जब हम मानसिक बीमारी की बात करते हैं तो हममें से कई लोग ये मान लेते हैं कि दिमाग की क्रियाशीलता को प्रभावित करने वाले कारण हैं-जैविक, आनुवंशिक या पर्यावरणीय(आसपास का माहौल) और उसी से कई तरह की मानसिक बीमारियाँ हो सकती हैं. लेकिन दिमागी चोट, स्नायु विकार, सर्जरी, अत्यधिक शारीरिक या मानसिक यंत्रणा जैसी कुछ शारीरिक बीमारियाँ या दशाएँ हैं जो दिमाग की क्रियाशीलता को प्रभावित कर सकती हैं.
कायिक मनोविकार या कायिक मस्तिष्क सिंड्रोम (ऑर्गनिक ब्रेन सिंड्रोम) कोई बीमारी नहीं है बल्कि ये शब्दावली ऐसी दशाओं को रेखांकित करने के लिए इस्तेमाल की जाती है जो मस्तिष्क या दिमाग की कार्यक्षमता या क्रियाशीलता में धीरे धीरे कमी आ जाने से पैदा होती हैं.
मस्तिष्क की कोशिकाएँ किसी शारीरिक चोट (सिर पर भारी प्रहार, आघात, रासायनिक और विषैले पदार्थों से संपर्क, ऑर्गनिक दिमागी रोग, नशे की लत आदि) या मनोवैज्ञानिक-सामादिक कारणों जैसे- गहरे नुकसान, शारीरिक या मानसिक शोषण और अत्यधिक मनोवैज्ञानिक यंत्रणा आदि से नष्ट हो सकती हैं.
इस दशा से प्रभावित व्यक्ति सोचने, याद रखने, सीखने समझने लायक तो होता है लेकिन उसकी निर्णय क्षमता इतनी कमज़ोर हो जाती है कि निरंतर देखरेख या सुपरविज़न की ज़रूरत पड़ती है. उन्हें अगर अपने हाल पर छोड़ दिया जाए तो लक्षण बिगड़ भी सकते हैं जिससे और समस्या पैदा हो सकती है. ऑर्गनिक मनोविकार, अस्थायी और तीक्ष्ण या घातक (डेलीरियम- सन्निपात या मूर्छा) या स्थायी और दीर्घकालीन (डिमेन्शिया-मनोभ्रंश) हो सकते हैं.