मानसिक बीमारी का इलाज कैसे किया जाता है?
मानसिक बीमारी का इलाज थेरेपी और दवा दोनों से किया जाता है और यह बीमारी की गंभीरता पर निर्भर करता है। कुछ लोगों को दवा की जरूरत भी नहीं होती है। उनकी बीमारी का इलाज संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी जैसी साइकोथेरेपी या जीवनशैली में बदलाव के माध्यम से संभव होता है।
दवाईयां क्यों दी जाती हैं?
मानसिक चिकित्सा के तहत मानसिक बीमारियों के लक्षण को कम करने के लिए दवाईयां दी जाती हैं ताकि मरीज को थेरेपी की प्रक्रिया में शामिल किया जा सके। ऐसी स्थिति में चार तरह की दवाईयां दी जाती हैं-
एंटीडिप्रेसेन्ट (अवसाद रोधी)
एंटीसाइकोटिक्स (मनोविकार नाशक)
एंग्जियोलाईटिक्स (घबराहट दूर करने के लिए) और हाइप्नोटिक्स (नींद की दवा)
मूड स्टेबलाइजर (मूड नियंत्रित करने वाली दवा)
स्टिमुलेंटस (सुस्ती कम करने और मनोदशा बेहतर करने वाली दवा)
पर्ची यानि प्रेस्क्रीप्शन के बिना मनोरोग की दवा खरीदना गैरकानूनी है। पर्ची केवल मनोचिकित्सक ही जारी कर सकते हैं।
थेरेपी क्या है?
थेरेपी वैज्ञानिक रूप से परीक्षण की गई प्रक्रियाओं का उपयोग करके किसी व्यक्ति को अपने विचारों और भावनाओं को नियंत्रित करने और स्वस्थ आदतों को विकसित करने में मदद करता है। यह काम सहानुभूति जताए बिना और मरीज को लेकर कोई धारणा बनाए बिना करना होता है ताकि वे अपनी समस्याओं के बारे में खुलकर बात कर सकें एवं कैसा महसूस कर रहे हैं यह बता सकें। इससे उन्हें बुरे विचार और व्यवहारों से उबरने में मदद मिलती है।
मानसिक अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति क्या है?
मानसिक रोग के इलाज के लिए किसी व्यक्ति को मानसिक अस्पताल में भर्ती कराए जाने की स्थिति को साइकियाट्रिक हॉस्पिटलाइजेशन कहा जाता है। यह अवधि कुछ दिनों से लेकर कुछ महीनों तक की हो सकती है और मरीज इलाज और देखरेख के लिए अस्पताल में रहता है। मानसिक अस्पताल एक सुरक्षित वातावरण प्रदान करते हैं जहां व्यक्ति व्यवस्थित ढांचे और थेरेपी की मदद से ठीक हो सकता है।
मनोचिकित्सक की बताई दवा लेना मैं कब बंद कर सकता हूं?
मनोचिकित्सक की सलाह के बिना कभी भी अपनी दवा को बंद नहीं करना चाहिए अन्यथा यह आपके मस्तिष्क पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है। जब आपको दवा की आवश्यकता नहीं होगी तब मनोचिकित्सक खुद ही आपकी दवा सुरक्षित रूप में बंद कर देंगे।
अधिकांश मानसिक बीमारियों के इलाज में अस्थायी रूप से ही दवा का प्रयोग होता है, हालांकि बाइपोलर डिसऑर्डर और स्कित्जोफ्रेनिया जैसी स्थितियों में लंबे समय तक दवाईयों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
क्या दवाईयां आपको भावनात्मक रूप से सुन्न बना देती हैं?
एक आम चिंता यह भी होती है कि मनोचिकित्सा की दवाईयां आपकी भावनाओं को सुन्न कर देती हैं। मानसिक रोग की दवाओं के कई दुष्प्रभाव हैं। यदि आप दवा लेने के बाद भावनात्मक तौर पर सुन्न महसूस कर रहे हों या अनिद्रा या कम कामेच्छा जैसे अन्य दुष्प्रभावों का सामना कर रहे हों तो आपको अपने मनोचिकित्सक से संपर्क करना चाहिए ताकि दवाईयों में बदलाव किया जा सके। दवाईयां आपकी समस्याओं को कम करने के लिए होती हैं। आपकी भावनाएं और आराम सबसे महत्वपूर्ण हैं।