वयस्कता में ऑटिज्म की समस्या जिसका निदान पहले नहीं हुआ

वयस्कता में ऑटिज्म की समस्या जिसका निदान पहले नहीं हुआ

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एएसडी यानि ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर। इसमें वे सभी विकार शामिल होते हैं जो किसी भी व्यक्ति के बातचीत करने, भाषा समझने और सामाजिक कौशल विकास की क्षमता को प्रभावित करते हैं। आम तौर पर ऑटिज्म को बच्चों से ही जोड़कर देखा जाता है। ऑटिज्म के लक्षणों की पहचान सालभर की उम्र में की जा सकती है लेकिन इसका पूरी तरह पता तीन साल की उम्र होने तक ही चल पाता है। भारत में लगभग हर 500 में 1 व्यक्ति को ऑटिज्म प्रभावित करता है और यह डाउन सिंड्रोम कहीं अधिक आम विकार है।

ऑटिज़्म अलग-अलग स्तरों में प्रकट होता है – जैसे मामूली, मध्यम और गंभीर। कुछ मामलों में लक्षण इतने सूक्ष्म होते हैं कि बीमारी का पता नहीं चल पाता है लेकिन आगे चलकर यह सामाजिक मेलजोल में समस्या पैदा कर सकते हैं।

वयस्कों में मौजूद कुछ ऐसे लक्षण जिनका बचपन में पता नहीं चल पाता है -

• रिश्तों में समस्याएं: ऑटिज्म वाले लोग अलग-थलग रहना पसंद करते हैं और इनमें अच्छे और प्रगाढ़ रिश्ते बनाने की क्षमता नहीं होती है। अशाब्दिक संप्रेषण या नॉन वर्बल संकेतों को ना समझ पाना और भावनाएं ज़ाहिर करने में असमर्थता इसके कारणों में शामिल है। यही वजह है कि वे गहरे दोस्त और रोमांटिक रिश्ते नहीं बना पाते हैं।

• व्यवहार और भाषा: ऑटिज्म वाले वयस्क ऐसा आचरण कर सकते हैं जो आसपास के अन्य लोगों को अजीब लग सकते हैं, जैसे- बार-बार दोहराया जाने वाले कोई व्यवहार या भाषा। वे अपनी बातचीत में शब्दों और वाक्यों को दोहराते हैं। हावभाव में भी ऐसा हो सकता है, जैसे बार-बार कुर्सी को ठोकना या हाथ झटकते रहना।

• अटेंशन प्रोब्लम: एएसडी वाले वयस्क किसी भी चीज पर बहुत कम ध्यान दे पाते हैं। उन्हें किसी काम में ध्यान लगाए रखने और चीजों को जल्द भूलने की परेशानी होती है।

• भावनाओं को समझना : उन्हें दूसरों से सहानुभूति जताने में भारी परेशानी होती है क्योंकि वे भावनाओं को नहीं समझ पाते हैं और संबंध स्थापित करने में उन्हें परेशानी हो सकती है।

• बदलाव स्वीकार कर पाने में कठिनाई: ऑटिज्म वाले वयस्कों को बदलाव का सामना करने में कठिनाई होती है। अपनी रोजमर्रा की दिनचर्या में थोड़ा-सा भी बदलाव होने पर वे चिंतित और दुखी हो जाते हैं।

• बातचीत में परेशानियां: उन्हें बातचीत करने के साथ-साथ दूसरों को समझने में दिक्कत होती है। वे नॉन-वर्बल इशारों को भी पूरी तरह नहीं समझ पाते हैं और इसका असर उनके पारस्परिक संबंधों पर पड़ता है। यदि आप में या आपके किसी परिचित में ये लक्षण नजर आते हैं तो किसी विशेषज्ञ को दिखाना सबसे अच्छा है। हालांकि ऑटिज्म मुख्य रूप से बचपन का एक विकार है, शुरुआती वर्षों में इसका निदान नहीं होने पर बाद के जीवन में समस्याएं हो सकती हैं।

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