देखभाल करना

स्वास्थ्य बीमा: देखभाल करने वालों पर वित्तीय बोझ कम करना

अदिति सुरेंद्र

मानसिक विकार वाले किसी व्यक्ति की देखभाल करना शारीरिक और भावनात्मक रूप से थकाने वाला तो होता है। साथ ही उसमें काफ़ी खर्च भी होता है। देखभाल करने के लिए ज़रूरी है कि यह मालूम रहे है कि भारत में किस तरह की आर्थिक सहायता उपलब्ध है।

स्वास्थ्य बीमा क्या है?

स्वास्थ्य बीमा एक तरह का बीमा उत्पाद है जो बीमित व्यक्ति के इलाज के खर्च को वहन करता है। यह दो प्रारूपों में उपलब्ध होता है:

  • बीमारी या चोट लगने के चलते चिकित्सा पर खर्च किए गए पैसों के भुगतान के रूप में

  • कैशलेस पेमेंट के तौर पर यानी इलाज का पैसा सीधे अस्पताल या क्लीनिक के खाते में जमा करने के रूप में

इस सुविधा को हासिल करने के लिए बीमित को सालाना एक रकम जमा करना होता है जिसे प्रीमियम कहते हैं। स्वास्थ्य बीमा आम तौर पर भविष्य की आपातकालीन स्वास्थ्य संबंधी ज़रूरतों के लिए लिया जाता है जिसकी ज़रूरत नहीं भी पड़ सकती है।

स्वास्थ्य बीमा की ज़रूरत क्या है?

हर साल चिकित्सा का खर्च बढ़ता जा रहा है। अगर किसी शख़्स ने आपातकाल के पैसे जमा नहीं किए हों तो ज़रूरत पड़ने पर पैसों का इंतज़ाम करना बेहद चुनौतीपूर्ण हो सकता है। स्वास्थ्य बीमा होने से भविष्य या बुढ़ापे में ही सही, किसी भी चिकित्सीय आपातकाल में मदद मिलती है।

स्वास्थ्य बीमा क्या कुछ कवर करता है?

प्रत्येक स्वास्थ्य बीमा के अलग अलग नियम और शर्तें होती हैं। आम तौर पर प्रीमियम के तहत अस्पताल में दाख़िल करने का खर्च, सर्जरी और भविष्य में आने वाले किसी भी गंभीर चिकित्सीय समस्या कवर होती है।

स्वास्थ्य बीमा में क्या कुछ कवर नहीं होता है?

प्रत्येक स्वास्थ्य बीमा स्कीम में नियम और शर्तों के मुताबिक कवर की जा रही बीमारियों और सर्जरी की सूची दी गई होती है। कुछ ऐसे भी खर्च होते हैं जो स्वास्थ्य बीमा के तहत कवर नहीं होते हैं। उदाहरण के लिए:

  • प्लास्टिक सर्जरी और किसी भी शख़्स के नजर आने वाले बाहरी त्वचा को बेहतर बनाने के लिए त्वचा संबंधी इलाज

  • अस्पताल में मरीजों और परिवार के सदस्यों के लिए महंगे भोजन और ठहरने की सुविधा

  • सुई, सिरींज इत्यादि पर होने वाले विभिन्न प्रकार के खर्च

स्वास्थ्य बीमा का प्रीमियम कितना होता है?

पॉलिसी किस तरह की है, लाइफ कवर (मृत्यु पर मिलने वाली रकम कितने की है), बीमा कराने वाले शख़्स की उम्र और चिकित्सीय स्थिति के आधार पर प्रीमियम तय होता है। पॉलिसी की समयावधि तक प्रीमियम जमा करना होता है। स्वास्थ्य बीमा योजना की नियम और शर्तों के आधार पर इसे हर साल या दो साल में एक बार रिन्यू कराया जाता है।

अगर किसी को प्रीमियम का भुगतान करना याद ना रहे तो क्या होगा?

अगर कोई बीमित शख़्स अपनी बीमा का प्रीमियम जमा करना भूल जाता है और बीमा पॉलिसी ख़त्म हो जाती है तो उसे पिछले भुगतान किए गए प्रीमियम वापस नहीं मिलेंगे।

बीमा की रकम का इस्तेमाल साल भर के अंदर कर लेना चाहिए?

बीमा के लिए प्रीमियम के भुगतान मतलब यह नहीं है कि आप हर साल बीमा कवर का इस्तेमाल करें, या उसके प्रत्येक रूपये को खर्च कर लें। बीमा पॉलिसी इसी तरह से बनायी जाती हैं ताकि भविष्य में किसी चिकित्सीय जरूरत पर आप उसका इस्तेमाल कर सकें।

स्वास्थ्य बीमा लेने की प्रक्रिया क्या है?

कोई भी स्वास्थ्य बीमा योजना लेने से पहले उपलब्ध योजनाओं की छानबीन करनी चाहिए। इसके बाद अपने लिए सबसे उपयुक्त योजना लेनी चाहिए। इस दौरान दूसरे कारक भी अहम होते हैं, जिसमें पहले की चिकित्सीय स्थिति, बीमा कराने वाले शख़्स की सालाना आमदनी, पात्रता की शर्तें और प्रीमियम की रकम शामिल हैं।

जब आप अपना विकल्प चुन लें तब बीमा मुहैया करा रही संस्था में पंजीयन करा लें। यह काफी कुछ उनकी प्रक्रिया पर निर्भर होगा- आप उनकी वेबसाइट पर जाकर आनलाइन भी पंजीयन कर सकते हैं या फिर उनकी नजदीकी शाखा में जाकर यह काम कर सकते हैं।

क्या मानसिक रोग वाले लोगों के लिए भी स्वास्थ्य बीमा योजनाएं हैं?

मई, 2018 से मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 प्रभावी हुआ है। इसके तहत प्रावधान है कि हर स्वास्थ्य बीमा योजना मानसिक रोग के इलाज को भी कवर करे। विश्व स्वास्थ्य संगठन की आईसीडी (इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन ऑफ़ डिजीज) के तहत भी मानसिक विकार बीमा कवर में शामिल है।