परीक्षा की चिन्ता से कैसे पार पाएं

हम सभी परीक्षाओं के दौरान व्यग्र और तनाव से भरे रहते हैं। सामान्य स्तर का तनाव आपको अपने काम में मदद कर सकता है, तेजी से सोचना, ज्यादा प्रभावी तरीके से सोचना और आपका प्रदर्शन सुधारना आदि। अनुभव पर आधारित अनुसंधान में सकारात्मक तनाव के स्तरों को उत्पादकता बढ़ाने और प्रदर्शन सुधार में सहायक माना गया है। बहरहाल यदि आपको अत्यधिक व्यग्रता महसूस होती है, तब आपके प्रदर्शन पर नकारात्मक प्रभाव हो सकता है। हममें से अधिकांश को परीक्षा से संबंधित व्यग्रता का अनुभव होता है और यह महत्वपूर्ण है कि हम इसके लक्षणों को जानें और इस संबंध में प्रभावी तरीके से प्रबन्धन करें। आपकी व्यग्रता के कारणों को जान लेने से आपको तनाव कम करने में मदद मिलती है। इसके बाद आप अपने आप को और अपने काम को बेहतर प्रबन्धित कर स्वयं के साथ पूरा न्याय कर सकते हैं। व्यग्रता के कारण यह संभव है:

  • टुकड़ों में आने वाली नींद और रात भर नींद नही आना

  • परेशानी या चिडचिडापन

  • शारीरिक लक्षण जैसे सिरदर्द, शरीर में दर्द, पेट में असामान्य महसूस होना

  • अचानक भूख बढ़ जाना/अत्यधिक खाना या फिर भूख समाप्त हो जाना

यदि आपको परीक्षा या टेस्ट से पहले इस प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं, तब यह सिफारिश की जाती है कि आपने परीक्षा के दौरान एक तय कार्यक्रम बनाना चाहिये।

परीक्षा से पहले:

  1. एक साप्ताहिक पुनरावृत्ति की समय सारणी बना लें और उसका पूरे समर्पण से अनुसरण करें। यह परीक्षा के दौरान अन्तिम समय पर होने वाली व्यग्रता से बचाता है। सही समय प्रबन्धन और अध्ययन की अवधि के दौरान पुनरावृत्ति से सही परिणाम पाए जा सकते हैम। एक वास्तविक समय सारणी बनाएं जिसमें आपको अपने सामाजिक व्यवहार निभाने और आराम करने का समय भी मिल सके।

  2. तैयार नोट्स के स्थान पर स्वयं के ही समरी नोट्स बनाएं। इसके कारण आप उस सामग्री से सही तरीके से जुड़ सकते हैं और आपको विषय की विविध परिकल्पनाओं के बारे में भी बेहतर जानकारी मिल सकेगी।

  3. जानकारी को व्यवस्थित करें और माईन्ड मैप, चित्र और फ्लो चार्ट की मदद लें। जानकारी को व्यवस्थित करने के लिये समरी टेबल बनाना भी बेहतर विचार है।

  4. अपने नोट्स को विषयानुसार व्यवस्थित करें, विषय चुनें और उन्हे पुनरावृत्ति के लिये देखते हुए पिछले परीक्षा पेपर्स से मदद लेकर तैयार करें। पिछले परीक्षा पेपर्स से निरंतर अभ्यास करते हुए तैयारी करने से आपकी समझ बेहतर विकसित हो सकेगी।

  5. जरुरत हो, तब मदद के लिये शिक्षकों की मदद लें। आप अपने किसी मित्र के साथ मिलकर किसी विशेष विषय की तैयारी कर सकते हैं। इससे विचारों को बांटने और जानकारी को बढ़ाने में मदद मिलेगी।

  6. नियमित रुप से छोटे अन्तराल रखें। प्रत्येक अन्तराल के बाद अपने पहले के अध्ययन की पुनरावृत्ति करें और पूरी पुनरावृत्ति चौबीस घन्टों के बाद करें। अपनी एकाग्रता की समयावधि को लेकर सचेत रहे – यह 40 मिनट तक छोटी हो सकती है।

  7. पुनरावृत्ति के दौरान बिन किसी रुकावट या परेशानी का शांत स्थान चुनें।

  8. यह ध्यान रखें कि आप स्वस्थ आहार ले रहे हैं और भरपूर पानी पी रहे हैं जिससे स्वयं को निर्जलीकृत होने से बचा सके।

  9. मल्टी सेन्स्योरी तरीकों का उपयोग करें – लिखें, बोलकर देखें, सुनें। उदाहरण के लिये, यदि आप देखकर पढ़ने वाले विद्यार्थी है, तब अपनी सारी जानकारी को एक पृष्ठ पर रख लें और एक एन्कर चार्ट बना लें जिसे आप अपनी दीवार पर लगा सकते हैं। रंगीन पेन्स का इस्तेमाल करें और महत्वपूर्ण तथ्यों को हाईलाईट करें, विचारों या अलग से तर्कों को सही तरीके से दिखाएं। यदि आप एक श्रवण शक्ति से सीखने वाले विद्यार्थी है, तब आपको चाहिये कि अपने नोट्स वॉईस रेकॉर्ड कर लें। इन्हे बार बार सही समय से सुनने से आपको जानकारी याद रह जाती है।

  10. सर्वेक्षण, प्रश्न करना, पढ़ना, समीक्षा करने के प्रकार से महत्वपूर्ण जानकारी को पढ़ें।

परीक्षा के दौरान:

अधिकांश परीक्षाओं में, शुरु होने से पहले दस मिनट पेपर पढ़ने के लिये दिये जाते हैं। इस समय का सकारात्मक उपयोग करें:

  1. प्रश्न पत्र पर दिये जाने वाले निर्देशों को सही प्रकार से पढ़ें। इससे आपको महत्वपूर्ण प्रश्न या अनिवार्य प्रश्नों को खोजने में आसानी होगी और यह भी पता चलेगा कि आपको किस सेक्शन में कितने प्रश्न अनिवार्य रुप से करना ही है। वैसे यह एक महत्वपूर्ण लेकिन स्वाभाविक बिन्दु है, तनाव और व्यग्रता तो अच्छे से तैयारी करने वाले विद्यार्थियों को भी परेशान करती है और वे निर्देशों पर सही पढ़े बिना ही अमल करने लगते हैं।

  2. परीक्षा के पेपर के सभी सेक्शन्स को सही प्रकार से पढें और उन सभी प्रश्नों पर निशान लगाएं जिनके उत्तर आप देने वाले हैं। हमेशा यह देखें कि क्या अपेक्षा की जा रही है। हमेशा प्रमुक प्रश्न बिन्दुओं पर निशान लगाएं जिन्हे आप पढ़कर समझते जा रहे हैं।

  3. प्रत्येक प्रश्न के लिये लगने वाले समय की गणना करें और उनका क्रम तय करें जिस क्रम में आप उत्तर देने जा रहे हैं।

एक बार आप लिखना शुरु कर देते हैं, तब कोई रुकावट या प्रदर्शन में कमी नही होनी चाहिये। अपने उत्तरों को प्रश्नों से संबंधित और संक्षिप्त रखें।

ऑल द बेस्ट!

डॉ. गरिमा श्रीवास्तव दिल्ली की क्लिनिकल सायकोलॉजिस्ट है, आपने इन्डियन इन्स्टीट्यूट ऑफ मेडिकल सायन्सेस से पीएचडी प्राप्त की है।

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