जो बच्चे स्कूल जाते हैं वे अपने दिन का ज़्यादातर समय अपनी कक्षाओं में बिताते हैं, और पढाई और शिक्षा के प्रभावशाली होने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि कक्षायें सुरक्षित, खुशहाल और स्वागती स्थान हों। यह सात उपाय हैं जिनकी मदद से शिक्षक कक्षा का माहौल सकारात्मक बना सकते हैं।
1। ‘व्हेल डन’ प्रतिक्रिया:
किसी बच्चे की प्रशंसा करने के लिए शिक्षक अक्सर सही काम या व्यवहार की प्रतीक्षा करते हैं। कभी कभी काम शिक्षक की प्रत्याशा के अनुरूप नहीं होता है। इसके बदले, क्या होगा अगर हम बच्चे के हर उस छोटे कदम की प्रशंसा करें जो वह अपने लक्ष्य की ओर बढने के लिए उठाता है?
‘व्हेल डन’ प्रतिक्रिया केन ब्लेंचार्ड की किताब व्हेल डन से लिया गया है जो सकारात्मक रिश्ते बनाने में सहायक होता है – छात्र और शिक्षक, अभिभावक और संतान, या फिर कोई भी और रिश्ता। किताब में एक बहुत सुंदर बात कही गई है – ‘प्रगति की सराहना करें, लक्ष्य तो निरंतर बदलता रहता है।’ ऐसे हैं व्हेल डन प्रतिक्रियाएँ –
2। पुनर्निर्देशन प्रतिक्रिया:
एक शिक्षक के व्यवहार का हिस्सा बनने के लिए इस प्रतिक्रिया का सचेतन रूप से अभ्यास किया जाना आवश्यक है।
3। स्वयं से पूछें:
शिक्षक बनने से पहले हर व्यक्ति को स्वयं से कुछ सवाल पूछने चाहिए कि वह किस तरह के शिक्षक बनना चाहते हैं। जैसे कि, कुछ ऐसे सवाल:
इन सवालों के जवाबों से शिक्षक बेहतर ढंग से समझ पायेंगे कि वे अपने चुने हुए पेशे में कैसे उत्कृष्टता प्राप्त कर सकते हैं।
4। हितकारी सीमारेखाओं का निर्धारण करें:
बच्चों के लिए सीमारेखाएं जरूरी होती है जिनके अंदर रहकर वे चलना सिखते हैं, और यह घर और कक्षा दोनों पर लागु होता है। मुझे एक बच्चे कि बात याद आ गई जो अपने घर से भाग गया था। जब वह पुलिस को मिला तो उसने बताया “मुझे घर वापस नहीं जाना, मेरे घर में अनुशासन नहीं है।” उसके कहने का तात्पर्य था कि उसके घर में ऐसा कोई भी नहीं था जो उसके बारे में इतना सोचता था कि उसकी सीमारेखाएं बाँध दे – उसे हद बता दे। बच्चों के लिए महत्वपूर्ण होता है कि वे सुरक्षित महसूस करें और उन्हें अहसास हो कि उनकी परवाह की जाती है, और यह आभास उन्हें सीमारेखाओं से मिलता है।
कक्षा में सीमारेखाएं कई तरह से स्थापित की जा सकती हैं। जैसे कि, छोटी कक्षाओं में शिक्षक बच्चों की थोडी-सी मदद लेकर कक्षा के लिए 'ट्रैफिक-लाइट' बना सकते हैं। लाल लाइट के नियम वयस्क और बच्चों दोनों पर लागू होंगे। उदाहरण के लिए, “हम कभी अपने हाथों का उपयोग किसी को मारने के लिए नहीं करेंगे।” पीली लाइट के नियम शिक्षक और बच्चों के लिए अलग-अलग होंगे। उदाहरण के लिए, “काम करने के दौरान आप कक्षा में घुमेंगे नहीं और दूसरों को परेशान नहीं करेंगे।” हरे लाइट के नियम उन जगहों के लिए हैं जहां शिक्षक बच्चों को स्वाधीनता देंगे। जैसे, शिक्षक उन्हें अपने मन से कहानी या कलाकृतियां बनाने, या सवाल पूछने और अपने विचार और राय व्यक्त करने की स्वाधीनता दे सकते हैं।
मध्य और उच्चतर कक्षाओं के छात्रों को कक्षा समझौते के निर्माण, और उसके परिणाम, में भागीदार बनाया जा सकता है (उदाहरण के लिए, "हम समय की पाबंदी करेंगे।")
5। पद्धति पर ध्यान दें:
शिक्षक अधिकतर परिणामों और नतीजो पर ध्यान देते हैं, जो कि महत्वपूर्ण है, लेकिन साथ ही तरीके या पद्धति को भी समान महत्व देना चाहिए। एक सात साल की बच्ची ने एकबार अपने माता-पिता से कहा था – “स्कूल जाने पर ऐसा लगता है जैसे उस चिडिया जो चोट पहुँचाया जा रहा है जिसके परों पर कोई चोट नहीं है।” बच्ची का कहने का मतलब यह था कि पढाने में उसको मज़ा नहीं आ था क्योंकि उसे अपने शिक्षक के तरीके से सिखना पड़ रहा था और इसमें उसके लिए कोई जगह नहीं थी।
बच्चे तब खुश रहते है जब वे अनुभव, खोज, निरीक्षण, आलोचना कर सकें – दूसरे शब्दों में जब पढाई में वे पूरी तरह से लीन हो सकें। यह याद रखना भी जरूरी है कि हर बच्चे के सिखने का ढंग अलग होता है। हॉवर्ड गार्डनर की इस उक्ति को याद रखने से मदद मिल सकती है “बच्चों के बारे में जितना हो सके उतना जाने, बजाय इसके कि हर बच्चे को सुई की उसी छेद के पार किया जाए।”
6। बलि का बकरा न बनाएँ:
हर स्कूल और लगभग हर कक्षा में एक बलि का बकरा होता है। बलि का बकरा वह बच्चा होता है:
इन परिस्थितियों में शिक्षकों को ध्यानपूर्वक हर पहलू को सुनना और देखना चाहिए। जो भी छात्र उस घटना से जुड़ा हो, उन सभी से मिलना चाहिए। अंपायर न बने - इसके बजाय इससे जुड़े हर किसी से सवाल पूछें ताकि इस मुद्दे को सही परिप्रेक्ष्य में डाल सके। निर्णायक बनने से बचें।
7। मनन करें:
डॉ थॉमस गॉर्डन ने अपनी पुस्तक 'टीचर इफेक्टिवनेस ट्रेनिंग' में 'शिक्षक-स्वामित्व वाली' समस्याओं और 'छात्र-स्वामित्व वाली' समस्याओं की अवधारणा को प्रस्तुत किया है। शिक्षकों को उन समस्याओं की पहचान करना सीखना चाहिए जो उनके ‘स्वयं’ के हैं। क्या बच्चे का व्यवहार आपकी भावनाओं को प्रभावित करता है और आपकी आवश्यकताओं में हस्तक्षेप करता है? उदाहरण के लिए, क्या आपकी उन्नति आपके छात्रों के व्यवहार और प्रदर्शन से जुड़ा है? अगर हाँ, तो शिक्षक होने के नाते इस समस्या के स्वामी आप हैं। अब आपके पास तीन विकल्प हैं:
अंत में मैं यह कहना चाहूँगी कि हमें आनेवाली पीढीयों से सिख लेनी चाहिए। वे सबसे अच्छे शिक्षक हैं; अपने व्यवहार से हमें यह संदेश देते हैं कि उनके साथ कैसा बर्ताव करना चाहिए। अपने आप से पूछिए कि क्या आप स्वयं एक आदर्श उत्साही छात्र हैं? आपके पढ़ाने के तरीके और तैयारी पर ध्यान दीजिए। शिक्षक जो जानकार हैं, सही व्यवहार रखते हैं, व्यवस्थित होते हैं, आत्मविश्वासी व्यवहार करते हैं, और स्थिति जिनके नियंत्रण में होती है, उनके आक्रामकता या व्यवधान का सामना करने की संभावना कम होती है। दूसरों की सोच को महत्व देनेवाले शिक्षक किसी भी बातचीत के परिणाम को नियंत्रित कर सकते हैं। अर्जित किया गया सम्मान विघटनकारी व्यवहार का सबसे बड़ा तोड़ है।
फिलिस फारियास एक बेंगलुरू स्थित शिक्षा प्रबंधन सलाहकार हैं। सभी स्तरों को पढाने का उनका अनुभव वर्षों का है - प्राथमिक विद्यालय से लेकर कॉलेज में शिक्षकों के प्रशिक्षण देने तक। इसके अलावा, वह पूरे देश के स्कूलों, कॉलेजों और पेशेवर संस्थानों में कार्यशालाओं, सेमिनार और प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करती हैं।