वृद्धों का शोषण कैसा होता है?

60 वर्ष की उम्र में, उमा ने अपने पति को खो दिया, जो उसके जीवन का प्रमुख स्तंभ था। वह अपने वयस्क बच्चों के साथ रहने चली गई, जिन्होंने पहले तो उसका बेहतर स्वागत किया। बहरहाल उस समय स्थिति काफी खराब हो गई जब उमा ने स्वयं को घर में अकेला पाया। बच्चों की अपेक्षा थी कि वह अपना ख्याल खुद रख लेगी जबकि उसकी शारीरिक स्थिति गंभीर थी। उसकी भोजन संबंधी आदतों पर भी प्रभाव पडा क्योंकि उसके बच्चों की जीवन शैली अलग थी। जल्दी ही, उमा ने पाया कि वह काफी छोटी छोटी चीजों के बारे में मांगने में हिचकिचाती है जैसे उसे पास के बगीचे में छोड़ देना आदि, इससे उसके बच्चे परेशान होने लगे। उनके पास उमा के साथ बिताने के लिये शायद ही कभी समय होता था, उसे मुख्य पारिवारिक निर्णयों में शायद ही शामिल किया जाता था। उमा को उपेक्षित, अकेलापन और निराशा जैसे विचारों ने घेर लिया। उसे पता नही था कि उसने क्या करना चाहिये।

इस कहानी को यहां पर इसलिये बताया गया है कि हम वास्तविक जीवन में इस मुद्दे को बेहतर तरीके से समझ सके।

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वृद्धों के शोषण के संबंध में यह कहा जाता है कि एक ही जैसा कार्य, या बार बार किया जाने वाला कार्य या गलत व्यवहार जो कि किसी भी संबंध के अन्तर्गत किया जाता है जहां पर विश्वास हो, जो किसी वृद्ध व्यक्ति को हानि पहुंचाएं या परेशान करे। हाल ही में हैल्पेज इन्डिया द्वारा किये गए सर्वेक्षण में यह पाया गया कि 50% वृद्धों द्वारा शोषण की शिकायत की गई है। बहरहाल जानकारों का यह कहना है कि बहुत से मामलों में बात बाहर नही आती है क्योंकि इस संबंध में सामाजिक विचार रिपोर्ट का समर्थन नही करते। शोषण मानसिक, शाब्दिक या लैंगिक हो सकता है और अनेक स्थितियों में शारीरिक हिंसा भी होती है। उपेक्षा करना भी एक प्रकार का शोषण है। अध्ययन यह बताता है, कि अधिकांश स्थितियों में जो व्यक्ति शोषण करता है, वह विश्वसनीय होता है – वयस्क बच्चे या परिवार के सदस्य जिनके साथ वृद्ध रहते हैं।

शोषण या उपेक्षा के चिन्ह क्या हैं?

·         भौतिक हिंसा के चिन्ह – दिखाई देने वाले चिन्ह जैसे कटना, हड्डी टूटना या हड्डी सरकना

·         कुपोषण के चिन्ह – भोजन की कमी के कारण

·         वरिष्ठों को अभद्र भाषा बोलना जैसे “सठिया गया बुड्ढा ....” आदि
 

·         व्यक्ति को बोझ, किसी काम का नही आदि कहना

·         उन्हे आर्थिक रुप से प्रतिबंधित करना और आवश्यक वस्तुएं देने से मना करना

·         उनकी स्वीकृति पर ध्यान नही देना या उन्हे परिवार के निर्णयों में शामिल नही करना

·         ऎसा भोजन देना जो उनके उम्र या दिये जाने वाले समय के अनुकूल नही हो

·         फटे कपडे और दुर्दशा (ध्यान नही रखना) जिसके कारण त्वचा में संक्रमण या घाव हो सकते हैं।

एक वृद्ध व्यक्ति की शारीरिक क्षमता कम होती है, मानसिक क्षमता भी प्रभावित होती है। अनुसंधान के अनुसार यह दिखाया गया है कि अधिकांश शोषण और उपेक्षा इसलिये होती है कि देखभाल करने वाले व्यक्ति को इस बारे में जानकारी नही होती और उन्हे यह पता नही होता कि सही देखभाल कैसे की जाती है। यह भी बात ध्यान देने योग्य है कि देखभाल करने वाला स्वयं परेशानी में होता है और वह वृद्ध व्यक्ति पर गुस्सा उतारता है क्योंकि उन्हे वे बेवजह और बोझ लगते हैं। इस प्रकार की स्थिति में देखभाल करने वालों को तुरंत व्यावसायिक मदद लेनी चाहिये।

शोषण कई बार आर्थिक कारणों से भी होता है। इस प्रकार के शोषण में वृद्ध व्यक्ति से छलपूर्वक, मनवाकर संपत्ति या आय के स्रोत स्वयं के नाम पर करवा लिये जाते है। इसके कारण वृद्ध व्यक्ति शोचनीय परिस्थिति में पहुंच जाते हैं और वे शोषक व्यक्ति पर निर्भर हो जाते हैं। कई बार वृद्ध व्यक्ति को कहीं बाहर शरण लेनी पड़ती है क्योंकि उनके पास स्वयं के लिये कुछ भी नही बचता

कई बार किसी वृद्ध व्यक्ति को देखभाल करने वाला इसलिये भी शोषित करता है क्योंकि उसके बचपन में इसी व्यक्ति ने देखभाल करने वाले व्यक्ति को खूब सताया था।

वृद्ध व्यक्ति शोषण की रिपोर्ट क्यों नही करते

जिस व्यक्ति द्वारा शोषण का अनुभव किया जा रहा है, उसे अस्वीकृत, शर्मिन्दा, असहाय और स्वयं ही दोषी मान लिया जाता है। वे अपने आप को इस अनुभव से गुजारना नही चाहते। उन्हे अपने अनुभव, अपने गिरते आत्म सम्मान की चिन्ता होती है। इसके कारण आगे चलकर अवसाद जैसे लक्षण सामने आते हैं। कई बार व्यग्रता भी होती है। शोषण का दूसरा प्रकार स्वयं को अपराधी मानना और मृत्यु की कामना करना होता है। किसी भी प्रकार के शोषण का प्रभाव व्यक्ति पर मानसिक रुप से जबर्दस्त होता है।  इसलिये मानसिक स्वास्थ्यकर्मी से इन स्थितियों में मदद लेना या इस कारण के लिये सामाजिक कार्य को करने वाले भी मदद कर सकते हैं।

यदि आपको लगता है कि आपका शोषण हो रहा है या आपके आस पास किसी को यह समस्या है, तब आप हमारी वयस्क हैल्पलाईन 1090 पर कॉल कर सकते हैं जो नाईटैंगल मेडिकल ट्रस्ट द्वारा चलाई जाती है

सन्दर्भ

1.https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4961478/

2.http://www.sciencedirect.com/science/article/pii/S0140673604171444

डॉ संतोष लोगान्थन, एनआईएमएचएएनएस से प्राप्त जानकारी के अनुसार।

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