लोग को ऊँचाइयों से डर क्यों लगता हैं?

लोग को ऊँचाइयों से डर क्यों लगता हैं?

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खन्ना परिवार का खूबसूरत पेंटहाउस 12वीं मंजिल पर स्थित था और अपने विशाल छत में हर दूसरे सप्ताह वे पार्टी आयोजन करते थे। उनके सभी दोस्त पार्टी में शामिल होते और मज़े करते। लेकिन, राजेश और नीतू शर्मा, हर बार न आने के बहाने करते। ऐसा कई बार होने के बाद, मिस्टर और मिसेस खन्ना ने उनके घर जा कर उनसे पूछने का फैसला किया कि आखिर मसला क्या है। हलकी-फुलकी बातचीत के बाद, अंततः मुद्दा चर्चे में आ गया। तब जाकर नीतू ने, शर्मिंदा होकर, उन्हें अपने ऊँची जगहों के चरम डर के बारे में बताया। खन्ना जी ने उसे आश्वस्त किया कि इसमें शर्मिंदा होने वाली कोई बात नहीं है और यह एक फोबिया हो सकता है, जिसका इलाज संभव है। उनका एक पड़ोसी मनोवैज्ञानिक था। उन्होंने नीतू को उससे संपर्क स्थापित करने में मदद करने का वादा किया।

ज्यादातर लोग किसी ऊँची जगह से निचे देखने पर सिहरन और उत्कंठित महसूस करते हैं। कुछ लोगों के लिए यह एक चरम और तर्कहीन डर है, जहां व्यक्ति बहुमंजिला घर के अंदर आरामदायक रूप से रहकर भी घबरा सकता है। जब यह किसी व्यक्ति के जीवन और गतिविधियों को सीमित करने लगता है, तो यह एक समस्या बन जाती है। पीड़ित ऐसी परिस्थितियों से बचने की कोशिश कर सकता है जैसे की किसी ऊँची मंजिल पर रह रहे लोगो से मिलने न जाना, किसी ऊँची मंजिल पर स्थित कार्यस्थल में नौकरी न लेना, हवाई यात्रा, इत्यादि। ये तो कुछ ही उदाहरण है। ऐसी  परिस्थितियों में एक्रोफोबिया से पीड़ित लोग में निम्नलिखित लक्षण देखे जा सकते हैं:

• दिल की धड़कन की रफ़्तार तेज होना

• चक्कर आना और जी मचलना

• नियंत्रण खोने का एहसास

• साँस लेने में दिक्कत होना

• घबराहट के दौरे

एक्रोफोबिया के कारण

जबकि ज्यादातर लोगों को गिरने का सामान्य डर होता है, एक्रोफोबिया ऊँचाइयों का चरम और तर्कहीन डर है। ज्यादातर मामलों में अतीत के किसी ऊँचाई या गिरने के अनुभव से जुड़े भावनात्मक आघात को इसका कारण माना जाता है। यह एक ऐसी घटना हो सकती जिससे पीड़ित अपने बचपन में गुजरा हो या ऐसी किसी घटना को घटित होते देखा हो।

इलाज

एक्रोफोबिया के उपचार के लिए चिकित्सा और दवा के संयोजन की जरुरत है, और यह समस्या की गंभीरता पर भी निर्भर करता है। जबकि उत्कंठा के लक्षणों के इलाज के लिए दवा का प्रयोग होता है, थेरेपी के माध्यम से धीरे-धीरे विसुग्राहीकरण करना मुख्य घटक है। संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (सीबीटी) आमतौर पर प्रयोग किया जाता है जहां व्यक्ति डर को सक्रिय करने वाले कारकों के संपर्क में आता है और घबराहट की प्रतिक्रिया को रोकने के तरीकों को सिखाता है।

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