बचपन के यौन शोषण की बात बता देने से मुझे फिर से काबू में आने में मदद मिली

गुस्सैल।

तुनकमिजाज।

तुरंत भड़क जाने वाली।

छोटी-छोटी बात पर बुरा मानने वाली।

ये कुछ आम संबोधन थे, जो मेरे बारे में मेरे परिवार, दोस्तों और सहकर्मियों के द्वारा बोले जाते थे।  शुक्र है, कि क्रोध के मुद्दों के बावजूद, मेरे सुखद व्यक्तित्व के कारण अपने दोस्तों के पूरे सर्कल से मुझे अलग नहीं किया गया। लेकिन जब तक मैं अपने उम्र के बीसवें दशक के आखिर तक पहुंची, एक स्कूल में बच्चों के साथ काम करने और रहने के दौरान अब मैं अपनी भावनाओं को अपने पर चढ़े रहने की अनुमति नहीं दे सकती थी। यही वह वक्त था जब मैंने गहराई से देखने का फैसला किया कि मेरी शांति कैसे खो रही है। और यही वह समय था जब मुझे यह स्वीकार करने के लिए मजबूर होना पड़ा कि मेरे बहुत से व्यवहार बचपन के दौरान मेरा यौन शोषण किए जाने से उसके आस-पास के अनसुलझे मुद्दों के कारण होने लगते हैं। जबकि दुर्व्यवहार की वो यादें मुझमें जिंदा थीं, लेकिन मैंने कभी इसके बारे में किसी और से बात नहीं की थी, और मैं देख सकती थी कि मैंने जो कुछ किया उन पर इसका प्रभाव पड़ा।

इस बात ने मुझे मदद लेने के लिए प्रेरित किया गया। अवसाद से निपटने के दौरान,  मैंने एक मनोचिकित्सक को ढूंढना शुरू किया जिसे इस बात की जानकारी न मिल सके कि मैं किसी यौन दुर्व्यवहार की घटना को अपने भीतर संभाले हुए हूं। इस बीच, मैं उस असर को पहचानना शुरू कर रही थी, जो यौन दुर्व्यवहार के कारण  मुझ पर पड़ा था। मेरे अनसुलझे अतीत से न केवल मुझे गुस्सा आता था, बल्कि कोई मेरे शरीर के बारे में भी उल्लेख कर दे तो मुझे उस पर भरोसा न होने की बड़ी समस्या थी। किसी तरह आत्मविश्वास का मुखौटा लगाकर मैं इसे दूसरों से छिपाने में कामयाब रही, लेकिन आंतरिक रूप से मैं उलझन में थी,  खोई हुई थी, पूरी तरह समझ नहीं पा रही थी कि इन मुद्दों के पीछे कारण क्या था। इनमें से कुछ स्पष्ट थे,  लेकिन वह दुर्व्यवहार मुझ पर इतने लंबे समय तक चलने वाला प्रभाव डाल सकता है और इस तरह से, इसमें ऐसा कुछ नहीं था जो जादुई रूप से मेरे पास आया हो।

मनोचिकित्सक के साथ अपने सत्रों के दौरान, मुझे एहसास हुआ कि उसे पता ही नहीं था कि मुझे वास्तव में क्या बात परेशान कर रही है और उसमें वह मेरी मदद किस तरह करे। तभी, एक दोस्त ने राही फाउंडेशन के बारे में बताया। राही एक ऐसा केंद्र है जो विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए काम करता है जो पारिवारिक व्याभिचार और बाल यौन शोषण की शिकार हुई हैं। मैं उन तक पहुंची और उनसे इलाज लेना शुरू कर दिया।

एक ऐसे चिकित्सीय संसार में होने के नाते, जो विशेष रूप से बाल यौन शोषण के प्रभाव और पतन पर केंद्रित है, उसने वास्तव में चीजों को परिप्रेक्ष्य में रखने में मदद की। मुझे एहसास हुआ कि वह मुझ पर अपराधबोध की भावना हावी थी, जो पूरे समय मैं अपने पर लादे हुए थी। यही कारण था कि 30 वर्ष की होने तक इस भावना ने मुझे दुर्व्यवहार के बारे में किसी को बताने से रोके रखा था। अपराधबोध यह कि मैंने इसे होने दिया, अपराध यह कि मैं भी इसका एक हिस्सा थी। अपराधबोध यह भी कि अगर मैं चाहती तो इसे रोक सकती थी।

यह इलाज मुझे अपराधबोध और शर्मिंदगी से दूर ले गया और इसे वहां रखा जहां से यह संबंधित था: दुर्व्यवहार करने वाले के साथ।

थेरेपी ने मुझे यह समझने में मदद की कि मैं सिर्फ आठ साल की बच्ची थी, मेरे निर्णयों के लिए कोई वास्तविक माध्यम नहीं था, वास्तव में क्या हो रहा था इसकी कोई स्पष्ट समझ मुझ में नहीं थी। मेरे साथ किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा दुर्व्यवहार किया गया था जिसे मैं बहुत अच्छी तरह से जानती थी,  जि, पर भरोसा था और मेरे पास न कहने का कोई अधिकार नहीं था, भले ही वह एक विकल्प था। यह मुझे अपराधबोध और शर्मिंदगी से दूर ले गया और इसे वहां रखा जहां से यह संबंधित था: दुर्व्यवहार करने वाले के साथ।

इस मुद्दे पर चुप्पी से लेकर इसकी वकालत करने की यात्रा मेरे लिए एक अजीब बात रही है। जब मेरे पास पर्याप्त क्रियात्मक रिश्ते थे, उस दौरान भी मैं बचपन के बाद से ही टेड़े-मेढ़े घुमावदार भावनात्मक रास्तों पर जल रही थी। इलाज के दौरान इन भावनाओं को संसाधित करना सीखा, दुर्व्यवहार के प्रभावों को पहचानना सीखा, जिसने जीवन के प्रति मेरा पूरा दृष्टिकोण बदल दिया। मेरा गुस्से वाला व्यवहार लगभग अस्तित्वहीन हो गया; आम तौर पर मैं और अधिक आश्वस्त और आत्मविश्वास से भर गई।

अब मैं अपने उस दुर्व्यवहार को वापस देखने में सक्षम हूं क्योंकि मेरे साथ कुछ दुर्भाग्यपूर्ण हुआ है, लेकिन अब ऐसी कोई ताकत नहीं है, जो मुझे और चोट पहुंचा दे। हालांकि इसने एक स्थायी प्रभाव छोड़ दिया, लेकिन यह मेरे नियंत्रण में है, यह तय करना कि अपने जीवन को किस दिशा में ले जाना चाहिए। व्यक्तिगत अपराधबोध के साथ ही पारिवारिक और सामाजिक दबाव के संयोजन ने सुनिश्चित किया कि इसे दफना दिया जाए। मेरे जीवन के सबसे अच्छे निर्णयों में से एक था चुप्पी को तोड़ना। इसने न केवल मुझे अपनी कर्मठ कार्यकर्ता की ऊर्जा को इस मुद्दे के लिए चलाने में मदद की है, बल्कि इससे मुझे अपने भावनात्मक, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार करने में भी मदद मिली है।

रीना डी'सूजा एक कर्मठ कार्यकर्ता हैं जो मानवाधिकार, पर्यावरण और पशु अधिकारों के मुद्दों को लेकर काम करती हैं। वह वर्तमान में राजीव फाउंडेशन के साथ बचे हुए लोगों के साथ उन महिलाओं के लिए काम कर रही हैं, जो पारिवारिक व्याभिचार और बाल यौन शोषण की शिकार हुई हैं।

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