इस दृश्य की कल्पना करें – आपका दोस्त बहुत परेशान लग रहा है और उसने अपनेआप को सबसे दूर कर लिया है। वह निराश और असहाय लग रहा है, और उसने बातों-बातों में आत्महत्या का ज़िक्र किया है। हो सकता है आप उससे बात करना चाह रहें हो, लेकिन आपको समझ नहीं आ रहा कि कैसे शुरू करें। क्या होगा अगर आपने पहल की मगर उसने जवाब नहीं दिया? कहीं उसकी मदद करने कि चाह में आपने उसे चोट पहुँचाया तो? और अगर ऐसा करने पर पास आने के बजाय वह आपसे और दूर हो गया?
मनोवैज्ञानिकों के अनुसार आलोचना या संवेदनशीलता से आत्महत्या का विचार कर रहे लोगों का मन बदला जा सकता है। द्वारपाल वह व्यक्ति होता है जो यह मानता है कि समाज में आत्महत्या को रोका जा सकता है, और इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए वह अपना समय और उर्जा व्यय करने को राज़ी है। कोई भी द्वारपाल हो सकता है – शिक्षक, अभिभावक, पड़ोसी, छात्रावास का वार्डेन, पुलिस या एक साधारण व्यक्ति जो परामर्शदाता की भूमिका निभाने को राज़ी है। द्वारपाल को तब अलार्म बजा देना चाहिए जब उसे लगे कि कोई मानसिक पीड़ा में है; और उस व्यक्ति को शुरुआती भावनात्मक समर्थन प्रदान करने के बाद मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर के पास भेज दे।
निमहान्स सेंटर फॉर वेल बीइंग (एन सी डब्ल्यू बी) में मनोचिकित्सकों, मनोचिकित्सा से जुड़ी नर्सों और सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा एक दिन की कार्यशाला का आयोजन किया गया था जिसका उद्देश्य था द्वारपालों को सिखाना कि कैसे:
कार्यशाला 24 जून, 2015 को आयोजित की गई थी, और इसे दो सत्रों में विभाजित किया गया था: पहला आत्मघाती जोखिम मूल्यांकन पर और दूसरा हस्तक्षेप पर। यह किसी अन्य व्यक्ति की कहानी सुनते हुए उसकी शक्तियों की पहचान करने के एक अभ्यास के साथ शुरू हुआ। इस अभ्यास के संचालक थे निमहान्स में मनोचिकित्सा विभाग के सहयोगी प्रोफेसर डॉ सेंथिल रेड्डी। प्रतिभागियों को जोड़ो में विभाजित किया गया और एक दूसरे के साथ दोस्ती करने के लिए कहा गया था। उन्हें अपने साथी के साथ बातचीत करने के लिए पांच मिनट दिया गया, जिसके दौरान उन्हें एक व्यक्तिगत घटना का विवरण सुनकर अपने जोड़ीदार की शक्तियों की पहचान करना, और उसे उनके बारे में अवगत कराना था। इस अभ्यास का उद्देश्य, जिसे बाद में समझाया गया था, यह था कि जो व्यक्ति आत्म-क्षति या आत्महत्या के बारे में सोच रहा है वह जीवन में निराशा, असहायता और उद्देश्यहीनता महसूस करता है। उसकी शक्तियों को संबोधित करने से उसकी अनिश्चितता कम होती है और आत्मविश्वास बढ़ता है।
निमहान्स के जूनियर सलाहकार रागेश ने बताया कि कैसे द्वारपाल उन लोगों की पहचान कर सकते हैं जो अपने जीवन को समाप्त करने के बारे में सोच रहे हैं। इस सत्र के दौरान आत्महत्या और आत्म-क्षति, चेतावनी के संकेत और आत्महत्या के जोखिम वाले कारकों के बीच अंतर जैसे विषयों पर चर्चा की गई। इसके बाद, पद्मत्वथी डी, इन-चार्ज स्टाफ नर्स, एनसीडब्ल्यूबी ने आत्महत्या जोखिम मूल्यांकन पर एक सत्र का आयोजन किया था।
निमहान्स में मनोचिकित्सा की प्रोफेसर डॉ प्रभा एस चंद्रा ने प्रारंभिक हस्तक्षेप पर एक वीडियो-काल के माध्यम से आयोजित सत्र का नेतृत्व किया, एक ऐसी युवती के लिए जो अपने प्रेम संबंध के टूटने के बाद अपनी जिंदगी को खत्म करने के बारे में सोच रही थी। प्रतिभागियों ने सीखा कि कैसे संकटपूर्ण स्थिति में एक व्यक्ति की योजना के साथ मदद करें और सहायता के लिए विशेषज्ञ के पास पहुंचने में उनका समर्थन करें।
निमहान्स के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ कृष्णप्रसाद एम ने आत्महत्या की रोकथाम के लिए हस्तक्षेप प्रदान करने की विभिन्न भूमिकाओं के मंचन का आयोजन किया।
यह एक दिवसीय विस्तृत पाठ्यक्रम केवल सलाहकारों और मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए ही नहीं था, बल्कि वे लोग भी इसमें शामिल थे जो द्वारपाल बनना चाहते हैं और एक परेशान सहकर्मी, पड़ोसी, मित्र या परिवार के किसी सदस्य को रोकना चाहते है उस चरम कदम को उठाने से जो उनके जीवन को समाप्त कर देगा।
कार्यशाला पर अधिक जानकारी के लिए सम्पर्क करें – निमहान्स सेंटर फॉर वेल बीइंग (एन सी डब्ल्यू बी), #1/बी, नाईन्थ मेइन, फार्स्ट स्टेज, फार्स्ट फेज, बीटीएम लेआउट, बेंगालुरू – 560076। दूरभाष: 080-26685948/9480829670 या जाएं http://nimhans.ac.in/nimhans/nimhans-centre-well-being पर।