बच्चे के दुनिया में आने के साथ-साथ चिंता और तनाव भी आते हैं. इनमें से कई क्षणिक हैं और समय के साथ गुजर जाते हैं. लेकिन अगर आप हर समय चिंतित या तनाव में रहते हैं जिससे आपकी दिनचर्या में बाधाएँ आती हों तो आप प्रसवोत्तर चिंता से पीड़ित हो सकती हैं. बच्चे की सेहत, उसके खाने-पीने की चिंता करना, एक नई माँ के लिए सामान्य है. मगर यही चिंताएँ परेशानी या आतंक का रूप ले लें तो आपको पेशेवर मदद लेने की जरूरत पड़ सकती है.
प्रसवोत्तर चिंता के लक्षण भी गर्भावस्था के दौरान चिंता के लक्षण के समान हैं, जैसे :
• हर समय बेचैनी और चिड़चिड़ापन महसूस करना
• लगातार चिंता में डूबकर विचार करना जो आपकी दिनचर्या पर असर करे
• आराम करने या रात में सोने में कठिनाई
• चिंतित रहने के कारण बार-बार बच्चे को चेक करते रहना
• ऐसी चिंता जो आपको बच्चे के साथ बाहर जाने से भी रोके
यदि आप इन लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं, तो आप अपने जीपी से बात करें जो आपको एक मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से सलाह लेने के लिए कहेंगे.
प्रसवोत्तर ओसीडी
कभी कभी, नई माताएँ कुछ ऐसी छवियों एवं विचारों से पीड़ित होती हैं जो भय पैदा करते हैं और अपने बच्चे को नुकसान पहुँचने से बचाने के लिए चरम कदम उठाने को मजबूर करते हैं. प्रसवोत्तर ओसीडी के कुछ लक्षण हैं:
• बच्चे से संबंधित भयभीत विचार और छवियाँ
• बाध्यकारी व्यवहार जहाँ माँ लगातार भयभीत विचारों पर काबू पाने के लिए अपने कार्यवाई को दोहराती है, उदाहरण के लिए: अगर उसे डर है कि बच्चे को संक्रमण हो जाएगा तो वह बार-बार घर को साफ़ करेगी; या फिर बार-बार सोये हुए बच्चे को चेक करती रहेगी.
• बच्चे के साथ अकेले रहने का डर
• हमेशा सतर्क रहने के आचरण के कारण आराम करने में सक्षम न होना
इलाज
प्रसवपूर्व चिंता की तरह ही प्रसवोत्तर चिंता का इलाज भी लक्षणों की गंभीरता पर निर्भर करता है. लक्षण गंभीर नहीं हैं तो भावनात्मक समर्थन और चिकित्सा से माँ अपनी चिंताओं से निपट सकती है. हालांकि, अधिक गंभीर लक्षण हों तो माँ को मनोचिकित्सा के अलावा दवा की जरूरत हो सकती है. संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (सीबीटी) या पारस्परिक थेरेपी (IPT) माँ की मदद कर सकते हैं. इन उपचारों का मुख्य लक्ष्य है इन विचारों के मूल कारण को समझना और उनके मन में स्वस्थ विचार ड़ालना.