मैं बातचीत कैसे शुरु करूँ?

छात्र पर ध्यान देकर शिक्षक कई मसलें हल कर सकता हैं

कक्षा के मनोभाव को समझने के लिए कुछ समय दें।  यदि आप किसी छात्र का कक्षा में कोई असामान्य व्यवहार देखते हैं, तो कुछ और समय ध्यान दीजिए कि क्या यह छात्र लंबे समय तक उसी तरह व्यवहार करता है या बस थोड़ी देर के लिए ही ऐसा था। अपने विश्वस्त सहकर्मी से जानकारी लीजिए कि क्या यह व्यवहार अन्य कक्षाओं में भी प्रत्यक्ष रूप से दिखता है।  अपने सहकर्मियों से बात करते समय स्वविवेक का इस्तेमाल करना जरूरी है।  लक्ष्य, छात्र की मदद करना है ना कि एक नई  गपशप शुरु करना।

यदि आप देखते हैं कि ऐसा व्यवहार सामान्य से अधिक समय तक है, तो छात्र को निजी बातचीत के लिए आमंत्रित करें और:

  • बातचीत की शुरुआत सामान्य प्रश्नों से करिए – “आप आज कैसे हैं?”, “आप आजकल थोड़े बहुत बेचैन से दिखते हैं..” आदि ।
  • छात्र को कोई और नाम से संबोधित मत करिए, खास कर नैदानिक शब्दों से (उदाहरण के लिए, “तुम अवसाद से पीड़ित दिखते हो”)
  • छात्र जो भी कहता है उसको सुने और गोपनीय रखें।  यदि आपके महाविद्यालय की नीति के अनुसार परामर्शदाता या उच्च प्राधिकारी को सूचित करना आवश्यक है तो, छात्र को समझाएँ कि क्यों, किसे और कैसे यह सूचना दी जाएगी।  छात्र के बारे में राय रखने या उसे दोष देने से बचिए।

कुछ मामलों में, छात्र या तो आपसे कुछ भी कहने के लिए नकारत्मक स्थिति में होगा या अपना मुँह ही नहीं खोलेगा।  ऐसी परिस्थितियों में उसे अकेला छोड़ दीजिए और फिर से बातचीत शुरु करने से पहले कुछ और हफ्तों तक उसपर चुपचाप निगाह रखिए ।  याद रखें, छात्र को अपनी समस्याओं को बतलाने के लिए कभी मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।  एक सामान्य नियम है कि दो बार प्रयास करें और यदि दूसरा प्रयास भी विफल हो तो कैंपस परामर्शदाता को सूचित करें और उन्हे सबसे अच्छा तरीका अपनाने का निर्णय लेने दें। 

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