सामान्य तौर पर एक शिक्षक का माता-पिता से अर्ध-वार्षिक पेरेंट-टीचर भेंट के दौरान मिलना होता है, जिसमें अक्सर माँ-बाप अपने बच्चे की शैक्षणिक प्रगति के बारे में विचार-विमर्श करने की प्रत्याशा के साथ आते हैं। यद्यपि, शिक्षक स्वयं को ऐसी परिस्थिति में पा सकता है जहाँ छात्र से बातचीत करने और कॉलेज के परामर्शदाता को शामिल करने के बावजूद, व्यवहार से जुड़ा मुद्दा हल नहीं हुआ हो। यदि संबद्ध छात्र ने कोई गोपनीय बात बताई है, तो यहाँ गोपनीयता को बनाए रखने का मुद्दा उठता है। एक शिक्षक कैसे निर्णय ले कि कब माता/पिता को इस मुद्दे में शामिल करे?
बहुत से परामर्शदाताएँ छात्र से एक सहमति प्रपत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए कहते हैं जिसमें उल्लेख होता है कि उसके माँ-बाप को, तथा कुछ मामलों में न्यायालय को सूचित किया जाना है। इसमें शामिल हैं:
- आत्म-हानि
- दूसरों को हानि
- गैर-कानूनी कार्य जैसे कि नशीली दावाओं तथा हथियारों का उपयोग
शिक्षक व परामर्शदाता तब भी माता-पिता से बातचीत कर सकते हैं, जब छात्र पर निगरानी रखने हेतु उनकी मदद की जरूरत पड़ती है। इसकी आवश्यकता तब पड़ती हैं जब छात्र अपना आत्मविश्वास खो देता है, या बार-बार कक्षा से अनुपस्थित रहता है। ऐसी परिस्थितियों में, ध्यान देने लायक एक मौजूदा समस्या के निवारण हेतु माता-पिता कॉलेज की मदद कर सकते हैं।
आप अभिभावकों से कैसे बातचीत करेंगे ?
कैंपस के परिवेश में जहाँ परामर्शदाता नहीं हैं, शिक्षक, अभिभावकों से परेशानी, गुस्से, व्यसन, या अन्य संबद्ध बातों के लक्षणों का उल्लेख कर सकते हैं। अधिक महत्वपूर्ण रूप से, छात्र के व्यवहार के बारे में शिक्षक की चिंता को इस रीति से संसूचित किया जाना चाहिए जिससे न तो छात्र के वैयक्तिक विवरणों के बारे में चर्चा हो और ना ही छात्र को कोई फैसला सुनाएँ या पदवी दें।
माता-पिता के साथ चुनौतीपूर्ण व्यवहार के बारे में संसूचित करते समय, निष्पक्ष वाक्यों को उपयोग में लाना अधिमान्य है जैसे कि “मैंने गौर किया हैं कि छात्र...” या “मैं एक विशिष्ट व्यवहार के लिए चिंतित हूँ..” आदि। शिक्षक भी भूतपूर्व छात्रों के साथ अपने पूर्वकालिक अनुभव में के किस्से साझा कर सकते हैं जिससे माता-पिता को यह समझने में मदद होती है कि दूसरे भी इन परिस्थितियों से गुज़र चुके हैं और इसका हल निकाला गया है। उदाहरण देने के लिए, “मेरा एक भूतपूर्व छात्र समान समस्या का शिकार था और वे परामर्शदाता से प्राप्त सहायता के कारण हल पा सके”।
छात्र की सहमति
जब एक छात्र गोपनीय रूप से पदार्थों की लत, लैंगिक दुर्व्यवहार या आत्म-हत्या के विचारों के बारे में बताता है, तो भावनात्मक रूप से प्राथमिक चिकित्सा देने के बाद शिक्षक को परामर्शदाता या अभिभावक को सूचित करने से पहले छात्र से सहमति लेने की आवश्यकता होती है। छात्र इस उपाय की सराहना करके शिक्षक पर अधिक विशवास करेगा। छात्र एवं शिक्षक के बीच मेल-जोल बना रहेगा। यदि छात्र सहमति देने से इनकार करता है, और शिक्षक को मालूम पड़ता हैं कि छात्र को खतरा है, तो शिक्षक अभिभावक से सारी बातें साझा कर सकता है।
जब अभिभावक या परामर्शदाता बड़े पैमाने पर छात्र की चिंता या समस्या को जान लेते हैं, तो यह उन्हे चिंता या समस्या को इस ढंग से निपटाने की दिशा की ओर सक्षम बनाता है जिससे छात्र पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सके।