गर्भावस्था से जुड़े मिथक और तथ्य

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गर्भावस्था और प्रसव पश्चात संबंधित कई पद्दतियाँ हैं जिनमें से कईं हानिरहित हैं और परंपरागत अनुसरण किए जा रहे हैं. कुछ पद्दतियाँ जैसे- ‘नई माँ को आराम देना’, ‘शिशु को मालिश’ वैज्ञानिक दृष्टि से भी माँ एवं शिशु के स्वास्थ्य के लिए अच्छा है.

हालांकि, किसी भी पद्दति का हद से ज़्यादा पालन करना हानिकारक हो सकता है.

मिथक: प्रसवोत्तर पानी ज़्यादा पीना हानिकारक है.

तथ्य: कब्ज से बचने के लिए और बवासीर को रोकने के लिए प्रसवोत्तर अवधि में शरीर को पानी की जरूरत है. स्तन्यस्त्रवण बेहतर करता है. शरीर में पानी की कमी के कारण गंभीर न्यूरोलॉजिकल समस्या हो सकती है जिससे मनोविकृति भी हो सकती है.

मिथक: महिलाओं को दो लोगों के लिए पर्याप्त है भोजन खाना चाहिए.

तथ्य: कुछ महिलाओं का मानना है ये कथन उन नई माताओं के लिए है जिन्हें भूख ज़्यादा लगती है. विशेषज्ञों का कहना है कि माँ को संतुलित आहार लेना चाहिए और पर्याप्त व्यायाम करना चाहिए ताकि वजन न बढ़े, जिससे स्वास्थ्य में समस्याएँ आती हैं.

मिथक: ऐसे भोजन का सेवन करना चाहिए जो सफ़ेद रंग का हो और फीका हो, क्योंकि गहरे रंग का भोजन बच्चे की त्वचा के रंग को प्रभावित कर सकता है.

तथ्य: भोजन के रंग से बच्चे की त्वचा के रंग का कोई वास्ता नहीं है. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि अधिक मसालेदार भोजन के सेवन से एसिडिटि हो सकती है.

मिथक: कुछ संस्कृतियों में, प्रसव के बाद महिलाओं को पान के पत्ते और चूना (चूना पत्थर) खाने को देते हैं.

तथ्य: चूने में कैल्शियम होता है जो माँ के स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है, इसे कम मात्रा में दी जाए, तो यह एक अच्छा अभ्यास है.

मिथक: गर्भवती महिलाओं को शाम को 6 बजे के बाद बाहर जाने से बचना चाहिए क्योंकि दुष्ट आत्माएँ माँ और बच्चे को धर सकती हैं.

तथ्य: इस बयान के समर्थन में कोई वैज्ञानिक सबूत नहीं है.

मिथक: कहा जाता है कि गर्भावस्था के सातवें महीने में गोद भराई की रस्म बच्चे की सुनने की शक्ति बेहतर होती है.

मिथक: गोद भराई के दौरान माँ को कांच की चूड़ियाँ पहनाई जाती हैं जो बच्चे की सजगता को बेहतर करता है.

तथ्य: गोद भराई की रस्म और बच्चे के स्वास्थ्य के बीच संबंधों को साबित करने के लिए कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. ये रिवाज़ माँ को खुश रखने और उसको अच्छा महसूस कराने के लिए किया जाता है.

मिथक: सिर पर स्कार्फ बाँधने से इन्फ़ेक्शन होने से रोका जा सकता है, और बेल्ट बाँधने से पेट को लटकने से रोक सकते हैं.

तथ्य: सिर पर कसकर स्कार्फ बांधने से गर्दन के पास रक्त परिसंचरण में बाधा आ सकती है जो खतरनाक हो सकता है. बेल्ट बाँधना श्रोणी की मांसपेशियों की टोनिंग में सहायक नहीं होगा. पेल्विक फ्लोर व्यायाम और केगेल व्यायाम (http://www.mayoclinic.org/healthy-lifestyle/womens-health/in-depth/kegel-exercises/art-20045283) पेल्विक फ्लोर मांसपेशियों की टोनिंग करने में सहायक हो सकते हैं.

गर्भावस्था के दौरान किसी भी रीति रिवाज़ का पालन करने से पहले अपने स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श करें, विशेषकर जो स्वास्थ्य से संबंधित हो.  

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