किशोरावस्था

संत्रास के प्रकरण को अनदेखा न करें

डॉ श्यामला वत्स

अक्सर लोग अस्पताल के आपातकालीन कक्ष में संत्रास के भयभीत करने वाले लक्षणों के साथ उपस्थित होते हैं: अत्यधिक भय, तेज़ धड़कन, साँस लेने में तकलीफ या घुटन, पसीना छूटना, पेट में दिक्कत और यह भयानक निश्चितता कि उन्हें दिल का दौरा पड़ रहा है या वे "पागल हो रहे हैं"। ये हमले आमतौर पर 10 मिनट से भी कम समय तक चलते हैं।

सबसे पहले, दिल के दौरे की आशंका पर विचार, प्रासंगिक जांच करवाई और आपातकालीन उपाय किये जाने चाहिए । मनोचिकित्सक को संदर्भित करने से पहले अन्य चिकित्सा स्थितियां जो ऐसे पेश आ सकती हैं, उनकी नामौजूदगी भी चिकित्सक द्वारा देख ली जानी चाहिए।

जब मैं अमित से 1999 में पहली बार मिली थी, तब तक पांच सालों में वह कुछ हृदय रोग विशेषज्ञों और कई मनोचिकित्सकों से मिल चुका था। वह 29 साल का था। उसे लगभग पांच साल से गंभीर संत्रास के प्रकरण हो रहे थे। ये उसे नियंत्रण से बाहर और भयभीत करने वाले लगे। उसका दिल तेजी से धड़कता था, जो उसे लगभग सुनाई देता था और उसके पेट में पिजड़े में बन्द पक्षी के फड़फड़ाहट जैसी सनसनी होती थी। उसका पसीना छूटने लगता और मुंह सूख जाता। ये हमले महीने में 3-4 बार होते थे, और हर बार लगभग दस मिनट तक चलते। इसका कोई स्पष्ट कारण नहीं था, कम से कम कोई ऐसा कारण नहीं था जिसे तार्किक रूप से संत्रास से जोड़ा जा सकता था। निर्धारित दवाइयों ने मदद की, लेकिन वह स्थायी इलाज की तलाश कर रहा था। उसे मनोवैज्ञानिक के पास भेजा गया लेकिन वह नियमित तौर पे उनसे नहीं मिला।

विस्तृत इतिहास की जांच और मूल्यांकन से उन अन्य मानसिक बीमारियों की सम्भावना को खारिज किया गया जिनके लक्षण इसी तरह के होते हैं। संत्रास में लक्षण के रूप में जो शारीरिक स्थिति होती है, उसकी जांच की गई और संदर्भित करने वाले चिकित्सक ने इससे इनकार कर दिया।
24 वर्षीय साशा ने संत्रास के प्रकरण का जो इतिहास प्रस्तुत किया उसकी खासियत थी कि पूरे शरीर में सिहरन, पेट में ऐंठन, घबराहट, हवा के लिए तड़प और हाथों से पसीना टपकना। ये प्रकरण केवल एक ही स्थिति में हुए थे: जब उसे हवाई जहाज में बैठना पड़ा था। उसे चूंकि काम के लिए अक्सर विदेश यात्राएं करनी होती थीं तो इसके बारे में कुछ किया जाना था। 
मोनिका जब सात साल की थी तब भारत में उसे बोर्डिंग स्कूल भेजा गया था। तब तक वह अपने माता-पिता के साथ विदेश में रहती थी। उसे नए स्कूल में सामंजस्य बैठाने में भीषण कठिनाई हो रही थी और वह अक्सर संत्रास से पीड़ित रहती थी, विशेष रूप से शारीरिक क्षति का खतरा मौजूद था, हालांकि शायद ही कभी इसका पालन किया गया था। वह परामर्श के लिए आई थी क्योंकि वह अब भी संत्रास की स्थिति का सामना कर रही थी। इसके साथ ही वह अक्सर गुस्से में फूट पड़ती थी। उसने कहा कि वह कई बार बहुत अधिक भावुक हो जाती थी। उसका व्यवहार उसकी छह वर्षीय बेटी को प्रभावित कर रहा था, और वह अभिभावक के रूप में अधूरा महसूस कर रही थी। 
एक चिकित्सक ने 30 वर्षीय रॉय को मेरे पास संत्रास के इलाज के लिए भेजा था। उसे सात साल पहले, 23 वर्ष की उम्र में, अपनी छाती और बाएं कंधे में दर्द के बाद जल्दी में अस्पताल ले जाया गया था। परीक्षणों और जांच में कुछ भी असामान्य नहीं दिखा था। वह जल्द ही अमेरिका में स्थानांतरित हो गया। क्योंकि वह पाबंदी और परिशुद्धता का हामी था, और चीजों को साफ-सुथरा और धूल से मुक्त रखने के बारे में बहुत सचेत था, अमेरिकी जीवन शैली ने उसमें बहुत कम व्यग्रता पैदा की। उन पांच सालों में संत्रास के हमले बहुत कम थे जब वह वहां था। भारत लौटने पर संत्रास के हमलों में वृद्धि हुई, जिसके लिए उसने चिकित्सक से परामर्श किया।

20 वर्षीय फेरोजा, हर समय व्यग्र रहती थी। हर सुबह कॉलेज में दोस्तों से मिलने के बाद उसे संत्रास के हमले होने शुरू हो जाते थे क्योंकि वे उसे रोज़ किसी न किसी बात पर पकड़ लेते थे :उसके सुव्यवस्थित नोट्स और किताबें, उसके साफ-सुथरे कपड़े, उसकी वक्त की पाबंदी, उसका माँ को यह सूचित करने का आग्रह कि उसके ग्रुप ने योजना बदल दी है और वह देर से घर पहुंचेगी - कुछ भी हो। क्योंकि वे उसे लगातार ओसीडी होने के बारे में चिढ़ाते थे, उसने इसके बारे में पढ़ा और वह चिंतित थी कि शायद उसे हो गया था।

25 वर्षीय क्लेयर, को उसके पारिवारिक चिकित्सक ने एक महीने तक गंभीर व्यग्रता के इतिहास के साथ संदर्भित किया था। उसने बताया कि उसे दिन में 5-6 बार संत्रास के दौरे पड़ते थे और वे घंटों तक चलते थे। यद्यपि वह अपने वैवाहिक संबंधों को अच्छा मानती थीं, पर वह तलाक के डर में रहती थीं क्योंकि उसने बताया कि उसके सास-ससुर ने उसे पसंद नहीं करते थे और लगातार अपने बेटे को उसके खिलाफ भड़काने की कोशिश करते। पिछले कुछ महीनों में उसकी हालात और बदतर हो गए हैं।

26 वर्षीय अलीशा, एक अंतर्मुखी थीं, जो पार्टियों में असहज रहतीं थीं, खासकर उन जगहों पर जहां उन्हें अपने पति के नए व्यापारिक उपक्रम में सहयोग के लिए अजनबियों से मिलना पड़ता था। ये घटनाएं नियमित रूप से कम से कम सप्ताह में तीन बार होती थी। उसे अपने डर की चरम सीमा का अहसास तब होने लगता जब उसे उस कमरे में प्रवेश करना पड़ता था जहां पार्टी हो रही होती थी, और लोग उसे देखते और आंकते थे। उसे सांस लेने में दिक्कत होने लगती थी, पसीना आना शुरू हो जाता और सिरदर्द होने लगता था। वह पार्टी में जाने से पहले एक पेग पीकर आराम करने की कोशिश करती थी।
इन सभी लोगों में से केवल अमित में संत्रास के विकार का निदान हुआ। अन्य लोगों में पाए गए अतिरिक्त लक्षण उन्हें निदान की अलग-अलग श्रेणियों में रखते हैं, हालांकि ये सभी संत्रास के हमले में भी प्रस्तुत रहते हैं। उदाहरण के लिए, रॉय को ओसीडी स्पेक्ट्रम की बीमारी थी, साशा एविओफोबिक थी, फेरोजा के लक्षण ठोस निदान के लिए मानदंडों को पूरा नहीं करते थे, हालांकि वह मानसिक परेशानी से गुजर रही थी, और अलीशा को सामाजिक व्यग्रता थी। 
अचानक पंगु बना देने वाले भय के हमले हेतुविज्ञान की परवाह किए बिना गंभीर शारीरिक और मानसिक संकट का कारण हो सकते हैं। वे लोगों के सामान्य जीवन जीने में बाधा डाल सकते हैं। 
  • अमित को एक बार काम पर जाते समय रास्ते में संत्रास का हमला हुआ और भारी यातायात के बीच उसने अपनी कार रोक दी। ट्रैफिक पुलिस ने उसकी कार को किनारे किया और उसे अस्पताल पहुंचाया।
  • साशा ने अपने व्यवसाय को बढ़ाने के कई अवसर खो दिए, क्योंकि वह हवाई अड्डे पर सुरक्षा जांच से पहले रुक गई।
  • मोनिका ने दोस्तों को खो दिया क्योकि उसकी गंभीर व्यग्रता गुस्से के रूप में बाहर आती थी। वह अक्सर अपनी बेटी को भी बहुत पीट देती थी। 
  • रॉय में उच्च रक्तचाप विकसित हो गया और युवावस्था में एंटीहाइपरटेंसिव दवाएं लेनी पड़ीं।
  • फेरोजा की कोई मानसिक समस्या नहीं थी, सिर्फ अनावश्यक चिंताएं थीं, जो उसे उदास और भयभीत रखे थीं।
  • क्लेयर ने नकारात्मक परिदृश्यों की कल्पना करके खुद को संत्रास और अवसाद में ढकेल दिया।
  • पार्टियों को पार करने के लिए अलीशा भारी मात्रा में पीने लगी और यहां तक ​​कि दो बार बेहोश भी हो गई। 
पहली बार संत्रास के हमले का सामना करने वाला व्यक्ति आमतौर पर परिवार के किसी सदस्य या मित्र को इस बारे में बताता है। चौंका देने वाली संख्या में लोगों के पास एक या दो स्ट्रिप व्यग्रता की दवाएं होती हैं जो उन्हें पहले दी गई थी, और वे पीड़ित को एक गोली देते हैं। यह काम करती हैं। व्यक्ति किसी तरह से उसी दवा का जुगाढ कर लेता है और इसे आवश्यकतानुसार उपयोग करता है।
नैदानिक ​​अभ्यास में मैंने लोगों को बिना परामर्श के दवाई लेते और वर्षों तक व्यग्रता निवारक दवाओं की उच्च खुराक का आदी होते देखा है। मौलिक बीमारी की जांच कभी नहीं की गई क्योंकि उन्होंने कभी भी मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से संपर्क ही नहीं किया। वे दवाइयों के ख़त्म होने के डर में रहते हैं क्योंकि उन्हें नुस्खे बिना प्राप्त करना आसान नहीं होता है। इसके अलावा, दवाओं की अनुपलब्धता के कारण खुराक की कमी के कारण गंभीर विड्राल के लक्षण हो सकते हैं जिसमें सिरदर्द, उल्टी, धुंधली दृष्टि, मांसपेशियों में दर्द, घबराहट और व्यग्रता का बदतर होना जैसे लक्षणों के अलावा, दौरे और मृत्यु हो सकती हैं। उन्हें ये नहीं पता है। 
बार- बार  अस्पष्ट संत्रास के हमलों के मामले में मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से परामर्श करना आवश्यक है। एक मनोचिकित्सक या मनोविज्ञानी तदानुसार मौलिक स्थिति का निदान और उसका उपचार कर पाएंगे। आत्म-निदान और उपचार का मलतब बुखार को बीमारी के रूप में इलाज करने के समान होता है, जो कि असल में किसी मौलिक बीमारी का लक्षण हो सकता है। जिसे आप 'फ्लू' समझ रहें हैं वह मलेरिया, डेंगू, मेनिन्जाइटिस या किसी भी संक्रमण से होने वाले बुखार हो सकता है।
डॉ श्यामला वत्स बंगलौर स्थित मनोचिकित्सक है जो 20 वर्षों से अधिक समय से मरीज़ देख रही है। अगर आपके कोई प्रश्न या टिप्पणी हैं जो आप साझा करना चाहते हैं, तो कृपया columns@whitswanfoundation.org पर लिखें।