्यादा वजन और बुढ़ापा

केंद्रीय नींद अश्वसन यानि सेंट्रल स्लीप ऐप्नीया (सीएसए), ओएसए जितना आमफ़हम नहीं है. सीएसए बुढ़ापे में हो सकता है, हालांकि सीएसए की प्रमुख वजहें कई गंभीर बीमारियाँ हैं जैसे हृदयगति का रुक जाना, हृदयाघात यानि दिल का दौरा, और तंत्रिका तंत्र से जुड़ी कुछ बीमारियाँ. सीएसए से पीड़ित लोग अपनी नींद की गड़बड़ियों के बारे में जागरूक रहते हैं, यानि उन्हें पता होता है कि नींद में उनके साथ क्या गड़बड़ हो रही है क्योंकि सांस रुकते ही वे जग उठते हैं.

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नींद अश्वसन का इलाज

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नींद अश्वसन के हल्केफुल्के मामलों में, डॉक्टर आपको जीवन शैली में बदलाव की सलाह दे सकता है. जैसे वजन कम करें, धूम्रपान न करें, शराब आदि का सेवन न करें. ऐसे लोगों के लिए जिन्हें ये समस्या पीठ के बल सोने के दौरान आती है, उनके लिए डॉक्टर कुछ ऐसी थेरेपी बता सकता है जैसे सोने के दौरान किस अवस्था या किस करवट सोना है. उन्हें ऐसे साधन दिए जाते हैं जिससे उनका एक साइड होकर सोना सुनिश्चित किया जा सके.

नींद अश्वसन के ज़्यादा गंभीर मामलों के लिए जो इलाज उपलब्ध हैं, उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:

• निर्बाध वायुमार्ग दबाव (CPAP): इस इलाज के तहत व्यक्ति को एक मास्क दिया जाता है जो व्यक्ति के शरीर में जाने वाली हवा के रास्तों यानि वायुमार्गों को सहजतापूर्वक खुला रखने के लिए निरंतर हवा का प्रवाह इस्तेमाल करता है. इससे व्यक्ति रात भर सुविधाजनक ढंग से सांस ले पाता है. हालांकि इस मास्क को पहनने की आदत डालने में कुछ वक़्त लग सकता है.

• ओरल या मौखिक (मुखीय) उपकरण: कुछ मामलों में मरीज़ को एक ओरल उपकरण भी दिया जा सकता है जो डेंटल रिटेनर की तरह का होता है. इस उपकरण का कार्य ये है कि ये आपकी जीभ को सही जगह टिकाए रखता है और आपके जबड़े को आगे की ओर भी रखे रहता है.

• सर्जरी: कंठ के पीछे की ओर स्थित टिश्यू या ऊतक को भी सर्जरी की मदद से निकाला जा सकता है या कम किया जा सकता है. इससे नींद के दौरान हवा का रास्ता बाधित नहीं होता है. कुछ मामलों में, जबड़े को भी, कुछ ऐसे व्यवस्थित किया जाता है कि सांस लेने में सहजता या आसानी के लिए जीभ के पीछे पर्याप्त जगह बनी रहे.

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नींद अश्वसन से पीड़ित व्यक्ति की देखरेख

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नींद अश्वसन से पीड़ित व्यक्ति आमतौर पर इस बात से अंजान रहते हैं कि उन्हें नींद के समय सांस लेने में तक़लीफ़ होती है. परिवार के ही लोग आमतौर पर ये नोट कर पाते हैं. वे खर्राहट सुनकर या रात के समय कोई और असहज हरकत देखकर (हाँफ कर उठना, गला फँस जाना आदि) उस व्यक्ति को इस बारे में सूचित करते हैं. दिन के समय ये नोट करने वाले सहकर्मी होते हैं जो देखते हैं कि व्यक्ति बारबार नींद के लिए बेचैन हो रहा है या काम के दौरान सो जाता है. देखरेख करने वाले के रूप में आपको उक्त व्यक्ति से पेशेवर सलाह लेने के बारे में बात करनी चाहिए. उसे समझाना चाहिए कि वो इस बारे में डॉक्टर से ज़रूर मिले. ऐसा व्यक्ति चिड़चिड़ा भी हो सकता है और उसके मूड में उतार चढ़ाव देखा जा सकता है लिहाज़ा ये जरूरी है कि आप उसकी देखरेख के दौरन धैर्य बनाए रखें और ये सुनिश्चित करें कि वो अपने इलाज की प्रक्रिया का पूरी तरह से पालन करे.

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नींद अश्वसन से निपटने के लिए

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नींद में सांस का रुकना संभावित रूप से एक गंभीर समस्या है और लंबे समय के लिए आपकी उत्पादकता पर असर डाल सकती है. आप इससे कुछ हद तक निपटने के लिए अपनी जीवन शैली में कुछ परिवर्तन कर सकते हैं जिससे तनाव को कम करने में मदद मिल सकती है. नियमित रूप से व्यायाम का एक रूटीन बनाएँ और उसका पालन करें, अगर वजन ज़्यादा है तो उसे कम करें, उसे कम करने के लिए जीवनशैली और खानपान में जो परिवर्तन करने पड़ें उन्हें ज़रूर करें, इससे भी ओएसए की तक़लीफ़ कम की जा सकती है. धूम्रपान न करने और शराब न पीने की सलाह भी दी जाती है. करवट लेकर यानि एक साइड सोने की कोशिश करनी चाहिए, इससे आपकी जीभ पीछे की ओर नहीं मुड़ेगी और आपकी सांस की आवाजाही को बाधित नहीं करेगी. ये सब बदलाव सहायक हैं और अप्रधान हैं और ये बात बहुत महत्त्वपूर्ण है कि इस बारे में आप सबसे पहले अपने डॉक्टर से ही संपर्क करें और उनसे परामर्श लें.

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