मनश्चिकित्सक के लिये

Q

एक रोगी स्वेच्छा से मेरे पास आए और उपचार के लिये दाखिला लेना चाहे या कोई अभिभावक अपने नाबालिग बच्चे को लेकर मेरे पास आए तो क्या मुझे अनिवार्य़त: उसे भर्ती करना ही होगा ?

A

अगर कोई व्यक्ति स्वेच्छा से अपने इलाज के लिये आता है या अपने नाबालिग बच्चे को लाकर उसका दाखिला कराना चाहता है तो आप पहले उसका परीक्षण करेंगे और इस बात की जांच करेंगे कि क्या वाकई भर्ती करके ही उस मरीज का इलाज किया जा सकता है। उसके बाद आप 24 घंटों के भीतर ये तय कर सकते हैं कि उनको भर्ती करना है कि नहीं। (मानसिक स्वास्थ्य कानून की धारा 17 )

Q

एक मरीज ने अपनी इच्छा से पेशकश की है कि उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी जाए। क्या मैं उसे छुट्टी देने के लिये बाध्य हूँ ? अगर मैं समझता हूँ कि उसे छुट्टी दे देना उ्सके हित में नहीं है और उसके आगे के इलाज के लिये उसके अस्पताल में भर्ती रहना जरूरी है तो मैं क्या कर सकता हूँ ?

A

अगर एक मरीज ने अर्जी दी है कि उसे 24 घंटे में छुट्टी दे दी जाए तो ये तय करना आप पर है कि अगर आप समझते हैं कि उन्हें अस्पताल में ही रखकर उनका इलाज जरूरी नहीं है तो उन्हें छुट्टी दी जा सकती है। लेकिन अगर आपको विश्वास है कि उनका इलाज भर्ती करके ही होना चाहिये तो आपको 72 घंटों के अंदर दो मनश्चिकित्सकों की नियुक्ति करनी होगी जो स्वतंत्र रूप से मरीज की जांच करेंगे। अगर वे भी यही समझते हैं कि मरीज को भर्ती ही रहना चाहिये तो आप मरीज की छुट्टी की अर्जी नामंज़ूर कर सकते हैं और अगले 90 दिनों तक उसका इलाज ज़ारी रख सकते हैं। ( सेक्शन 18,मानसिक स्वास्थ्य कानून)

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