ऑर्थोरेक्सिया- नए क़िस्म का भोजन विकार

एक विकार जिसमें स्वस्थ भोजन के प्रति आसक्ति एक अस्वस्थ आदत बन सकती है
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ऑर्थोरेक्सिया क्या है?

हममें से कुछ लोग ऐसे हैं जो इस बात पर ध्यान नहीं देते हैं कि क्या खाएं, और ऐसे लोग भी हैं जो इस मामले में सख़्त होते हैं और अपने खाने और अपनी डाइट को लेकर बहुत सावधान रहते हैं. स्वस्थ डाइट दीर्घ अवधि में लाभदायक रहती है. लेकिन कुछ लोगों के लिए ये अस्वस्थ आसक्ति बन जाती है.

ऑर्थोरेक्सिया से पीड़ित लोग अपने भोजन की गुणवत्ता और मात्रा को लेकर बहुत ज़्यादा तयशुदा रहते है, भोजन में शामिल तत्वों की शुद्धता से लेकर, उसके हिस्से और यहां तक की समय की भी पूरी स्क्रूटनी करते हैं. इससे उनमें खुद को सही दिखआने की भावना आती है और अन्य लोगों से एक नकली श्रेष्ठता का आभास भी होता हैः वे अपनी सही भोजन आदतों को लेकर गौरवान्वित महसूस करते हैं. ये ऑब्सेशन समय के साथ और जड़ पकड़ता जाता है, व्यक्ति का दूसरी चीज़ों के प्रति रुचि खत्म होती जाती है, और उसके सामाजिक संबंधों पर भी असर पड़ने लगता है. जब भी ऐसे लोग अपने नियम का कड़ाई से पालन नहीं कर पाते या स्वादवश अपने नियम से बाहर कुछ खा लेते हैं तो वे खुद को सख्त डाइट या निराहार रहकर सज़ा देते हैं.

डायगनोस्टिक एंड स्टैट्सिटिकल मैनुअल ऑफ़ मेंटल डिसऑर्डर्स (डीएसएम) या द इंटरनेशनल क्लासीफ़िकेशन ऑफ़ डिज़ीसस (आईसीडी) के अंतर्गत, ऑर्थोरेक्सिया आधिकारिक रूप से मान्य भोजन विकार नहीं है. लेकिन इस विकार के लक्षणों के पीड़ित लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है. समय के साथ. उनका भोजन और डाइट प्रतिबंधित होती चली जाती है. और स्वास्थ्य बढ़ाने के मक़सद से शुरू हुई कोशिश दरअसल उसका नुकसान ही करने लगती है. समय के साथ ऑर्थोरेक्सिया शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कमज़ोर कर देता है, हड्डियां कमज़ोर पड़ जाती है और शरीर की कार्यक्षमता में गिरावट आ जाती है.

ऑर्थोरेक्सिया के लक्षण क्या है?

ऑर्थोरेक्सिया के सबसे सामान्य लक्षण इस तरह से हैं:

  • ऑर्थोरेक्सिया से पीड़ित लोग ऐसा कोई भी भोजन नहीं करते हैं जो उन्होंने ख़ुद तैयार न किया हो या जो उनकी डायटरी योजना के अनुकूल न हो. मिसाल के लिए वो किसी बर्थ डे पार्टी में केक का एख टुकड़ा खाने से भी मना कर सकते हैं.
  • वे सामाजिक कार्यक्रमों और जलसों में जाने से परहेज करने लगते हैं जहां भोजन की भी व्यवस्था हो. जैसे खाने पर दोस्तों के यहां जाना, या किसी रिश्तेदार के घर खाने के निमंत्रण पर जाना.
  • वे ‘अस्वस्थ’ भोजन आदतों वाले लोगों के प्रति पहले से राय बना लेते हैं और ख़ुद को उनसे श्रेष्ठतर समझते हैं.
  • वे अपनी डाइट को लेकर आसक्त रहते हैं और अपना अच्छा खासा समय इस बात पर व्यतीत करते हैं कि उन्हें क्या खाना है क्या नहीं.
  • समय के साथ उनकी सूची में स्वीकार्य भोज्य पदार्थों की संख्या कम होने लगती है.
  • धीरे धीरे ऐसे व्यक्ति उस भोजन का आनंद भी नहीं ले पाते जो उनकी मान्यताओं के लिहाज से उपयुक्त भी है.
  • जब वे कुछ खाते हैं जो उनकी निगाह में अच्छा या स्वास्थ्यवर्धक नहीं है, तो उनके आत्म सम्मान को गहरी ठेस पहुंचती है. क्योंकि इसका संबंध उनके खानपान के व्यवहार से होता है.

नोट: ऐसे लोग जो इस तरह की कड़ी डाइट का पालन करते हैं और कई तरह के भोजन से परहेज़ करते हैं, उन्हें पर्याप्त पोषक तत्व नहीं मिल रहे हो सकते हैं, जिससे उन्हें कुपोषण और वजन में गिरावट का ख़तरा हो सकता है.

ऑर्थोरेक्सिया की वजह क्या है?

ऑर्थोरेक्सिया पर्यावरणीय और मनोवैज्ञानिक कारणों के मिलेजुले प्रभावों से होता है. भोजन के बारे में, उसकी गुणवत्ता और उसके पोषक मूल्यों के बारे में जागरूकता होना ज़रूरी है लेकिन मीडिया जैसे  विभिन्न स्रोतों से आपकी सोच प्रभावित हो सकती है कि कौनसा भोजन वास्तव में स्वास्थ्यवर्धक है. धीरे धीरे आप हर किस्म का भोजन खाना बंद कर देते हैं, जिससे कुपोषण हो जाता है. जब माता पिता ऑर्थोरेक्सिया से पीड़ित हों तो ये संभव है कि उनकी संतान भी सीखे हुए व्यवहार के तहत इस आदत को अपना लें. ऐसे लोग जो ऑब्सेसिव-कम्पलसिव हैं या पूर्णतावादी हैं, वे भी जब स्वास्थ्यवर्धक डाइट का पालन करने लगते हैं तो ऑर्थोरेक्सिया से पीड़ित हो सकते हैं.

ऑर्थोरेक्सिया का इलाज

ऑर्थोरेक्साय एक ऐसा विकार है जिसमें आप सोचते हैं कि आप स्वास्थ्यवर्धक भोजन ले रहे हैं लेकिन वास्तव में अपना नुकसान कर रहे होते हैं. शुरुआत में इस बात को स्वीकार कर पाना कठिन होता है लेकिन इसका इलाज कराना अनिवार्य है. इलाज के दौरान आपको पोषण पर शिक्षा दी जाएगी, जिससे आपको अपनी भोजन आदतों के प्रभावों के बारे में जानकारी मिल सकेः कि भोजन समूहों से परहेज करने से कुपोषण की समस्या हो सकती है. इससे आपको भोजन के साथ एक स्वस्थ रिश्ता बनाने में मदद भी मिलेगी. काउंसिलिंग से आपको तनाव और घबराहट जैसे मुद्दों से निपटने में मदद मिलेगी जिसकी बदौलत आप ऑर्थोरेक्सिया का सामना कर पाएंगें. आपको इस विकार से निपटने की बेहतर तकनीकें भी सिखाई जाएंगीं जिससे आपके भीतर पूर्णतावादी प्रवृत्तियों और नियंत्रण में रहने की भावना में कमी आएगी.
 
ऑर्थोरेक्सिया से पीड़ित व्यक्ति की देखरेख

अपने किसी प्रियजन को भोजन विकार से पीड़ित हुआ देखना आपके लिए कष्टदायक हो सकता है. फिर भी आपकी सहायता और धैर्य उनकी हालत में सुधार के लिए अनिवार्य है. जब कोई व्यक्ति ऑर्थोरेक्सिया से पीड़ित होता है, तो उनका स्वास्थ्य शारीरिक और मनोवैज्ञानिक तौर पर प्रभावित होता है. पहलेपहल तो पीड़ित व्यक्ति इस तरह की किसी संभावना से इंकार कर देता है कि उसे कोई विकार भी हो सकता है, क्योंकि उनके नज़रिए से, वे तो सिर्फ़ स्वस्थ भोजन ही ले रहे होते हैं और अपनी इस आदत पर उन्हें गर्व होता है. ये महत्त्वपूर्ण है कि आप धैर्य बनाए रखें, और उन्हें इत्मीनान से मदद लेने के लिए प्रोत्साहित करें. उपचार प्रक्रिया के दौरान, ये ज़रूरी है कि पीड़ित व्यक्ति के आसपास हर व्यक्ति बतौर उदाहरण अच्छी भोजन आदतों का पालन करता रहे. भोजन और वजन से जुड़े मुद्दों पर चर्चा से परहेज करने की कोशिश करें, भोजन की गुणवत्ता के बारे में भी बात करने से बचें.

ऑर्थोरेक्सिया से निबाह

जब आप खाने की ऐसी आदत बना लेते हैं जो आपके मुताबिक स्वास्थ्यवर्धक है, और फिर वो आपका ऑब्सेशन भी बन जाती है और आखिरकार स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने लगती है, तो ऐसी स्थिति से निपटना कठिन हो सकता है. ये जानना महत्त्वपूर्ण है कि आपकी ये दशा या विकार लाइलाज नहीं है, इसका उपचार उपलब्ध है और आप पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं. एक बार आपका उपचार शुरू होता है, तो ये बहुत ज़रूरी है कि आप उपचार योजना का कड़ाई से पालन करे. अपने डॉक्टर को लगातार अपडेट दें और आपके भीतर विकार से जुड़ी कोई भावना आ रही है तो उसके बारे में भी डॉक्टर को बताएं.
 
ये भी लाभकारी होता है कि जब इस तरह की तीखी इच्छाएं उठें तो उस दरम्यान के लिए भी एक योजना बना कर रखी जाए. अपने किसी प्रियजन से बात करें, टहलने निकल जाएं, या किसी दूसरी गतिविधि में शामिल हो जाएं, लेकिन महत्त्वपूर्ण यही है कि आप उस तीव्र इच्छा या उद्वेग के हवाले खुद को न कर दें. उपचार के शुरुआती चरण में, आपको विभिन्न भोजनों के पोषक तत्वों और उनके लाभों के बारे में शिक्षित किया जाएगा, इस सूचना को आप समय समय पर देखते रहें तो इससे मदद ही मिलेगी.

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