नॉन वर्बल लर्निंग डिसेबिलिटी
नॉन वर्बल लर्निंग डिसेबिलिटी क्या है?
नॉन वर्बल लर्निंग डिसेबिलिटी (एनवीएलडी) या गैर मौखिक सीखने की अक्षमता एक ऐसी स्थिति है जो निराकार सोच और स्थानिक संबंधों (तीन आयामी दुनिया में चीज़ों को छू कर या देख कर पता लगाना) जैसे कौशल को प्रभावित करती है।
अक्सर, सीखने की अक्षमता को पढ़ने, लिखने या हिसाब लगाने में मुश्किल से जोड़ा जाता है, लेकिन एनवीएलडी वाले बच्चों में ऐसे कौशल या योग्यता की कमी नहीं होती है। एनवीएलडी वाले बच्चों को चेहरे के भाव, आवाज की टोन या शारीरिक हाव-भाव जैसे गैर-मौखिक संकेतों को पहचानने और समझने में मुश्किल होती है। एनवीएलडी सीखने की क्षमता को कुछ हद तक प्रभावित करता है और एक बच्चे के सामाजिक जीवन को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।
एनवीएलडी वाले कुछ बच्चों में भाषा का ज्ञान अच्छा होता है लेकिन जानकारी को श्रेणीबद्ध करने और जटिल अवधारणाओं को समझने में मुश्किल होती है। एनवीएलडी वाले बच्चे बातें खूब करते हैं लेकिन सामाजिक संकेतों को समझने में चूक जाते हैं। इससे सामाजिक स्थितियों में गलतफहमी पैदा हो सकती है।
एनवीएलडी के संकेत क्या हैं?
एनवीएलडी के लक्षणों में मुख्य रूप से सामाजिक कौशल की कमी और गैर-मौखिक संचार में मुश्किल शामिल हैं। इसके साथ ही साथ दूसरे संकेत भी हो सकते हैं। एनवीएलडी वाले बच्चे:
जानकारी याद रख लेते है लेकिन यह नहीं जानते कि वह जानकारी जरुरी क्यों है
शब्दों को समझने में दिक्कतें आती हैं
बात करते-करते अचानक विषय को बदल देते हैं
सामाजिक रूप से सूचना और संचार को उचित तरीके से साझा नहीं कर पाते हैं
छोटे विवरणों पर ध्यान देते है लेकिन मुद्दे को समझने में चूक जाते हैं
मुद्दे के निराकार रूप को सोचने में सक्षम नहीं होते
अजीब या असयोंजित होते हैं
सामाजिक संकेत जैसे की मौखिक और / या गैर-मौखिक अभिव्यक्ति को समझ नहीं पाते
लोगों के बहुत करीब खड़े हो जाते हैं
सामाजिक कौशल कमजोर होते हैं
परिवर्तनों को समायोजित करने में परेशानी महसूस करते हैं
माता-पिता और दूसरे देखभालकर्ताओं पर जरुरत से ज्यादा निर्भर रहते हैं
एनवीएलडी बच्चे को कैसे प्रभावित करता है?
एनवीएलडी का हर बच्चे पर असर अलग तरह का होता है मगर यह कुछ कौशल हैं जो प्रभावित होते हैं:
संकल्पनात्मक कौशल: इन्हें बड़ी अवधारणाओं, समस्या-समाधान और कारण-और-प्रभाव संबंधों को समझने में परेशानी हो सकती है
मोटर कौशल: इन्हें तालमेल और हलन-चलन में मुश्किल का एहसास हो सकता है
दृश्य-स्थानिक कौशल: इन्हें दृश्यात्मक छायांकन, दृश्य प्रसंस्करण और स्थानिक संबंधों में परेशानी हो सकती है
सामाजिक कौशल: सामाजिक संकेतों को समझने और सामाजिक माहौल में उचित तरीके से बातचीत करने में मुश्किल हो सकती है। वे व्यंग्य या चिढ़ाने को समझ नहीं सकते।
निराकार सोच: इन्हें समझ-बूझ कर पढ़ने और मुद्दे को समझने में परेशानी हो सकती है। एनवीएलडी वाले बच्चे विवरण को अच्छे से याद रख लेते हैं लेकिन अंतर्निहित अवधारणाओं को नहीं समझ पाते हैं। उन्हें अपने विचारों को व्यवस्थित करने में भी परेशानी हो सकती है।
एनवीएलडी का क्या कारण है?
एनवीएलडी का सटीक कारण अभी भी अज्ञात है। हाल के ज्यादातर सिद्धांत इसे दिमाग के विभिन्न हिस्सों में कार्यशीलता और जानकारी के प्रसंस्करण से जुड़ी मुश्किलों से जोड़ते हैं।
एनवीएलडी की पहचान करना
एनवीएलडी की पहचान करना अक्सर मुश्किल हो सकता है। सिखने की इस अक्षमता का निदान करना एक बहु-चरणीय प्रक्रिया है। इसमें विभिन्न स्वास्थ्य पेशेवर शामिल हो सकते हैं:
बच्चों का चिकित्सक: एक बच्चों का चिकित्सक लक्षणों की पहचान कर सकता है और अगर मनोवैज्ञानिक से परामर्श करने की आवश्यकता हो तो इसके लिए सिफारिश कर सकता है।
मनोवैज्ञानिक: एक मनोवैज्ञानिक प्रभावित हुए कौशलों को मापने के लिए कई तरह की जांच और आकलन को संचालित कर सकता है और यह पहचान सकता है कि बच्चे को एनवीएलडी है या नहीं। इनमें बोली और भाषा परीक्षण, दृश्य-स्थानिक संगठन परीक्षण और सही और सकल मोटर गतिविधि के परीक्षण शामिल हैं।
एनवीएलडी वाले बच्चे बुद्धिमत्ता पूर्ण हो सकते हैं खासकर अगर उनके मौखिक कौशल अच्छे हों। हालांकि उनकी याददाश्त अच्छी हो सकती है मगर वे जो पढ़ रहे हैं उससे निष्कर्ष निकालने में परेशानी हो सकती है। जैसे-जैसे ये बच्चे बड़े होते हैं इनके लक्षण और ज्यादा पहचाने जा सकते है क्योंकि उन्हें एहसास होने लगता है कि स्थितियों की उनकी धारणा उनके दोस्तों और साथियों से अलग है। ऐसे में क्या करना चाहिए यह नहीं समझ पाने पर वे असहाय महसूस कर सकते हैं।
जितनी जल्दी इस मुद्दे का पता चलेउतनी जल्दी इसका उपचार और कार्यनीतियों की खोजकीजा सकती है। इससे बच्चे को सामाजिक कौशल बनाने और उत्कंठा से मुक्त होने में मददमिल सकती है।
एनवीएलडी का उपचार
निम्नलिखित कार्यनीतियाँ एनवीएलडी लक्षणों वाले बच्चों के लिए मददगार हो सकते हैं:
सामाजिक कौशल समूह: यह एक समूह है जिसमें बच्चों को एक प्रशिक्षित चिकित्सक या पेशेवर की उपस्थिति में विशिष्ट सामाजिक कौशल (बातचीत में शामिल होने, चिढ़ाए जाने पर प्रतिक्रिया देना) सीखने में मदद की जाती है।
अभिभावक का व्यवहार प्रशिक्षण: अभिभावक का व्यवहार प्रशिक्षण माता-पिता को सकारात्मक सुदृढीकरण विधियाँ सिखाता है जिससे सीखने की अक्षमता और बचपन के अन्य विकारों से पीड़ित बच्चों के व्यवहार को सुधारा जा सके।
ऑक्यूपेशनलथेरेपी: बाहरी अनुभवों के लिए सहिष्णुता बनाने में मदद करता है।