उम्र की ढलान के साथ हमारे शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं, और यह बात हमारे दिमाग पर भी लागू होता है। इस वास्तविकता के आधार पर कुछ संज्ञानात्मक दिक्कतें और भूलने की समस्या बढती आयु के साथ आ ही सकती हैं। लेकिन सामान्य आयु संबंधी स्मृति हानि और अल्ज़ाइमर रोग या अन्य प्रकार के मनोभ्रंश के बीच अंतर है।
उम्र बढ़ने की प्रक्रिया के कारण होने वाली स्मृति हानि किसी व्यक्ति को एक पूर्ण और उत्पादक जीवन जीने से नहीं रोक सकता है। उदाहरण के लिए, एक बुजुर्ग व्यक्ति यह भूल सकते हैं कि उन्होंने अपने चश्मे या चाबियाँ कहाँ रखीं हैं या किसी ऐसे व्यक्ति का नाम भूल जाते हैं जिसे उन्होंने कुछ समय से नहीं देखा है। अक्सर याददाश्त में आये ऐसे बदलावों से दिनचर्या बाधित नहीं होता है, जिसमें काम करने, स्वतंत्रता से रहने या सामाजिक जीवन को बनाए रखने की उनकी क्षमता शामिल है।
स्मृति क्षय अगर मनोभ्रंश का लक्षण हो
स्मृति से जुड़ी हर समस्या का संबंध आयु से नहीं होता है। आम तौर पर जब किसी व्यक्ति में मनोभ्रंश के लक्षण दिखाई देते हैं तो स्मृति के अलावा अन्य संज्ञानात्मक कार्य प्रभावित होते हैं - सीखने, अभिविन्यास, भाषा, समझ, नियोजन, समस्या सुलझाने की क्षमता और निर्णय। आपको मदद की जरूरत हो सकती है अगर आपके माता या पिता में यह लक्षण दिखाई देते हैं-
इन लक्षणों में से दो या अधिक का अस्तित्व मनोभ्रंश के कारण हुई स्मृति हानि का संकेत हो सकता है।
अगर संकेतों से लगे कि मनोभ्रंश है तो क्या करें
मनोभ्रंश एक प्रगतिशील और मस्तिष्क की कार्यक्षमता को क्षतिग्रस्त करने वाला रोग है जो विशेष रूप से स्मृति को प्रभावित करता है। शुरुआती पहचान और रोकथाम जोखिम को कम करने और कुछ वर्षों तक मनोभ्रंश को दूर रखने में प्रभावी है। यदि आप देखते हैं कि आपके वृद्ध माता-पिता के भूलने की आदत में मनोभ्रंश के संकेत हैं, तो परिस्थिति का मूल्यांकन करने के लिए एक मनोचिकित्सक या न्यूरोलॉजिस्ट से मिलें।
विस्मृति मधुमेह, उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल, अवसाद, व्यग्रता, विटामिन बी की कमी और हाइपोथायरायडिज्म के कारण भी हो सकता है। शोध के सबूतों से पता चलता है कि इन स्थितियों में संभावित रूप से मनोभ्रंश का खतरा बढ़ सकता है।
गंभीर स्मृति हानि का जोखिम या तो रोका जा सकता है या कम किया जा सकता है ऐसे:
डॉ पी टी शिवकुमार, प्रोफेसर, जेरियाट्रिक साईकियाट्रिक यूनिट, निमहान्स के आदानों पर आधारित।