शिक्षक के रूप में, एक व्यक्ति को कई रूप लेने पड़ते हैं। वे कक्षाओं में पढ़ाने के अतिरिक्त, पाठ पढ़ाने की योजना बनाने, सौंपे गए काम का अंकन करने, बैठकों में भाग लेने और कार्यशालाओं आदि में शामिल होते हैं। ऐसे व्यस्त कार्यक्रमों के होते हुए भी कोई विस्मय होकर सोचता होगा कि एक शिक्षक क्यों छात्र की मानसिक संपन्नता के लिए अपना समय दे। इसके लिए दो मूल कारण हैं। पहला, शिक्षक छात्रों के साथ पर्याप्त समय बिताते हैं और यह उन्हे मनोदशा के बदलाव पर या असामान्य व्यवहार जो औसत समय से अधिक रहता है उसका ध्यान रखने हेतु अनुकूल परिस्थिति प्रदान करता है। कुछ मामलों में, यह बदलाव एक गहरे मुद्दे या मानसिक रोग का संकेत हो सकता है। ऐसे अव्यक्त बदलाव के बारे में जानकारी रखकर, शिक्षक समय से पहले हस्तक्षेप कर सकते हैं। दूसरा, भावनात्मक संपन्नता अध्ययन को प्रभावित करता है। छात्र जो मानसिक रूप से स्वस्थ है वे अधिक प्रेरित होते हैं। प्रेरित किए गए छात्र अधिक सक्रिय रूप से, सिखाए जा रहे पाठ के बारे में तल्लीन हो जाते हैं, और परिणाम के रूप में, बेहतर शैक्षणिक प्रदर्शन दिखाते हैं।
जब एक व्यक्ति शिक्षण को पेशे के रूप में चयन करता हैं, तो उसको व्यवहारी शिक्षक या परिवर्तनकारी शिक्षक बनने का चुनाव करना होता है।
परिवर्तनकारी शिक्षक, चिंता करने वाले शिक्षक होने का चुनाव करके आप बदलाव ला सकते हैं।