डाउन सिंड्रोम
डाउन सिंड्रोम किसे कहते हैं?
डाउन सिंड्रोम एक आनुवंशिक या क्रोमोसोम जनित विकार है और ये एक जीवनपर्यन्त स्थिति है जो शरीर में क्रोमोसोम्स का एक अतिरिक्त जोड़ा बन जाने से होती है. सामान्य रूप से शिशु 46 क्रोमोसोम के साथ पैदा होते हैं. 23 क्रोमोसोम का एक सेट शिशु अपने पिता से और 23 क्रोमोसोम का एक सेट वे अपनी मां से ग्रहण करते हैं. डाउन सिंड्रोम से पीड़ित शिशु में एक अतिरिक्त 21वीं क्रोमोसोम आ जाता है जिससे उसके शरीर में क्रोमोसोम्स की संख्या बढ़कर 47 हो जाती है. ये आनुवंशिक तब्दीली शारीरिक विकास और मस्तिष्क के विकास के गति को धीमा कर देती है और शिशु में मद्धम से औसत बौद्धिक विकलांगता का कारण बनती है
नोट: क्रोमसोम की एक अतिरिक्त प्रति के लिए चिकित्सा पदावली है “ट्राइसोमी.” डाइन सिंड्रोम को ट्राइसोमी 21 भी कहा जाता है.
डाउन सिंड्रोम के चिन्ह क्या हैं?
डाउन सिंड्रोम के चिन्ह और इस बीमारी की गंभीरता बच्चे में अलग अलग हो सकती है. कुछ बच् काफ़ी स्वस्थ हो सकते हैं जबकि कुछ को शारीरिक और बौद्धिक विकास से जुड़ी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं.
डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों में विकास देरी से होता है और सामान्य शारीरिक विकास वाले बच्चों की अपेक्षा डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों में विकास काफ़ी देर से हो पाता है.
डाउन सिंड्रोम की कुछ सामान्य विशेषताएं इस तरह से है:
चपटा चेहरा, ख़ासकर नाक की चपटी नोक
ऊपर की ओर झुकी हुई आंखें
छोटी गर्दन और छोटे कान
मुंह से बाहर निकलती रहने वाली जीभ
मांसपेशियों में कमज़ोरी, ढीले जोड़ और अत्यधिक लचीलापन
चौड़े, छोटे हाथ, हथेली में एक लकीर
अपेक्षाकृत छोटी अंगुलियां, छोटे हाथ और पांव
छोटा कद
आंख की पुतली में छोटे सफेद धब्बे
डाउन सिंड्रोम की वजह क्या है?
डाउन सिंड्रोम शरीर में क्रोमोसोम्स की असामान्य संख्या की वजह से होता है. सामान्य तौर पर व्यक्ति के शरीर में 46 क्रोमोसोम्स होते हैं लेकिन डाउन सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति में 47 क्रोमोसोम आ जाते हैं. क्रोमोसोम का एक अतिरिक्त जोड़ा शरीर और मस्तिष्क के विकास को प्रभावित करता है.
नोटः डाउन सिंड्रोम किसी पर्यावरणयी, जातीय, सांस्कृतिक, या बौद्धिक कारणों से नहीं होता है.
नीचे लिखी किसी एक आनुवंशिक तब्दीली से डाउन सिंड्रोम हो सकता हैः
ट्राइसोमी 21: शरीर में क्रोमोसोम की अतिरिक्त प्रति को परिभाषित करने वाली चिकित्सा टर्म. ये पाया गया है कि डाउन सिंड्रोम के 96 फीसदी मामले, व्यक्ति की सभी कोशिकाओं में क्रोमोसोम 21 की इसी अतिरिक्त प्रति की वजह से होते हैं.
मोज़ेक डाउन सिंड्रोम: ये विकार की एक दुर्लभ किस्म है जिसमें सिर्फ़ कुछ कोशिकाओं में ही क्रोमोसोम 21 आ पाता है. निषेचन के बाद होने वाले कोषिका विभाजन में कुछ सामान्य कोशिकाएं निर्मित होती हैं तो कुछ असामान्य कोशिकाएं.
ट्रांसलोकेशन डाउन सिंड्रोमः इस विकार में क्रोमोसोम 21 का एक हिस्सा टूटकर अन्य क्रोमोसोम से जुड़ जाता है यानी वहां स्थापित हो जाता है. ये वो अकेला विकार है जो माता या पिता ये बच्चे में आ सकता है. यहां मां या पिता इस आनुवंशिक सामग्री के वाहक होते हैं लेकिन वे सामान्य और स्वस्थ होते हैं. वे इस आनुवंशिक स्थिति को अपने बच्चों में पास कर सकते हैं जिससे डाउन सिंड्रोम हो सकता है.
इस अतिरिक्त आनुवंशिक सामग्री को पास करने की संभावना इस बात पर भी निर्भर करती है कि माता या पिता में सो कौन इस पुनर्विन्यस्त क्रोमोसोम 21 का वाहक हैः
अगर पिता वाहक है तो जोखिम करीब तीन फीसदी का रहता है.
अगर मां वाहक है तो जोखिम 10-15 फीसदी का रहता है.
डाउन सिंड्रोम की क्या जटिलताएं होती हैं?
डाउन सिंड्रोम वाले कुछ बच्चों में जन्म से जुड़ी कुछ खास विकृतियां या चिकित्सा समस्याएं हो सकती हैं. डॉक्टर और विशेषज्ञ इन मामलों पर बच्चों की निगरानी करते हैं और ज़रूरी उपचार और दखल मुहैया कराते हैं.
डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों में निम्न समस्याएं आ सकती हैं:
सुनने की क्षमता न रहना
कानों का संक्रमण
चश्मा लगाने की ज़रूरत या मोतियाबिंद जैसी आंख की तक़लीफ़
जन्म के समय दिल में कुछ विकृति
थायरॉयड
आंतों में अवरोध जिसमें सर्जरी की ज़रूरत पड़ती है
अनीमीआ यानी रक्तक्षीणता
जन्म के समय या शुरुआती बचपन के दौरान लूकीमीआ (अधिश्वेत रक्तता)
मोटापा
डाउन सिंड्रोम का प्रबंधन कैसे कर सकते हैं?
डाउन सिंड्रोम एक जीवनपर्यंत की स्थिति है. शुरुआती हस्तक्षेप, उपचार या थेरेपी से बच्चे के जीवन की गुणवत्ता में बेहतर सुधार लाया जा सकता है.
इलाज केंद्रित होता है नियमित मेडिकल चेकअप और हस्तक्षेप कार्यक्रमों के इस्तेमाल पर जिनसे बच्चे के शारीरिक और बौद्धिक विकास में मदद मिले.
नोटः डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों के सुनने और देखने की क्षमता का नियमित चेकअप किया जाना चाहिए क्योंकि बच्चों में सुनने और देखने की समस्या उनके जीवन में किसी भी वक्त आ सकती है.
शुरुआती हस्तक्षेप कार्यक्रमः इसमें मिलेजुले रूप से वे कार्यक्रम होते हैं जो संवेदी, मोटर और संज्ञानात्मक क्रियाकलापों को उद्दीप्त करते हैं या उनमें सुधार करते हैं. विशेष शिक्षकों की टीम, बालरोग विशेषज्ञ, फ़िज़ीयोथेरेपिस्ट, ऑक्युपेश्नल थेरेपिस्ट और स्पीच थेरेपिस्ट इस कार्यक्रम के संचालन में एक साथ काम करते हैं. वे बच्चों की भाषा और उनके सामाजिक और आत्मनिर्भर कौशलों के विकास के लिए भी काम करते हैं.
डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चे की देखरेख
माता पिता या अभिभावक को जब पता चलता है कि उनका बच्चा डाउन सिंड्रोम का शिकार है तो वे बहुत दुखी और व्याकुल हो जाते हैं. उन्हें इस स्थिति को स्वीकार करने में समय लग जाता है. लेकिन धीरे धीरे उनमें बच्चों की देखरेख को लेकर और उन्हें क्रियाशील और उत्पादक जीवन बिताने में मदद करने की सामर्थ्य और उद्देश्य की भावना आती जाती है. ये बुद्धिमता और परिज्ञान किसी आम आदमी की समझ से आगे की होती है. उनका अगला काम होता है अपने प्रिय बच्चे के लिए सर्वश्रेष्ठ संभव हस्तक्षेप और इलाज मुहैया कराना.
नोट: डर का सबसे उपयुक्त प्रतिकार है सूचना और सहायता. डाउन सिंड्रोम की बेहतर समझ और शुरुआती हस्तक्षेप आपके बच्चे के जीवन की गुणवत्ता में बड़ा इज़ाफ़ा कर सकती है.
आप इनमें से कुछ सुझावों पर अपने बच्चे की देखरेख के लिए विचार कर सकते हैं:
हस्तक्षेप कार्यक्रमः विश्वस्त पेशेवरों की टीम की तलाश कर उपचार के तरीकों का फ़ैसला कीजिए. टीम की सहायता में शामिल होइए ताकि आप इस गतिविधि को घर पर भी जारी रख सकें.
मदद लीजिएः इसी तरह की समस्या से जूझ रहे अन्य परिवारों से मिलिए. एक सहायता समूह में शामिल होइए और डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों के मातापिता से जुड़िए. परिवार औक दोस्त, समझदारी और सहायता के स्रोत हो सकते हैं.
चमकीले भविष्य की उम्मीद कीजिए और उसकी तैयारी कीजिएः डाउन सिंड्रोम वाले अधिकांश बच्चे स्वतंत्र रूप से अपने रोज़मर्रा के काम खुद करना सीख जाते हैं, वे मुख्यधारा के स्कूलों में जाते हैं. पढ़ते और लिखते हैं, नौकरियां करते हैं और एक मुकम्मल जीवन जीते हैं.
बच्चे की सामर्थ्य और प्रतिभा को अधिकतम कीजिएः सामान्य रूप से, डाउन सिंड्रों से पीड़ित बच्चों में औसत से अधिक बुद्धिमता रहती है और वे कुछ विशिष्ट प्रतिभाओं से लैस और कौशलसंपन्न होते हैं. मिसाल के लिए, ऐसे बच्चे तैराकी, नृत्य, साइक्लिंग आदि में बहुत अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं. अभिभावक ऐसे तरीकें ढूंढ सकते हैं जिनके ज़रिए बच्चे इन कौशलों का इस्तेमाल कर अपने मन की गतिविधियों का आनंद ले सकते हैं और एक स्वस्थ और ख़ुशहाल ज़िंदगी बिता सकते हैं.
डाउन सिंड्रोम से प्रभावित होने के क्या ख़तरे हो सकते हैं?
विशेषज्ञ इस बात से अंजान हैं कि क्रोमोसोम की संख्या में बढ़ोतरी कैसे और क्यों होती है लेकिन वे रिस्क फैक्टरों के बारे में बताते ही हैं जिनसे मां का डाउन सिंड्रोम से ग्रस्त बच्चे को जन्म देने की आशंका बढ़ सकती है
कुछ रिस्क फ़ैक्टर इस तरह से हैं:
डॉक्टर ये पाते हैं कि लेट प्रेग्नेंसी (35 साल या उससे ज़्यादा) के दौरान जोखिम बढ़ जाता है क्योंकि पुराने अंडाणुओं में असंगत क्रोमोसोम विभाजन का ज़्यादा ख़तरा रहता है.
अगर पहले बच्चे को डाउन सिंड्रोम है, तो दूसरे बच्चे में भी इसका ख़तरा बढ़ जाता है.
अगर माता पिता में से कोई एक अतिरिक्त आनुवंशिक सामग्री का वाहक है तो ये बच्चे में आएगा और उसे डाउन सिंड्रोम हो जाने की आशंका ज़्यादा रहेगी.
क्या डाउन सिंड्रोम को रोका जा सकता है?
डाउन सिंड्रोम को रोका नहीं जा सकता है लेकिन अगर आप डाउन सिंड्रोम वाले शिशु को जन्म देने की आशंका के दायरे में आते हैं या आप इस विकार से पीड़ित बच्चे के माता या पिता है तो दूसरा बच्चा पैदा करने की योजना बनाने से पहले आपको किसी आनुवंशिक काउंसलर से मिलना पड़ सकता है. काउंसलर डाउन सिंड्रोम वाले बच्चे की पैदाइश की आशंका को समझने में आपकी मदद कर सकते हैं. और इस हालात से निपटने के लिए क्या किया जा सकता है, इसमें भी मदद कर सकते हैं. वे जन्मपूर्व परीक्षणों और उनके नतीजों के बारे में भी समझा सकते हैं.