मैं सीमा कहाँ खींचूं?

शिक्षक को अभिगम्यता बनाएँ रखना जरूरी हैं

वैसे तो शिक्षक के लिए अपने छात्र की संपन्नता में शामिल होना महत्वपूर्ण है, साथ ही उन्हे यह भी ध्यान रखना चाहिए कि वे अत्यधिक शामिल न हों और जब मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ को शामिल करने की परिस्थिति आए तो दूरी बनाना भी सीखें।

सहकर्मी के साथ छात्र को लेकर चर्चा करना: यदि आप छात्र में असामान्य व्यवहार देखते हैं और परिस्थिति के प्रति अपनी समझ को सत्यापित करना चाहते हैं तो आपको उस सहकर्मी से परामर्श करना चाहिए जो उसी कक्षा में पढ़ाता हो।  याद रखें कि जब आप यह करते हैं तो ऐसे सहकर्मी का चयन करें जो गोपनीयता का आदर करता हो।  तथापि, यदि एक छात्र ने आपसे कोई समस्या साझा की है, तो याद रखें कि उसने ऐसा आप पर अधिक विश्वास करके किया है।  आपके बातचीत का विवरण अन्य शिक्षकों के साथ कभी भी साझा न करें।  यदि आप इस परिस्थिति का सामना करने में अनिश्चित हैं, तो कॉलेज के परामर्शदाता से बात करें।

शिक्षक और छात्र के बीच विपरीत लिंग सक्रियता का सामना कैसे करें: कैंपस के परिवेश में, शिक्षक, स्त्री या पुरुष छात्र के लिए कभी-कभी ‘आस-पास के माता-पिता’ हो जाते हैं (माता-पिता की जगह एक वयस्क खड़ा होता है)।  इसलिए, यह स्त्री शिक्षकों के लिए आम हैं कि पुरुष छात्र अपनी चिंताएँ और समस्याएँ साझा करते हैं, और कभी-कभी महिला छात्राएँ पुरुष शिक्षक से मदद माँगती हैं।  यह कोई समस्या का विषय नहीं। तथापि, छात्र एवं शिक्षक दोनों की सहजता के स्तर को ध्यान में रखना जरूरी है।  विपरीत लिंग से बातचीत करने के विषय में कॉलेज के प्राधिकरण द्वारा बनाई गई नीतियों के बारे में अवगत रहना भी शिक्षक के लिए महत्वपूर्ण बात है।

मैं यह कैसे जानूं कि छात्रों के प्रति अधिक झुक रहा हूँ: छात्रों के साथ भिन्न रूप बनाने की प्रक्रिया और देखभाल के रिश्ते को स्थापित करने में, किसी एक छात्र के प्रति ध्यान रखे जाने हेतु भावनात्मक रूप से नहीं जुड़ना चाहिए।  यह भी हो सकता है कि जो एक विशिष्ट छात्र आपके साथ साझा करने और गोपनीय रूप से बातें बताने में सुलभता महसूस करता हो, वह आप पर निर्भर हो जाए।

यदि शिक्षक आत्म-अवगत हैं और अपनी भावनात्मक संपन्नता पर नियंत्रण रखे तो यह सहायता पहुँचाएगा।  किसी भी परिस्थिति में:

  • अभिगम्य रहिए परंतु उसी समय छात्रों को आपके सुविधाजनक समय के बारे सूचित करें जिसके दौरान वे आपसे मुलाकात कर सकें।
  • ऐसी परिस्थितियों में जहाँ आपको पता नहीं कि कैसे मदद की जाएँ, उन्हे परामर्शदाता के पास जाने के लिए कहिए।
  • छात्र से जो भी बातचीत की गई हैं उसे अनुरूपता से करने की जरूरत है और बातों तथा कार्रवाई दोनों से सुव्यक्त रहिए।  उदाहरण के लिए, यदि आप छात्र को किसी नियत समय पर मिलने के लिए कहते हैं, तो सुनिश्चित करें कि आप उस समय वहाँ उपस्थित हों।
  • यदि आपको लगता हैं कि छात्र आपका बहुत सारा समय और ऊर्जा ले रहा है, तो धीरे-धीरे छात्र को निर्भर हुए बिना स्वयं संभलने का आदी बनाएँ।  ऐसा करते समय, धीरे-धीरे अलग होने के लिए आत्म-संयम बनाएँ रखे और छात्र को सुनिश्चित करें कि आप अवश्यकता पडने पर उसके साथ होंगे।

हालांकि शिक्षक परामर्शदाएं नहीं हो सकते, परंतु परिस्थिति शिक्षक को सहानुभूतिपूर्ण और समझदार रहने की माँग करती है। 

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