मानसिक स्वास्थ्य की खाई को भरना

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विख्यात उड़िया लेखिका सुष्मिता बागची का नवीनतम उपन्यास, बीनीथ अ रफर सी, जो अंग्रेजी भाषा में उनका पहला उपन्यास है, यह मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र की पुस्तकों के बीच एक ताज़ा और महत्वपूर्ण उपन्यास है। मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में हमारे समाज के मध्य एक गहरी खाई नजर आती है। यह खाई कलंक की इन दीवारों को नजरअंदाज करने वाला गड्ढा है। देखभाल की आवश्यकता वाले मरीजों और पेशेवरों के संचालित की जाने वाली जगहों के बीच खाई को भरने के लिए ज्ञान के बेहतर संचार और प्रसार की आवश्यकता है। पिछले दशक में कुछ ऐसी रिपोर्ट्स, विषय और विवरण हैं जो पीड़ित और उनकी देखभाल करने वालों के संघर्ष को दर्शाते हैं। फिर भी, इस त्रिकोण का तीसरा बिंदु - मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल करने वाले पेशेवर – इस परिधि से बाहर रहते हैं। मनोचिकित्सकों और अन्य पेशेवरों, जिन पर समाज आसानी से दोषारोपण कर देता है, उनकी कहानियों का वर्णन न करें।

बीनीथ अ रफर सी, एक मनोचिकित्सक, आदित्य की कहानी है। उपन्यास, आदित्य के मेडिकल मामलों में कुशलतापूर्ण कार्य के माध्यम से कथा को आगे बढ़ाता है। यह देखते हुए कि यह मस्तिष्क फैला देने वाला है और उपन्यास का कथानक प्रत्येक मामले के साथ बदल जाता है, तो इसका विस्तृत सारांश इसे बिगाड़नेवाला ही साबित होगा। प्राथमिक कहानी इस प्रकार है कि : आदित्य बेंगलुरु में निजी प्रैक्टिस करने वाला एक सफल डॉक्टर है। जब वह एक मेडिकल छात्र था, तो आदित्य की दीपा के साथ भावनाएं जुड़ गई थीं। दीपा ने नरेन से शादी कर ली और वे लंदन चले गए। अचानक नरेन का निधन हो गया। उनके छोटे बेटे राज पर पिता की मृत्यु का गहरा असर हुआ। दीपा और राज बेंगलुरु लौट आए और आदित्य ने राज का इलाज किया। राज ठीक हो जाता है और दीपा लंदन लौट जाती है। इस सबके बाद, आदित्य खोने का गम और कमी महसूस करना शुरू कर देता है। क्या आदित्य ठीक हो सकता है? वह क्या करता है?

लेखन की ताकत इसकी सादगी और पारदर्शिता में निहित है। यह स्पष्ट है कि भाषा को आसान बनाना कड़ी मेहनत का काम है। बागची ने जिन भी मामलों को दर्शाया, उन सभी के लक्षणों, निदान और सामाजिक पहलुओं पर उन्होंने व्यापक शोध किया होगा। हालांकि मामले जटिल हैं और कहानी के चरित्र की दुनिया को प्रभावित करते हैं, लेकिन पाठकों को ये मामले भाव विह्वल नहीं होने देते हैं। पाठक कथात्मक के खिंचाव से जानना चाहता है कि उन चरित्रों के साथ क्या हुआ और उनके इतिहास का समाधान खोजते हैं।

मामलों की श्रेणी में विविधता है। जिस समय तनुश्री स्वप्न लोक में रहती है, सतीश अपनी महिलागुरू मां के उन्माद को ठीक करने के उपचार से होने वाली हानि पर पछतावा करता है। दास शानदार मामलों में से एक हैं, जो न सिर्फ अपने जीवन का प्रबंधन करता है, बल्कि सख्त चिकित्सा पद्धति का पालन करके एक मानसिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता के रूप में उनका काम करता है। अली का मामला हल नहीं होता है क्योंकि वह बीच में ही उपचार छोड़ देता है। स्मिता के पिता की हालत बिगड़ जाती है, क्योंकि उनके देखभाल करने वाले उपचार प्रक्रिया से सहयोग नहीं करते हैं और डॉक्टर की सलाह नहीं सुनते हैं। उपन्यास के माध्यम से बागची तलवार की धार पर चलती हैं, जैसे एक मनोचिकित्सक दैनिक जीवन में चलता है। वह उपन्यास को मानसिक स्वास्थ्य पेशे के संतुलित चित्रण के साथ खत्म करती हैं। इस बीच जो कुछ आता है वह है हर मनोचिकित्सक की लड़ाई, जो वह दुनिया को स्थिर बुद्धि रखने के लिए अकेले लड़ता है। चरित्रों के बीच के संवाद, जो अस्वाभाविक नहीं लगते, इनके जरिए वह इस बात पर प्रकाश डालती हैं कि मरीजों और देखभाल करने वालों को अपनी उल्टी-पुल्टी जिंदगी को संभालने, निर्णय लेने और मानसिक स्वास्थ्य पर चढ़े कलंक के आवरण को तोड़ने में सक्षम होना चाहिए।

कथानक का एक दूसरा खिंचाव: अब आदित्य सफल है, उसे आगे क्या करना चाहिए? वह प्राची से शादी कर चुका है, जो खुद भी डॉक्टर है। वह चाहती है कि आदित्य अपने काम का विस्तार करे, एक संस्थान की स्थापना करे, और अधिक डॉक्टरों एवं विशेषज्ञों को रोजगार दे। आदित्य झिझकता है और यह सवाल तक करता है कि क्यों प्राची और दास उसके बारे में इकने महत्वाकांक्षी हैं। यह सवाल देश में मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सा जगत के दिल में दुबका हुआ है, कि इस क्षेत्र में हमारे पास इतने कम विशेषज्ञ हैं और इस तरह के मुद्दे और मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, हम एक समाज के रूप में, इस क्षेत्र की चुनौतियों का सामना कैसे कर सकते हैं?

बीनीथ अ रफर सी, एक गंभीर बेंगलुरु उपन्यास है। यह मामूली रूप से एकतरफा है, लेकिन यह विभिन्न समुदायों का स्वस्थ प्रतिनिधित्व करता है: ओडिया, बंगाली, मलयाली और धार्मिक अल्पसंख्यक। कोरमंगला और बुल मंदिर सड़क जैसे परिचित स्थानों में होने वाली कहानी को ध्यान में रखते हुए यह स्फूर्ति देने वाला। इस समय यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि केवल हमारे ग्रामीण ही नहीं, यहां तक ​​कि शहरी संवादों में भी संकोच आ रहा है। शैली और भाषा के संदर्भ में उपन्यास काफी अच्छा है। हालांकि इसे संक्षेप करने के बजाय मैं दीपा के पुनः रचित जर्नल में झांकना चाहता था। मुझे लगता है कि यह कथा के लिए एक दिलचस्प पटल पैदा करेगा। कुल मिलाकर, बीनीथ अ रफर सी, एक बहादुरी भरा प्रयास है और बागची को नायकों की विशेषता और उन पर एक उपन्यास का आधार प्रदान करके समाज में मनोवैज्ञानिक देखभाल के अनकहे पक्ष को प्रकाश में लाने के लिए श्रेय दिया जाना चाहिए।

  • अमनदीप संधू, सेपिया लीव्स का लेखक हैं।

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