रोगियों के लिए

Q

किन हालात में मैं किसी मानसिक आरोग्यशाला या नर्सिंग होम में दाखिला लूँगा ?

A

अगर आप स्वयं ही किसी मानसिक आरोग्यशाला में जाते हैं ,यदि आप नाबालिग हैं और आपके अभिभावक आपको अस्पताल ले जाते हैं, तो आप अस्पताल में भर्ती किये जा सकते हैं। अगर डॉक्टर को लगता है कि आपका उपचार भर्ती करके ही किया जा सकेगा तो आपको भर्ती किया जा सकता है। (मानसिक सेहत अधिनियम 1987 ,सेक्शन 15,16 और 17)

Q

क्या मेरी इच्छा के विरूद्ध मुझे भर्ती किया जा सकता है?

A

कुछ मामलों में आपकी इच्छा के विरूद्ध आपको भर्ती किया जा सकता है। अगर आपके डॉक्टर और आपके रिश्तेदार को लगता है कि आप अपने लिये और लोगों के लिये खतरा हो सकते हैं और ये ज़रूरी है कि आपको मानसिक आरोग्यशाला में लंबी चिकित्सा औऱ उपचार की ज़रूरत है, तब वह मजिस्ट्रेट से इसके लिये विशेष ऑर्डर ले सकते हैं और आपको मानसिक आरोग्यशाला में भर्ती किया जा सकता है। (मानसिक सेहत कानून का सेक्शन19)

Q

अगर मुझे ये महसूस होता है कि मुझे संस्थान में बिना ज़रूरत के रखा गया है तो मैं क्या कर सकता हूँ ?

A

अगर आपको लगता है कि आपको बिना वजह रोक कर रखा गया है तो आप डिस्चार्ज होने की अर्ज़ी डाल सकते हैं। आप किसी वकील से भी सलाह ले सकते हैं। आपको कानूनी मदद मुफ़्त मिलेगी, जो हर जिला अदालत में उपलब्ध है। (सेक्शन 91, एमएच एक्ट) राज्य मानवाधिकार आयोग और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, दोनों जगहों पर मदद की दरख्वास्त लगाई जा सकती है।

Q

अगर मुझे लगता है कि मेरी हालत में सुधार है, तो क्या मैं डिस्चार्ज के लिए आवेदन कर सकता हूँ ?

A

अगर आप स्वेच्छा से भर्ती किए गए हैं और आप अगर सोचते हैं कि आपको और ज़्यादा भर्ती रहने की ज़रूरत नहीं है तो आप डिस्चार्ज होने के लिए आवेदन कर सकते हैं। अगर डॉक्टर प्रमाणित कर दे कि आपकी सेहत में सुधार है तो वह आपको 24 घंटों में डिस्चार्ज कर देंगे। ( सेक्शन 18 एमएच एक्ट).

Q

क्या ये अपील ठुकराई जा सकती है?

A

अगर डॉक्टर को लगता है कि आपको छुट्टी देना आपके हित में नहीं है, तो आपकी अर्ज़ी को नामंज़ूर किया जा सकता है. ये भी निर्भर करता है कि डॉक्टर नीचे लिखे प्रावधानों का पालन करे.

Q

मेरी छुट्टी की अर्ज़ी किन परिस्थितियों में ठुकराई जा सकती है?

A

अगर डॉक्टर को लगता है कि आपकी सेहत में सुधार नहीं हुआ है तो आपका छुट्टी का आवेदन मिलने के 72 घंटों के भीतर उसे दो मेडिकल अधिकारियों के एक बोर्ड के समक्ष रखना होगा जो स्वतंत्र रूप से आपकी जांच करेंगे। अगर उनकी भी यही राय बनती है कि आपको अस्पताल में ही रहकर इलाज करवाना होगा तो डॉक्टर आपको छुट्टी देने से मना कर सकता है और अगले 90 दिनों तक इलाज जारी रख सकता है। एक बार ऐसा हो जाने के बाद आप मानसिक आरोग्यशाला या नर्सिंग होम में स्वैच्छिक मरीज़ नहीं रह जाते हैं। (सेक्शन 18(3) एमएच एक्ट).

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