दुश्चिंता या चिंता रोग क्या होता है?
क्या आपने कभी सोचा है कि आप अपने इम्तहानों से पहले काँप क्यों रहे थे या किसी नौकरी के लिए साक्षात्कार से पहले आपकी हथेलियों में पसीना क्यों आता था? फ़िक्र या व्यग्रता या चिंता की ये भावनाएँ, किसी महत्त्वपूर्ण घटनाक्रम के लिए ख़ुद को तैयार करने का, शरीर का एक कुदरती तरीक़ा है. आपने ये भी ग़ौर किया होगा कि एक बार घटनाक्रम शुरू हो जाए तो आप कैसे शांत होने लगते हैं, आपकी सांसें सहज हो जाती हैं और आपका हृदय उछलना बंद कर देता है. ऐसी चिंताएँ वास्तव में हमें बेहतर प्रदर्शन करने में मदद ही करती हैं क्योंकि वे हमें और सजग कर देती हैं.
लेकिन कुछ लोगों को ये चिंता या घबराहट बिना किसी स्पष्ट वजह के होने लगती है. अगर आप अपनी चिंताओं पर क़ाबू पाने में कठिनाई महसूस करते हैं और चिंता की लगातार भावना आपके रोज़मर्रा के कार्यों को करने में आपकी सक्षमता में बाधा पहुँचाने लगती हैं तो ऐसी स्थिति दुश्चिंता या चिंता रोग कही जा सकती है.
सामान्या चिंता और दुश्चिन्ता में अंतर क्या है?
इस जाँच सूची के ज़रिए आप ये पता कर सकते हैं कि आपकी चिंता सामान्य है या उसने विकार का रूप ले लिया हैः
नियमित चिंता | दुश्चिंता या चिंता रोग |
बिलों के भुगतान, नौकरी के लिए साक्षात्कार, टेस्ट, परीक्षा या अन्य महत्त्वपूर्ण घटनाएँ. | बिना किसी स्पष्ट वजहों के लगातार और बहुत ज़्यादा चिंतामग्न रहना, इसका असर रोज़मर्रा की गतिविधियों पर पड़ने लगे. |
सार्वजनिक प्रस्तुति या प्रदर्शन या किसी बड़ी मुलाक़ात या बैठक से पहले पेट में हलचल महसूस होना. | किसी सामाजिक या प्रदर्शन संबंधित परिस्थितियों का डर जिसमें आप अन्य लोगों के समक्ष ज़ाहिर हो सकते हैं. आपको डर लगता है कि आप ऐसा व्यवहार करने लगें जो अपमानजनक और शर्मिंदगी वाला होगा. |
किसी ख़तरनाक वस्तु, जगह या परिस्थिति का डर, मिसाल के लिए सड़क पर आप पर भौंकता एक आवारा कुत्ता. | किसी वस्तु या जगह का तर्कहीन डर जैसे लिफ्ट में दाखिल होते होते ये मान बैठना कि बाहर निकलना संभव नहीं हो पाएगा. |
किसी सदमे से पैदा दुख या चिंता जैसे अपने किसी निकटस्थ का निधन. | पुरानी बातें रहरहकर याद आते रहना, फ़्लैशबैक, सपने और अतीत की किसी अत्यधिक सदमे वाली घटना के बाद चिंता का बने रहना. |
अपनी और अपने आसपास साफ़सफ़ाई बनाए रखने को लेकर. | अत्यधिक और बार बार सफ़ाई करते रहना, अपने आसपास रखी चीज़ों को बार बार व्यवस्थित करते रहना. |
बड़े मैच से पहले पसीना आ जाना. | बिना किसी वजह के घबराहट के लगातार दौरे और साथ में नर्वस करने वाली भावनाएँ जैसे “मैं मरने वाला हूँ” और इस बात का लगातार डर कि फिर से दौरा पड़ेगा. |
दुश्चिंता या चिंता रोग के लक्षण क्या हैं?
हर किसी को चिंता या घबराहट होती है, इसलिए ये कहना कठिन है कि उसे विकार के तौर पर कब पहचाना जा सकता है. अगर आपकी चिंता से आपकी कार्यक्षमता पर एक समयावधि के दौरान बुरा असर पड़ता है तो आपको किसी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए. दुश्चिंता या चिंता रोग कई तरह के होते हैं लेकिन उनके सामान्य लक्षण इस तरह से हैं-
• हृदयगति में बढ़ोतरी, सांस फूलना
• स्नायुओं में तनाव बढ़ जाना
• छाती में खिंचाव महसूस होना
• निराधार और अतार्किक चिंताओं में बढ़ोतरी और बेचैनी या व्यग्रता
• अनावश्यक वस्तुओं के प्रति रुझान बढ़ना जिससे व्यवहार में ज़िद्दीपन आ जाता है.
अगर आपको अपने किसी दोस्त या परिवार के सदस्य में ये चिन्ह नज़र आए हैं, तो आपको उनकी संभावित दशा के बारे में उनसे बात करनी चाहिए और उन्हें किसी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से मिलने की सलाह भी देनी चाहिए.
दुश्चिंता या चिंता रोग का कारण क्या है?
परिवार का इतिहासः जिन व्यक्तियों के परिवार में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं की हिस्ट्री होती है, उन्हें अक़्सर चिंता का विकार हो सकता है. मिसाल के लिए ओसीडी नाम का विकार, एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जा सकता है.
दुश्चिंता या चिंता रोग के प्रकार
दुश्चिंता या घबराहट लोगों में अलग अलग ढंग से असर डालती है जिससे कई किस्म के विकार उत्पन्न होते हैं. इनमें सबसे आमफ़हम विकार इस तरह से हैं:
दुश्चिंता या चिंता रोग का इलाज
इन विकारों से निजात पाई जा सकती है लेकिन इस समस्या की गंभीरता को कम करके नहीं आंकना चाहिए. अगर उपरोक्त में से किसी एक लक्षण से आप पीड़ित हैं, तो सबसे अच्छा यही है कि सलाह और इलाज के लिए आप पेशेवर की मदद लें. दुश्चिंता या चिंता रोग का इलाज दवाओं, काउंसलिंग या दोनों के मिलेजुले इस्तेमाल से किया जा सकता है.
दुश्चिंता या चिंता रोग से पीड़ित व्यक्ति की देखभाल
अगर आपका कोई दोस्त या परिजन दुश्चिंता या चिंता रोग से पीड़ित है तो इस तक़लीफ़ से निजात दिलाने में आप उनकी बड़ी मदद कर सकते हैं. किसी भी दूसरी बीमारी की तरह, पहली चीज़ आप ये करें कि पीड़ित व्यक्ति की समस्या के बारे में जानें ताकि आप उनकी दशा से सहानुभूति रख सकें. दुश्चिंता के विकारों से पीड़ित व्यक्ति के साथ बहुत अधिक धीरज की ज़रूरत होती है. उसके साथ साथ ऐसे व्यक्ति को उन डरों या तनाव पैदा करने वाले कारकों का सामना करने के प्रति प्रोत्साहित किए जाने की भी ज़रूरत है. इससे वे इन डरों से छुटकारा पा सकेंगे. ये अनिवार्य है कि आप इसके लिए सही संतुलन की तलाश करें.
दुश्चिंता या चिंता रोग से निबाह
कई ऐसे गुण या योग्यताएँ हैं जो आप अपनी व्यग्रता से निपटने के लिए सीख सकते हैं. सकारात्मक विचार, तनाव का प्रबंधन करना, स्वस्थ जीवनशैली अपनाना और आराम करना- ये सब सामान्य विधियाँ हैं जिन्हें लोग इस्तेमाल करते हैं. अपने स्तर पर घबराहट और व्यग्रता को दुरुस्त करने की कोशिश चुनौतीपूर्ण हो सकती है, ख़ासकर अगर आप बहुत ज़्यादा असुविधा और असहजता महसूस कर रहे हों. ऐसे मौक़ों पर ये हमेशा अच्छा और उचित रहता है कि आप पेशेवर सलाह लें.