शराब की लतः मिथक और तथ्य

शराब की लतः मिथक और तथ्य

मिथक: शराब की लत लगना और फिर ऐसे ही बने रहना मर्ज़ी का मामला है.

तथ्यः शराब का नशा महज़ मर्ज़ी का मामला नहीं है। शराब पीना भले ही किसी व्यक्ति की इच्छा पर निर्भर है लेकिन इसकी लत लगने की उसकी प्रवृत्ति बहुत सारे और ज़्यादा जटिल कारकों पर निर्भर है। कोई भी व्यक्ति विभिन्न पर्यावरणीय और आनुवंशिक वजहों से शराब पर निर्भर होता है और मर्ज़ी का इसमें बहुत ही कम रोल है.

मिथक: मैं जितनी ज़्यादा चाहूँ उतनी शराब पी सकता हूँ और मुझे नशा नहीं होता है.

तथ्यः शराब का असर व्यक्ति के शरीर पर पड़ता है। शराब उसके मस्तिष्क के काम करने के तरीक़े में बदलाव कर देती है। हर व्यक्ति की अपनी एक सीमा है (जो निर्भर करती है लंबाई, वजन, लिंग और आनुवंशिकी पर) जो ये तय करती है कि बेसुध होने से पहले वह कितनी शराब झेल सकता है। फिर भी, आपको अगर लगता है कि पूरे सुरूर में आने के लिए आपको पहले की अपेक्षा ज़्यादा शराब की ज़रूरत पड़ रही है तो इसका मतलब ये है कि आपमें शराब को सहन करने की क्षमता बढ़ गई है। यही क्षमता ही, शराब की लत का एक चिन्ह है और आपको मदद की ज़रूरत पड़ सकती है.

मिथक: मैं कितना भी शराब क्यों न पी लूँ, उसके बाद कॉफ़ी पी लेने से मैं फ़ौरन सामान्य हो जाता हूँ।

तथ्यः औसत मानव शरीर प्रति घंटे में औसतन एक ड्रिंक को ही पचा पाता है। जब आप एक घंटे में एक ही ड्रिंक लेते हैं, तो आपका यकृत(लीवर) शराब के विषाक्त पदार्थों को हटाने में सफल रहता है। जैसे जैसे आप ज़्यादा ड्रिंक लेते हैं, तो आपका यकृत उस भार को सहन नहीं कर पाता और शराब आपके शरीर के अंदर ही रह जाती है। कॉफ़ी पीकर आप भले ही सामान्य हो जाएँ लेकिन शराब शरीर में ही रहती है और उसे बाहर निकलने के लिए समय की ज़रूरत होती है.

मिथक: मैं जब चाहूँ तब शराब छोड़ सकता हूँ, बस मैंने अभी ये फ़ैसला नहीं लिया है.

तथ्यः अगर आप लंबे समय से पीते आ रहे हैं और पाते हैं कि उस पर निर्भर हैं, तो इस बात की संभावनाएँ हैं कि आप अपनी लत पर नियंत्रण न रख पाएँ। इस लत से छुटकारा पाना महज़ ना कह देने से कहीं ज़्यादा ज़रूरी है। अगर आपको लगता है कि आपमें ये समस्या है तो मदद लीजिए.

मिथक: मेरे नशा निवारण के लिए पुनर्वास योजना और इलाज के बाद, मैं अब जान गया हूँ कि शराब से कैसे दूर रहना है। मुझे यक़ीन है कि एक या दो पैग से मेरा नुक़सान नहीं होगा.

तथ्यः शराब से छुटकारा पाने की प्रक्रिया ज़िंदगी भर चलती रह सकती है। आपके इलाज और पुनर्वास के बाद आपको उन हालातों पर नज़र रखनी होती है जिनमें वापस ये लत लौटने की आशंका रहती है। इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि आप कितने लंबे समये से बिना शराब के हैं, क्योंकि इस बात की बराबर संभावना भी बनी रहती है कि जहाँ आपने एक पेग लिया वहाँ से आप फिर से रिलैप्स के शिकंजे में जा सकते हैं। यानि आदत फिर से लग सकती है। अगर आप सोचते हैं कि आप ऐसी स्थिति में हैं जहाँ आदत के फिर से लौट आने की आशंका है तो अपने डॉक्टर या थेरेपिस्ट की मदद लीजिए.

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