दास्तानः मैं अपनी बहन के अप्रत्याशित व्यहवार को समझ नहीं पाती थी
डायबिटीज़ या हृदय रोग की तरह, बैपोलर डिसॉर्डर एक लंबी अवधि की बीमारी है और इसका इलाज किए जाने की ज़रूरत है.
मैं बैपोलर डिसॉर्डर के बारे में नहीं जानती थी. एक दिन मेरी बहन में इसकी पहचान की गई. मेरी बहन ने अपनी पढ़ाई ख़त्म करने के बाद शिक्षिका की नौकरी कर ली थी. जब वो क़रीब 24 साल की थी, हमारे परिवार ने उसके व्यवहार में बदलाव नोट किया. वो रात में बामुश्किल सो पाती थी. हम हर रात उसकी आवाज़ें सुनते थे. वो अपने कमरे में फ़र्नीचर को इधर से उधर करती रहती थी.
कुछ मौकों पर, हमने नोट किया कि वह बहुत तेज़ गति से बोलने लगी थी और उसके कई सारे शब्द बेमतलब के होते थे. वह कई कई दिनों तक बिना नहाए रह लेती थी और स्कूल जाते हुए अनुचित कपड़े पहन लेती थी जबकि वह जानती थी टीचरों के लिए एक ड्रेस कोड था. उसके व्यवहार में ख़ासा बदलाव आ गया था क्योंकि वह बिना किसी वजह के उग्र भी होने लगी थी. मेरी वो बहन नहीं थी जिसे मैं जानती थी. वह बदली हुई थी.
कुछ दिन बाद, स्कूल की प्रिंसिपल ने मेरे मातापिता को बुलाया और मेरी बहन के बदले हुए व्यवहार के बारे में उनसे शिकायत की. उसकी हालत में कोई सुधार न देखकर, स्कूल प्रबंधन ने उसे इस्तीफ़ा देने को कह दिया. एक दिन वह हिंसक हो उठी और माँ के साथ बिना बात पर झगड़ पड़ी. उसी समय हमने मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से मिलने का फ़ैसला कर लिया और उसे अस्पताल में भर्ती करा दिया.
अस्पताल में वह कहती थी कि वह स्वर्ग से आई एक विशेष दूत है और डॉक्टरों से उसे छुट्टी देनी होगी. इन सारे लक्षणों के आकलन और उसकी मेडिकल हिस्ट्री के अध्ययन के बाद, डॉक्टरों ने उसकी दशका को बैपोलर डिसॉर्डर के रूप में चिंहित कर दवाओं से उसका इलाज शुरू किया. वह एक महीना अस्पताल में रही. आखिरकार जब डॉक्टरों को संतोष हो गया है कि वह अब शांत चित्त हो गई है तो उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई और हमने भी देखा कि उसका पिछले कुछ महीनों का व्यवहार बंद हो गया है तो हमें राहत मिली.
अस्पताल से डिस्चार्ज किए जाने के बाद, शुरुआत में वो दवाएँ लेने से इंकार करती रही और फिर उसे और दो सप्ताहों के लिए अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. इस बार जब उसे छुट्टी दी गई तो उसने महसूस किया कि दवाएँ लेना उसके लिए बेहतर है जिससे वह अपने लक्षणों पर नियंत्रण रख सके और अपनी हालत को सुधार सके.
उसने विशेष शिक्षा में अपना सर्टिफ़िकेट कोर्स पूरा किया और अब एक छोटे स्कूल में काम करती है. उसे फिर से अस्पताल में भर्ती करने की ज़रूरत नहीं पड़ी. वो अब शादीशुदा है और उसका एक बच्चा है.
ये दास्तान, मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मदद से तैयार किया गया है. बहुत सारे मरीज़ों के लक्षणों और विवरणों के आधार पर इसे तैयार किया गया है. ये दास्तान किसी एक ख़ास व्यक्ति की नहीं है बल्कि ये इस तरह के चिंता रोग से पीड़ित किसी भी व्यक्ति की दास्तान का प्रतिनिधित्व करती है.