गर्भवती एवं प्रसूति महिलाओं के लिए निर्देशिका पत्र
गर्भवती एवं प्रसूति महिलाओं को कोविड-19 से जुड़ी क्या चिंताएं हो सकती हैं?
उपलब्ध प्रमाणों के आधार पर कुछ तथ्य
याद रखें कि कुछ हद तक उत्कंठा स्वभाविक एवं अपेक्षित है। मगर अगर आपको ऐसा लगे कि इस बारे में किसी से बात करने से आप बेहतर महसूस करेंगी तो आप अपने विश्वसनीय दोस्त या परिवार के सदस्य से बात कर सकती हैं।
जब उत्कंठा हद से बढ़ जाए तो आपको अपने स्वास्थ्य विशेषज्ञ - आपके डॉक्टर या ए एन एम (या आशा कार्यकर्ता) - से अवश्य बात करनी चाहिए।
मुझे कैसे पता चलेगा कि मेरी उत्कंठा या मानसिक यंत्रणा स्वभाविक है या अत्यधिक?
ये कुछ ऐसे लक्षण हैं जिनसे आपको यह पता चल सकता है कि कहीं आपकी उत्कंठा या मानसिक यंत्रणा अत्यधिक तो नहीं।
गर्भवती या प्रसूति महिलाएं अत्यधिक रूप से उत्कंठित होने से स्वयं को कैसे रोक सकती हैं?
इसके चार उपाय हैं – साझा करना, योजना बनाना, उत्कंठा बढ़ाने वाले विचारों को कम करना और शांत रहने के तरीके
A. साझा करना
1. अपने धात्रीविद या पारिवारिक डॉक्टर या ए एन एम (या आशा कार्यकर्ता) के नियमित संपर्क में रहें। उनसे यह जान लें कि अत्यधिक उत्कंठा या चिंता होने की स्थिति में आप उनसे कैसे संपर्क कर सकती हैं। पता लगाएं कि क्या अस्पताल या क्लिनिक का ऐसा कोई नंबर है जिसपर आप फोन कर सकती हैं।
2. अपने दिन को चार हिस्सों में बाँट लें – आराम, शौक, काम और व्यायाम। इन चारों को समान समय देते हुए अपने लिए एक दिनचर्या बना लें।
3. विच्छिन्न न रहें और दोस्तों एवं परिवार से फोन एवं विडियो कॉल के माध्यम से जुड़े रहें।
4. सोशल मिडिया और टीवी की विचलित करने वाली खबरों से दूर रहें और अपने दोस्तों एवं परिवारजनों से अनुरोध करें कि वे आपको ऐसे नकारात्मक मैसेज न भेजें। जरूरत पड़ने पर ऐसे ग्रुप से निकल जाएं जहां ऐसी खबरें बहुत ज्यादा शेयर की जा रही हैं।
5. सामाजिक दूरी के चलते गोदभराई जैसी रस्मों का पालन करना मुश्किल हो सकता है और यह आपको निराश कर सकता है। आप घर के सदस्यों के साथ मिलकर एक छोटा और अनोखा उत्सव आयोजित कर सकती हैं और अपनी खुशी दूसरों के साथ तस्वीरों के माध्यम से बांट सकती हैं।
B. योजना एवं तैयारी – संभावनाओं के लिए तैयार रहना उत्कंठा को नियंत्रण में रखने का एक अच्छा उपाय है। हालांकि हर संभावना का आंकलन पहले से नहीं किया सकता है मगर आपातकालीन स्थिति में अस्पताल जाने के बारे में आप अपनी योजना बना सकती हैं।
6. एम्बुलेंस सेवाओं, अपने दो या तीन दोस्तों और अपने परिवार के सदस्यों के फोन नंबर संभाल कर रखें और उन्हें सूचित करे दें कि आपको उनकी मदद की आवश्यकता पड़ सकती है।
7. अपने एंटी नेटल कार्ड को स्कैन कर इसकी एक कॉपी आपके अस्पताल या आपके डॉक्टर के फोन नंबर के साथ अपने करीबी दोस्तों या परिवार के साथ साझा करें ताकि जरूरत पड़ने पर वे आपके पास अस्पताल पहुंच सकें। कर्फ्यू या लॉकडाउन जारी रहने की अवस्था में उन्हें यह दस्तावेज़ सबूत के तौर पर पुलिस को दिखाने की आवश्यकता पड़ सकती है।
8. बच्चे के जन्म के बाद शिशु रोग विशेषज्ञ का फोन नंबर अपने पास रखें। टीकाकरण को लेकर क्या करना है इस बारे में उनसे बात करें।
C. उत्कंठा बढ़ाने वाले विचारों को कम करना
चिंता को आप कैसे कम कर सकती हैं?
सकारात्मक उपाय:
D. शांत रहना और मनन - शांत रहने के तरीकों की खोज करें – योग, ध्यान, प्राणायाम, मनन। आपको किसी विशेष उपकरण की आवश्यकता नहीं है और न ही आदर्श या बाधा रहित समय या स्थान को लेकर परेशान हों।
परिवार के लोग गर्भवती या प्रसूति महिलाओं की मदद कैसे कर सकते हैं?
स्रोत-
ध्यान दें – यह शैक्षिक सामग्री है, चिकित्सकीय सलाह नहीं है। यदि आपको मदद की जरूरत है तो कृपया अपने प्रसूति विशेषज्ञ या मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से संपर्क करें।
पेरिनेटल मेंटल हेल्थ सर्विसेज, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेस, बैंगलोर, भारत द्वारा 27 मार्च, 2020 को तैयार किया गया है।
NIMHANS Perinatal Mental Health Helpline – 8105711277