कई बार ऐसी विकट परिस्थितियां आ जाती हैं जो हमें अपने प्रियजन की देखरेख करने के लिए झोंक देती हैं. ये ज़िम्मेदारी हम पर कभी अगर अचानक आ पड़े तो हमें कम से कम इस कार्य को निभाने के लिए तैयार रहना चाहिए. मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी किसी समस्या से जूझ रहे व्यक्ति की देखरेख करने के लिए अत्यधिक शारीरिक और मानसिक सामर्थ्य की ज़रूरत है. ये एक श्रमसाध्य काम है.
अगर समस्या गंभीर है, तो मरीज की देखरेख में पूरी तरह ख़ुद को झोंक देना पड़ता है. देखरेख के काम में अगर आप पूरी तरह जुड़े हुए हैं, फिर भी समय समय पर आपको रुककर ये देख लेने की ज़रूरत है कहीं आपसे कोई चीज़ छूट तो नहीं रही है.
यहां देखभाल करने वालों के लिए पेशेवरों के दिए कुछ सुझाव हैं-
अपनी सीमाओं को पहचानें
हम सबकी अपनी सीमाएं हैं- शारीरिक और भावनात्मक- और हमें इन सीमाओं का पता होना चाहिए. अपनी सीमा से बाहर जाकर काम करना हमे निढ़ाल कर सकता है. केयरगिवर यानी देखरेख करने वाले के तौर पर हमारे लिए ये ज़रूरी है कि हम अपनी सीमाओं को पहचानें और उन्हें स्वीकार करें.
अपने काम में आनंद महसूस करें
कहने में ये बात आसान लगती है. शायद ये आपके काम का सबसे महत्त्वपूर्ण पहलू है. विशेषज्ञों का कहना है कि देखरेख की प्रक्रिया का तनाव तभी कम किया जा सकता है जब आप इसका आनंद उठाएं. ज़ाहिर है देखरेख के काम में कई चुनौतियां आती हैं. सालों तक हर रोज़ एक ही तरह काम करते रहने से आनंद की गुंजायश कम ही मिलेगी. यही चुनौती है कि उस काम में आप आनंद खोज लें. कई तरीक़ों से आप कैसा कर सकते हैं. उन्हीं चीज़ों को नए नए ढंग से करने के तरीकें खोजे जा सकते हैं या अपने खाली समय में अपने लिए आप कुछ कर सकते हैं. ये कुछ संभावनाएं हैं जो आपको एक ही तरह काम करते रहने की ऊब से निकाल सकती है.
सूचना से अवगत रहें
ख़ुद को सूचित रखकर आप अपना आत्मविश्वास बनाए रख सकते हैं. ये आत्मविश्वास उन तमाम चुनौतियों से निपटने में आपके काम आएगा जो देखरेख करने वाले व्यक्ति के तौर पर आपके सामने आ सकती हैं. ये सुनिश्चित करिए कि अपने प्रियजन के स्वास्थ्य संबंधी मामलों के बारे में आपके पास सही और उपयुक्त जानकारी रहे.
विशेषज्ञों से मिलकर आप देखरेख के काम और अपने रोज़मर्रा के काम में संतुलन रखने के बारे में पूछ सकते हैं. नए कौशल सीखने के अवसरों की तलाश करते रहिए. ख़ुद को सबसे ताज़ातरीन, सबसे नये ज्ञान और सूचना से अवगत रखिए. ख़ुद को ऐसी कामना से भरे रखिए जैसे आप बहुत ख़ुश, संतुष्ट और सफल हैं.
मदद मांगने से न हिचकें
कभीकभार आपको लग सकता है कि देखरेख तो सिर्फ आपकी ज़िम्मेदारी है और इसके लिए दूसरों को कहां तक़लीफ़ दी जाए. विशेषकर, मानसिक स्वास्थय से जुड़ी समस्या वाले व्यक्ति की तीमारदारी के मामले में देखा जाता है कि जब समाज से अलग रखा जाता है, ये ऐसे अनुमानों को और दृढ़ करता है कि आप अकेले को ही संभालना है. हालाँकि काईं बार, देखबाल करने वालों को अनपेक्षित लोगों की तरफ से मदद आश्चर्यचकित कर देता है.
आपको दूसरों से मदद मांगने में हो सकता है. लेकिन कई बार, आप चकित रह जाते हैं कि अनपेक्षित कोनों से समर्थन और सहायता मिल जाती है. ऐसी सहायता आपको तभी मिल सकती है जब आप उस तक पहुंचने की कोशिश करें और मदद मांगने में किसी तरह का संकोच न करें.
अपने काम और कोशिशों को साझा करें
तीमारदारी यानी देखरेख के कई पहलू हैं. देखरेख किस तरह की होगी और कब तक जारी रह सकती है, ये बहुत सारे कारणों पर निर्भर करता है. देखरेख का काम सुचारू और प्रभावी तरीक़े से किया जा सके, इसके लिए ये ध्यान रखना चाहिए कि किसी एक व्यक्ति पर इसका बोझ न पड़े. उसे ही सारे पहलुओं का प्रबंधन न करता रहना पड़े. जहां तक संभव हो इस काम में सामूहिक भागीदारी होनी चाहिए. इसलिए अपनी कोशिशों को आप अपने परिवार और दोस्तों के साथ बांट सकते हैं.
ज़िम्मेदारी आपस में बांट लेने से लाभ ये होता है कि जो मुख्य देखरेखकर्ता है उस पर दबाव कम हो जाता है. ज़्यादा महत्त्वपूर्ण बात ये है कि व्यक्ति की बेहतर देखभाल हो जाती है. चाहे काम कितना छोटा क्यों न हो, आपस में बांट लेने से देखरेख करने वाले और उसके व्यक्ति के मन में ये भावना बन जाती है कि दुनिया उनके साथ है.
अपना भी ख़्याल रखें
देखरेखकर्ताओं की ज़िंदगी बहुत तनावपूर्ण होती है- भावनात्मक और शारीरिक रूप से. देखरेख करने वालों के तौर पर हम अपनी ज़िंदगी और प्राथमिकताओं से बहुत सारे और बड़े समझौते करते हैं और अपने प्रियजनों को निस्वार्थ सेवा मुहैया कराते हैं. हमारे चारों ओर जो अपेक्षाकृत, असहयोगी सामाजिक माहौल रहता है, वो हमारी चुनौतियों को दुगना कर देता है. बाज़ दफ़ा हम भूल जाते हैं कि हमें अपना ध्यान रखना भी उतना ही ज़रूरी है.
व्यक्ति की देखरेख के व्यस्त शेड्यूल के बीच हमें ब्रेक भी लेते रहना चाहिए. इससे हमारे शरीर और मनोस्थिति पर बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा. अपना स्वास्थ्य परीक्षण भी कराते रहना चाहिए और, शरीर और दिमाग को आराम पहुंचाने वाले उपाय करते रहने चाहिए. आख़िरकार एक स्वस्थ देखरेखकर्ता ही अपने प्रियजन की बेहतर सेवा कर सकता है.
अपने अनुभव बांटे
देखरेख करते समय हमारे सामने कई क़िस्से, विचार, मत और अनुभव आते हैं जिनके बारे में हम बताना चाहते हैं. अपने विचार शेयर करने ही चाहिए. इससे उनसे जुड़ा या कोई और तनाव कम ही होता है. उन्हें ज़ाहिर करना भी एक तरह की थेरेपी है. इससे उन लोगों, समूहों और दूसरे मंचों की तलाश में भी मदद मिलती है जिनके बीच आप ख़ुद को अभिव्यक्त कर सकते हैं. यानी अपने अनुभव बांट सकते हैं जिससे देखरेख से जुड़ा आपका तनाव और दबाव कम ही होगा.
आगे बढ़कर ऐसे अवसरों की तलाश करते रहना चाहिए और लोगों से जुड़ना चाहिए. वे आपको नए दोस्तों और नए संपर्कों से जोड़ने में मददगार हो सकते हैं, जो आपके अनुभव से जुड़ेगें, आपके विचारों की सराहना करेंगे और आपको भावनात्मक समर्थन देंगे.