खानपान की गड़बड़ी या ईटिंग डिसऑर्डर किसे कहते हैं?
ईटिंग डिसऑर्डर के लक्षण क्या हैं?
ईटिंग डिसऑर्डर का कारण क्या है?
ईटिंग डिसऑर्डर कितनी तरह के होते हैं?
एनोरेक्सिया नरवोसाः एनोरेक्सिया से पीड़ित लोग खुद को लगातार भूखा रखते हैं और उन्हें वजन बढ़ने का बहुत डर सताता रहता है. वे मानने लगते हैं कि उनका वजन ज़्यादा है, यानि वे ओवरवेट हैं जबकि हो सकता है वे अंडरवेट हों यानि उनका वजन बहुत कम हो. उनका आत्मसम्मान अपने शरीर की छवि से जुड़ा होता है और शरीर को लेकर उनके ज़ेहन में ग़लत और बिगड़ी हुई तस्वीर होती है और इससे उनमें हीन भावना आ जाती है और आत्म सम्मान भी कम होता है.
बुलिमिया नरवोसाः बुलिमिया से पीड़ित लोगों में समय समय पर अत्यधिक खाने की प्रवृत्ति होती है. इसके बाद वे उस खाने को वमन से निकाल भी देते हैं, बहुत ज्यादा व्यायाम करते हैं या रेचक औषिधियाँ (लैक्सटिव) और मूत्रवर्धक पदार्थ (डाइयुरेटिक) लेते रहते हैं. वे वजन कम करने के लिए लंबे समय तक निराहार भी रहने लगते हैं. वे ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि उनका सेल्फएस्टीम यानि आत्मसम्मान, भोजन पर नियंत्रण करने की उनकी भावनाओं से पक्की तरह जुड़ा होता है.
बिंज ईटिंग डिसऑर्डर यानि अत्यधिक खानाः इस विकार से पीड़ित लोग बहुत ज्यादा मात्रा में खाते रहते हैं और उन्हें किसी तरह का नियंत्रण नहीं महसूस होता है. वे खाए हुए को न तो निकालने की कोशिश करते हैं या वजन कम करना चाहते हैं लेकिन अपने खाने की आदत से उनमें शर्म की गहरी भावना होती है. इस आदत को छिपाने के लिए वे अकेले खाने लगते हैं, कभी कभी भूख न लगी हो तो भी खाना चाहते हैं.
ऐसे ईटिंग डिसऑर्डर जो अन्यथा बताए न गए हों (ईटिंग डिसऑर्डर नॉट अदरवाइज़ स्पेसीफ़ाइड-ईडीएनओएस): खानपान से जुड़ी ऐसे विकारों से पीड़ित लोगों में उपरोक्त विकारों से जुड़े कुछ लक्षण नज़र आते हैं लेकिन वे उन सारे पैमानों को पूरा नहीं करते जिनके तहत उन्हें एनोरेक्सिया, बुलिमाया या अत्यधिक खाने की लत से पीड़ित माना जाए. मिसाल के लिए, एनोरेक्सिया से पीड़ित व्यक्ति लंबे समय के लिए भोजन से परहेज कर रहा हो सकता है लेकिन कोई ज़रूरी नहीं कि वो बहुत ज़्यादा अंडरवेट हो. दूसरा उदाहरण ऐसे व्यक्ति का हो सकता है जो कम मात्रा में खाना लेने के बावजूद उसे निकालता रहता है लेकिन उसका वजन बिल्कुल सही होता है.
ईटिंग डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति का इलाज
ईटिंग डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति की देखरेख
ईटिंग डिसऑर्डर से पीड़ित अपने किसी दोस्त या परिजन की देखरेख काफी चुनौतीपूर्ण और कष्टप्रद हो सकती है लेकिन ये जानना ज़रूरी है कि उम्मीद बनी रहती है और सही सहयोग से आपका प्रियजन पूरी तरह से ठीक हो सकता है. ईटिंग डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों में अपनी समस्या को लेकर गहरी शर्म होती है.
कभी कभी हो सकता है कि उन्हें इस बात का अंदाज़ा ही न हो कि उन्हें ये समस्या है या वे इसे नकारते भी रह सकते हैं. जो भी हो, महत्त्वपूर्ण बात ये है कि उन्हें इलाज की ज़रूरत है और वो उन्हें मिलना चाहिए. उनसे उनकी समस्या के बारे में बात कीजिए, बहुत ज़्यादा दबाव मत डालिए, अपनी बात मत थोपिए और कोई निर्णय मत सुनाइये. उन्हें खुलने, समझने और बात करने के लिए समय और अवसर दीजिए, उन्हें अपने डरों के बारे में बताने दीजिए.
हमेशा याद रखिए कि ईटिंग डिसऑर्डर खाने या वजन का मामला नहीं है, ये पैदा होता है गहरी जड़ जमाए हुए भावनात्मक मुद्दों की वजह से जो आपके प्रियजन को अंदर ही अंदर परेशान किए रहते हैं और वो उनसे निपटने में असमर्थ रहता है. ईटिंग डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्तियों को इलाज और सुधार के दौरान बहुत सहयोग और सहायता की ज़रूरत होती है.
ये अनिवार्य है कि पीड़ितों के आसपास जो लोग रहते हैं वे खानपान की अच्छी आदतों का प्रदर्शन करते रहें और खानेपीने के बारे में, वजन के बारे में या शरीर की छवि के बारे में बातें करने से परहेज़ करें. आखिरी बात ये है कि आपको ये समझने की ज़रूरत है कि इस विकार के उपचार में समय लगता है और कोई फ़ौरी हल इसका नहीं है.
ईटिंग डिसऑर्डर से निबाह
इस विकार का इलाज लंबा और तनावपूर्ण हो सकता है लेकिन इलाज की प्रक्रिया से जुड़े रहना आपके लिए ज़रूरी है और आपका ध्यान बेहतर होने पर रहना चाहिए. लोग अपने भावनात्मक मुद्दों से निपटने के लिए बहुत ज़्यादा खाते रहने या खाना बहुत कम कर देने के तरीके बना लेते हैं इसलिए आपके पास ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए सही तरीके होना ज़रूरी है.
आप खाने का इस्तेमाल नियंत्रण रखने की भावना के लिए कर सकते हैं, या तो कम खाकर या ज़्यादा खाकर. ये ज़रूरी है कि ये भावना आप अपने भीतर न आने दें और अपने मामलों से निपटने केलिए बेहतर तरीके इस्तेमाल करें. खुद को बहुत ज़्यादा अलगथलग न रखें. अकेले रहने से आप अपने भावनात्मक मामलों से निपटने में कठिनाई महसूस करेंगें. जब आपका मन अशांत हो तो किसी से बात करने की कोशिश करें. इससे आपका मन हल्का होगा और तनाव भी कम होगा.