मानसिक बीमारी की पहचान होने के बाद उसके उपचार के कई विकल्प उपलब्ध हैं। इलाज बीमारी और उसकी गंभीरता पर निर्भर करता है। यह आमतौर पर व्यक्ति की जरूरतों के मुताबिक होता है और इसे हर किसी पर लागू नहीं किया जा सकता है। किसी भी रूप में इलाज शुरू करने से पहले मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।
उपचार के विभिन्न प्रकार क्या हैं?
साइकोथेरेपी: मनोचिकित्सा के अधीन वैज्ञानिक रूप से मान्य प्रक्रियाओं के जरिए लोगों का इलाज होता है ताकि बीमार व्यक्ति अपने विचारों, भावनाओं को संभाल सकें और उनमें एक स्वस्थ व्यवहार प्रणाली विकसित करने में मदद मिल सके। चिकित्सक मरीज के साथ बैठकर उसके जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने की कोशिश करता है ताकि उसके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिए सुधार की संभावनाओं की पहचान की जा सकें। यह काम सहानुभूति जताए बिना और मरीज को लेकर कोई धारणा बनाए बिना किया जाता है।
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मनोचिकित्सीय इलाज: कुछ मामलों में मनोचिकित्सक मानसिक बीमारियों के लिए दवा लिखते हैं। उदाहरण के लिए यह अवसाद कम करने वाली, चिंता दूर करने वाली और मनोदशा स्थिर करने वाली दवाएं हो सकती हैं। यह दवा कितने दिन चलेगी यह बीमारी की गंभीरता पर निर्भर करता है। उपचार में अक्सर दवाईयों के साथ-साथ थेरपी भी शामिल होती है।
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थेरेपी के दूसरे रूप: मानसिक बीमारी के उपचार में कई वैकल्पिक थेरेपी का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। इनमें योग थेरेपी, एनिमल असिस्टिड थेरेपी और मूवमेंट थेरेपी शामिल हैं। इनका उपयोग अक्सर उपचार की मौजूदा प्रक्रिया के अलावा व्यक्ति के आरोग्यलाभ में सहायता के लिए किया जाता है।
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यदि किसी व्यक्ति को चिकित्सक की देखरेख की लगातार आवश्यकता हो तो इलाज के लिए उसे मानसिक अस्पताल में भर्ती कराने का विकल्प भी होता है। अस्पताल में व्यक्ति के रहने की अवधि उनके मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति के आधार पर कुछ दिनों से लेकर कुछ महीनों तक हो सकती है। ऐसे मामले में उपचार की प्रक्रिया अक्सर समान रहती है लेकिन यह प्रक्रिया कहीं ज्यादा व्यवस्थित ढंग से अस्पताल में उपलब्ध होती है।
भारत में मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम, 2017 में अपनी देखभाल खुद करने में सक्षम मरीज और देखभाल के लिए आश्रित मरीज के मानसिक अस्पताल में दाखिले के लिए प्रावधान तय हैं। मानसिक अस्पताल में भर्ती होने के बारे में और अधिक पढ़ें।