ये मानसिक बीमारियां किसी दूसरी बीमारी की तुलना में कहीं ज्यादा लोगों को अपनी चपेट में लेती हैं:
अवसाद संबंधी समस्याएं
2016 की राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण के मुताबिक भारत में प्रत्येक दस में से एक व्यक्ति अवसाद का शिकार है। यह एक सामान्य मानसिक बीमारी है जो व्यक्ति के विचार, व्यवहार और भावनाओं को प्रभावित करता है। यह किसी भी व्यक्ति को कभी भी हो सकता है, चाहे उसका लिंग, यौन अभिविन्यास एवं सामाजिक और आर्थिक हैसियत कुछ भी हो। अवसाद के कुछ सामान्य रूप हैं-
पोस्टपार्टम या पोस्टनेटल डिप्रेशन (पीपीडी)
प्रीमेंस्ट्रूयल डिसफोरिक डिसऑर्डर (पीएमडी)
सीजनल एफेक्टिव डिसऑर्डर (एसएडी)
बचपन, किशोरावस्था, जवानी और बुढ़ापा – उम्र के किसी भी पड़ाव में अवसाद हो सकता है।
चिंता संबंधी विकार
2016 की राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण के मुताबिक देश की 3.6 प्रतिशत आबादी चिंता संबंधी विकारों से ग्रसित है। चिंता विकार वर्णक्रम के किसी भी बिन्दु पर हो सकता है और यह पारिवारिक इतिहास, दिमाग पर असर डालने वाली घटनाएं, स्वास्थ्य समस्याएं, मादक द्रव्यों के इस्तेमाल और व्यक्तित्व जैसे कई कारकों पर निर्भर होता है। आम तौर पर चिंता विकार निम्न प्रकार के होते हैं-
जेनरलाइज्ड एंग्जाइटी डिसऑर्डर (जीएडी)
आब्सेसिव कंपलसिव डिसऑर्डर (ओसीडी)
पैनिक डिसऑर्डर
सोशल एंग्जाइटी डिसऑर्डर (एसएडी)
फोबिया
बाइपोलर डिसऑर्डर (द्विध्रुवीय विकार)
इसे मैनिक डिप्रेशन भी कहा जाता है। यह एक गंभीर मानसिक बीमारी है जिसके चलते लोगों की मनोदशा तेजी से बदलती है। पीड़ित व्यक्ति की मनोदशा में काफी तेजी से उतार चढ़ाव देखने को मिलता है और यह सिलसिला कुछ हफ्तों तक जारी रहता है।
भोजन विकार
जब कोई व्यक्ति खान-पान, वजन और अपने कद काठी को लेकर असामान्य रूप से चिंतित रहने लगे तो इसे ईटिंग डिसऑर्डर यानी भोजन विकार कहा जाता है। ऐसी स्थिति में खानपान में काफी बदलाव देखने को मिलता है और पीड़ित या तो बहुत कम खाने लगता है या फिर बहुत ज्यादा खाने लगता है। इससे उसके स्वास्थ्य को बहुत नुकसान पहुंचता है। खान पान संबंधी मुश्किलें निम्नांकित तरह की होती हैं-
एनोरेक्सिया नर्वोसा
बुलिमिया नर्वोसा
बिंज ईटिंग डिसऑर्डर (बीईडी)
ईटिंग डिसऑर्डर नॉट अदरवाइज स्पेसिफाइड (ईडीएनओएस)
बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर
बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर एक ऐसा व्यक्तित्व विकार है जो किसी व्यक्ति को अपनी भावनाओं, आत्म-छवि और व्यवहार को नियंत्रित करने के तरीकों को प्रभावित करता है। इससे उनकी दैनिक प्रकार्यात्मकता प्रभावित होती है। इस समस्या की व्यापकता व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास के साथ ही शुरू होती है और वयस्कता तक कायम रहती है। बीपीडी की पहचान वाले मौजूदा लक्षणों में अस्थिरता मूल तत्व है जिनमें रिश्ते (दूसरों के साथ कैसे बातचीत करते हैं), अपनी पहचान और आत्म-छवि (व्यक्ति खुद को या दूसरों को कैसे देखता है) तथा मनोदशा (अक्सर उतार-चढ़ाव आते हैं) शामिल हैं।
मनोविदलता या स्कित्जोफ्रेनिया
मनोविदलता या स्कित्जोफ्रेनिया एक गंभीर मानसिक विकार है। इससे प्रभावित व्यक्ति में असामान्य व्यवहारों की एक विस्तृत शृंखला देखने को मिलती है- जैसे आवाज़े सुनाई देना या मतिभ्रम होना, वास्तविकता की गलत धारणाएँ और विचित्र धारणाएँ। मनोविदलता से प्रभावित व्यक्ति वास्तविकता को भी इस अंदाज में बताता है कि वह दूसरों को असामान्य लगने लगता है।
मादक द्रव्यों का सेवन (लत):
मादक द्रव्यों के सेवन या व्यसन का तात्पर्य खतरनाक प्रभाव डालने के बावजूद किसी पदार्थ के अत्यधिक और हानिकारक उपयोग से है। आम तौर पर लोगों में शराब, दवाईयां और मनोरंजक ड्रग्स जैसे पदार्थों के सेवन के साथ यह विकसित होता है।