महिलाओं में शरीर को लेकर असंतुष्टि का प्रबन्धन

आत्म सम्मान को व्यक्ति के नजरिये के रुप में परिभाषित किया जाता है जो कि वह स्वयं के प्रति रखता है और यह सकारात्मक या नकारात्मक हो सकता है। हम स्वयं के बारे में किस प्रकार से सोचते हैं, यह तथ्य यहीं जाकर नही रुकता कि हम कुल मिलाकर कोई एक राय बना लें – उदाहरण के लिये ’अच्छा व्यक्ति’ या ’बुरा व्यक्ति’ ये प्रकार हो सकते हैं – लेकिन ये विशेष रुप से हमारे व्यक्तित्व के अंग हो सकते हैं जैसे हम हमारे शरीर को लेकर क्या सोचते हैं, क्या हम उसे खूबसूरत मानते हैं या नही, इसी प्रकार को ’शरीर की छवि’ या ’बॉडी इमेज’ कहा जाता है। वैसे देखा जाए, तब आत्म सम्मान सीधे तरीके से हमारे शरीर को लेकर हमारे विचारों से संबंधित है और यह शारीरिक अस्तित्व को लेकर अधिक होता है जो कि युगों युगों से आत्म सम्मान के संबंध में प्रमुख कारक रहा है।

अनुसंधान में यह पता चला है कि महिलाओं में पुरुषों के स्थान पर आत्म सम्मान कम होता है जब बात उनके शरीर के बारे में की जाती है। क्योंकि जहां पुरुष अपने आत्मसम्मान को पाने के लिये सामाजिक रुप से उपलब्धियां, शक्तिशाली स्थिति और नियंत्रण आदि को मुद्दा बनाते हैं जबकि महिलाएं अन्य व्यक्तियों द्वारा किये जाने वाले उनके आकलन और स्वयं की समीक्षा पर निर्भर करती हैं। आत्म सम्मान और शारीरिक छवि के बीच नजदीकी संबंध कई बार समस्या बन जाते हैं, खासकर हमारे भारतीय समाज जैसी स्थितियों में जहां पर मीडिया, टेलिविजन, फिल्मे, प्रचार और संगीत वीडियो, महिलाओं को केवल उनके दिखावे के आधार पर ही सम्मान देते हैं, उन्हे एक शक्तिशाली परंतु गलत सांस्कृतिक आदर्श के रुप में सौन्दर्य के प्रतिमानों का आधार बताया जाता है जो कि पाना लगभग मुश्किल है। युवा भारतीय महिलाओं पर किया गया एक सर्वे यह बताता है कि लगभग 60-75% किशोरी लड़कियां अपने शरीर के आकार और प्रकार को लेकर नकारात्मक सोचती हैं और “मैं कैसी दिखाई देती हूं” यह उनमें से 44% के लिये उनके व्यक्तित्व का सबसे महत्वपूर्ण तथ्य है। शरीर की छवि के कारण कम होने वाला आत्म सम्मान विविध मानसिक स्थितियों को जन्म देता है जैसे व्यग्रता और अवसाद की स्थितियां। अनुसंधान में यह भी पता चला है कि जो व्यक्ति अपने शरीर को लेकर बहुत ज्यादा ही असंतुष्ट होते हैं, उनमें अतिवादी कदम उठाने की आशंका भी ज्याद अहोती है जैसे डाएटिंग और बहुत ज्यादा व्यायाम करना जो कि स्वास्थ्य के लिये हानिकारक और जोखिमपूर्ण हो सकता है। उन्हे एनरेक्सिया, बुलिमिया या कम्पल्सिव ईटिंग सिन्ड्रोम जैसी भोजन संबंधी समस्याओं से भी दो चार होना पड़ सकता है।

इन सभी चिन्ताजनक तथ्यों के बाद भी जो कि शारीरिक छवि को लेकर एक असंतुष्टि की भावना उत्पन्न करते हैं, एक अच्छी खबर यह है कि एक ओर व्यक्ति का दिखाई देना और हुलिया बदल पाना मुश्किल और जटिल है, लेकिन शरीर की छवि को बदल पाना संभव है। हमारे पास यह शक्ति होती है जिससे हम अपने देखने, सोचने और अपने शरीर के बारे में महसूस करने की स्थिति को बदल सकते हैं। इस संबंध में कुछ शुरुआती तथ्य इस प्रकार है:

·         अपने सकारात्मक गुणों पर ध्यान दें, अपने कौशल और प्रतिभा आपको सीखने और अपने स्वयं को बेहतर तरीके से समझकर बेहतर मानने में मदद कर सकते हैं। एक व्यक्ति केवल शारीरिक व्यक्तित्व के स्थान पर बहुत कुछ है।

·         स्वयं से हमेशा सकारात्मक तरीके से बात करना और नकारात्मक बातों को ध्यान में नही लाना यह अत्यंत महत्वपूर्ण है। कन आप स्वयं से कुछ भी विशेष कहते हैं तब आप उसपर विश्वास करने लगते हैं। स्वयं को लेकर सकारात्मक बातें कहिये जैसे “आज मैने काम पर बेहतर प्रदर्शन किया” या फिर “आज मुझे स्वयं पर गर्व है कि मैने फ्लाईट तक चलकर जाना और इलेवेटर के स्थान पर सीढ़ियों को चुना” और हमेशा नकारात्मक सोच के स्थान पर कुछ न कुछ सकारात्मक रखकर देखें। उदाहरण के लिये आप यदि यह कहते हैं कि “मुझे बड़ा बुरा लगता है कि मेरा चुनाव हमेशा जंक फूड होता है” आप इसके स्थान पर कह सकते हैं “मुझे पता है कि बेहतर और स्वास्थ्यकर भोजन के विकल्प चुनना आसान है”

·         पूरे ध्यान से यह देखें कि आपके शरीर द्वारा क्या किया जा सकता है और क्या किया गया है: आपका शरीर बेहतरीन है, अपने शरीर का सम्मान करने और उसे प्रोत्साहन देने से आपको सकारात्मक नतीजे मिलेंगे और आपको शारीरिक व्यायाम, खेल या अन्य शारीरिक गतिविधियों को लेकर बेहतर नतीजे मिलेंगे साथ ही यह भी सोचे कि एक स्त्री का शरीर कितना चमत्कारिक है जो एक जीवन का सृजन करता है।

·         सकारात्मक, स्वास्थ्य से संबंधित, एकाग्र लक्ष्यों पर ध्यान केन्द्रित करें न कि केवल वजन कम करने के लक्ष्य पर: भोजन और व्यायाम को लेकर काम करना जिससे स्वस्थ तरीके से वजन कम करना/ प्रबन्धन करना, इससे आपको कुल मिलाकर बेहतर स्वास्थ्य मिलेगा न कि किसी विशेष तरीके से दिखाई देने का परिणाम।

·         स्वयं के शरीर की तुलन अन्य सभी से करना टालना और इसके स्थान पर अपनी अलग पहचान और दिखाई देने की स्थिति को लेकर काम करना जो आपको सबसे अलग बनाती है। अनुसंधानों में यह तथ्य सामने आता है कि स्वयं को पूरी तरह से स्वीकार करना आपको आत्मविश्वासी बनाता है और सकारात्मक आत्म सम्मान देता है।

·         मन में ही यह निर्णय लें कि आपको क्या पढ़ना है और क्या देखना है, चूंकि कई बार मिडिया द्वारा आपको अप्रत्यक्ष रुप से यह सन्देश दिये जाते हैं कि क्या खूबसूरत है और क्या स्वीकार है। यहां पर यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि मीडिया में दिखाई जाने वाली अधिकांश छवियां अवास्तविक होती हैं और यह जनसंख्या के बहुत थोड़े भाग का प्रतिनिधित्व करती है। अनेक चित्र जो कि पत्रिकाओं में दिखाए जाते हैं, उन्हे डिजिटल तरीके से बदला जाता है और वे वास्तविकता में उन लोगों जैसे नही होते हैं।

यदि आपको या आपके प्रियजनों को अपने शरीर को लेकर असंतुष्टि है, या आपको लगता है कि आपकी आदतें अस्वास्थ्यकर खाने की या व्यायाम न करने की है, तब आप व्यावसायिक मदद ले सकते हैं। अनेक सलाहकार होते हैं जो खासकर शारीरिक छवि को लेकर जानकार होते हैं। व्यावसायिक मदद से आपको अपने नकारात्मक विश्वास और व्यवहार पर नियंत्रण रखने में भी मदद मिलती है।

डॉ. गरिमा श्रीवास्तव दिल्ली की क्लिनिकल सायकोलॉजिस्ट है और आपने ऑल इन्डिया इन्स्टीट्यूट ऑफ मेडिकल सायन्सेस से पीएचडी की है।

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