ज्ञानात्मक व्यवहार उपचार
लोगों की संवेदनात्मक प्रतिक्रियाएं और व्यवहार मुख्य रुप से उनके विचार, विश्वास और उनके द्वारा दैनिक जीवन में घटित होने वाली घटनाओं को लेकर उनकी सोच पर निर्भर करती हैं। इस प्रकार से, लोग जो भी सोचते हैं, इससे उनकी अनुभूति पर प्रभाव पड़ता है और यह उनके व्यवहार पर असर ड़ालता है।
जब लोग तनाव में होते हैं, तब उनके क्रिया कलाप बहुत सही नही होते और उनके विचार भी अवास्तविक हो सकते हैं। इसके कारण उनका व्यवहार बदल सकता है और इसके चलते व्यावसायिक और व्यक्तिगत जीवन और संबंधों पर प्रभाव पड़ता है।
उदाहरण के लिये, अवसाद से ग्रसित व्यक्तियों के विचार और विश्वास स्वयं को लेकर पूरी तरह से अलग होंगे, दूसरों को लेकर भी और विश्व को लेकर भी उनके विचार अलग होंगे। इन गलत विचारों और विश्वासों को सही करने से, व्यक्ति की संवेदनात्मक स्थिति में विकास होता है और वे विश्व को भी अलग नज़रिये से देखना शुरु कर देते हैं।
ज्ञानात्मक व्यवहार उपचार (सीबीटी) क्या है?
ज्ञानात्मक व्यवहार उपचार एक सर्वाधिक अनुसंधान किया गया और सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला मानसिक उपचार का तरीका है। यह एक ढांचागत और लक्ष्य प्राप्ति संबंधी विचार होता है जिसे अनेक प्रकार के संवेदनात्मक, व्यवहारात्मक और मानसिक समस्याओं के उपचार के लिये इस्तेमाल किया जाता है। कुछ समस्याओं के लिये, जैसे व्यग्रता और अवसाद, सीबिटी किसी दवाई के समान होता है और यह दवाईयों के प्रभाव को भी बढ़ा सकता है।
सीबीटी किसी भी व्यक्ति में समस्याओं को पहचानने में मदद करता है और उसके व्यवहार के प्रकारों से समस्या के कारण तक पहुंचना आसान हो जाता है। उपचारकर्ता व्यक्ति के साथ काम करते हैं और उन्हे कुछ कौशल और आदतें अपनाने में मदद करते हैं, जो निर्माणात्मक होती हैं और उनके कारण जीवन की विविध स्थितियों का सामना करने में उन्हे मदद मिलती है। सीबीटी का प्रभाव दीर्घगामी होता है और इसे जीवन की अन्य समस्याओं को सुलझाने के लिये भी काम में लिया जा सकता है।
विविध मानसिक और मन:शास्त्र से संबंधित समस्याओं पर सीबीटी का प्रभाव
सीबीटी को एक प्रभावी उपचार के रुप में लिया जाता है और अनेक प्रकार की समस्याओं का समाधान इससे किया जाता है जिसमें शामिल है:
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मानसिक समस्याएं जैसे अवसाद, व्यग्रता संबंधी समस्या, भोजन संबंधी समस्या, विशिष्ट शोषण और व्यक्तित्व संबंधी समस्याएं।
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टिप्पणी: बायपोलर समस्या और सीजोफ्रीनिया में, सीबीटी और दवाईयां एक साथ ली जाती है।
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मेडिकल बीमारी जिसमें मानसिक समस्याएं भी शामिल होती है – मेडिकल स्थिति जिसमें असाध्य या अत्यंत अधिक दर्द होता है, अत्यंत थकान होने की स्थिति, मासिक से पूर्व की समस्या, मस्तिष्क में चोट, मोटापा, सदमा या इसी प्रकार की समस्याएं।
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मानसिक समस्याएं जैसे गुस्सा, व्यग्रता, संबंधों में समस्याएं, जुआ आदि।
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बच्चों में व्यग्रता संबंधी समस्याएं या उनमें अवसाद, व्यवहारगत समस्याएं आदि
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अन्य समस्याएं जैसे तनाव, व्यग्रता, स्वाभिमान की कमी, नींद संबंधी समस्याएं, दुख और क्लेश, काम संबंधी समस्याएं और वृद्धत्व संबंधी समस्याएं आदि।
सीबीटी के क्या लाभ हैं?
सीबीटी एक बातचीत से किया जाने वाला उपचार है जिसमें उपचारकर्ता व्यक्ति को ज्ञानात्मक, व्यवहारगत और संवेदनात्मक नियंत्रण के कौशल सिखाते हैं जिससे वे अपने जीवन में आने वाली स्थितियों से ज्यादा बेहतर और सही तरीके से निपट सकते हैं।
सीबीटी के कुछ लाभों में शामिल है:
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व्यक्ति अपने विचारों, अनुभूतियों और संवेदनाओं को लेकर खुलकर बात कर सकता है।
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सीबीटी किसी भी अन्य मानसिक उपचार के समकक्ष है जिसे रोगी द्वारा प्राप्त किया जाता है जैसे दवाईयां या सहायक सलाह।
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व्यक्ति स्वयं भी सक्रिय रुप से उपचार में शामिल होता है और इस कारण उन्हे इसे जारी रखने की प्रेरणा मिलती है। उन्हे अपना काम पूरा करना होता है और सीखी हुई बातों का अभ्यास भी करना होता है।
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सीबीटी लोचनीय होती है और इसे किसी भी गंभीर समस्या और व्यक्ति की उपचार को अपनाने की क्षमता पर इस्तेमाल किया जा सकता है।
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व्यक्ति इस सीखने की स्थिति को जीवन की विविध स्थितियों में इस्तेमाल कर सकते हैं, भले ही उनका इलाज पूरा हो चुका हो।
सीबिटी के लक्ष्य क्या है?
सीबीटी एक सक्रिय और लक्ष्य अधारित उपचार है जो व्यक्तियों को निम्न कौशल सीखने में मदद करती है:
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अपनी संवेदनाओं का आकलन करना जो कि स्वस्थ और अस्वस्थ अनुभूतियों के मध्य की स्थिति है।
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आत्म जागरण और संवेदनात्मक नियमितता को बढ़ाना
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यह समझना कि कैसे गलत मान्यता और विचार मिलकर दर्दनाक सोच में योगदान देते हैं।
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कुछ विशेष तकनीकों को सीखना और नकारात्मक विचारों को अधिक सकारात्मक और निर्माणात्मक विचारों में बदलना।
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तनाव का कारण बनने वाले कारण और लक्षणों को कम करना और इसके लिये वर्तमान स्थिति की समीक्षा करना और समस्याओं को सुलझाना।
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यह विशिष्ट विचार बदलना कि समस्या का स्रोत कोई विशेष तथ्य है और इस प्रकार से संवेदनात्मक तनाव की स्थिति से बाहर आना।
सीबीटी कैसे काम करता है?
सीबीटी का प्रमुख उद्देश है व्यक्ति को उसके अस्वास्थ्यकर प्रकार के विचारों को बदलकर उसके स्थान पर निर्माणात्मक और स्वस्थ विचारों को रखना होता है।
थैरेपिस्ट द्वारा व्यक्ति का परीक्षण कर उन्हे उनके अनुमान, तार्किकता, विश्वास और किसी भी जानकारी की प्रक्रिया कैसे करना, इस संबंध में मदद की जाती है और आगे स्वचलित नकारात्मक विचार के रुप में आने से रोककर विश्व और भविष्य के बारे में सही विचार करना सिखाया जाता है। अतार्किक विचार उनके अस्तित्व के साथ ही वैचारिक प्रकारों के रुप में पहचान लिये जाते हैं। उदाहरण के लिये, अवसाद से ग्रस्त लोगों यह बताया जाता है कि वे किस प्रकार से किसी भी स्थिति (चुनिंदा परिस्थिति) में से सामान्य होने के बावजूद उसे व्यक्तिगत रुप देते हुए नकारात्मकता खोजते हैं और यह अनुमान लगाते हैं कि वे ही इस घटना के कारण या केन्द्र में है, वे किसी भी स्थिति को अपने ही कोण से देखते हैं, आत्मालोचना करते हैं आदि।
सीबीटी एक ढांचागत और समय सीमा पर आधारित उपचार है जिसमें निम्न चरणों में उपचार किया जाता है:
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पहले चरण में, थैरेपिस्ट द्वारा विस्तारित आकलन किया जाता है। आपसे अपने पिछले अनुभव और चिकित्सकीय इतिहास के बारे में पूछा जाता है जिससे उन समस्याओं के प्रकारों को बेहतर तरीके से समझा जा सकें जिसके लिये आपका इलाज चल रहा है।
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थैरेपिस्ट द्वारा सीबीटी प्रक्रिया के बारे में बताया जाता है, यह भी बताया जाता है कि इसे क्यों और कैसे इस्तेमाल किया जाए और यह आपको कैसे फायदा कर सकती है।
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थैरेपिस्ट द्वारा इसके बाद यह बताया जाता है कि इस उपचार में कितना समय लगता है, यह विविध कारकों पर निर्भर करता है जैसे समस्या की अज्टिलता, थैरेपिस्ट की इस प्रकार के सत्रों के लिये उपलब्धता, आपकी ओर से सहायता जो कि सहभागिता और दिये गए कार्य को पूरा करने के संबंध में है आदि।
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थैरेपिस्ट द्वारा व्यक्ति को इन लक्षणों के बारे में जानकारी दी जाती है (उदाहरण: व्यग्रता के मानसिक आधार, यह किस प्रकार से गंभीर स्थितियों से अलग है जैसे ह्र्दयाघात, कैसे इन लक्षणों का गलत अर्थ निकाला जाता हैअ आदि)
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थैरेपिस्ट द्वारा उपचार संबंधी नियोजन को लेकर चर्चा की जाती है और प्रगति संबंधी मूल्यांकन किया जाता है जिसमें सही लक्ष्य तय करना और उसके अनुरुप आगे बढ़ना शामिल है।
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एक बार यह प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद, थैरेपिस्ट और व्यक्ति साथ में काम करते हैं और यह देखते हैं कि सोचने संबंधी गलत या नकारात्मक प्रकार कैसे आ रहे हैं और यह आकलन करते हैं कि कैसे यह विचार व्यक्ति के दैनिक जीवन के व्यवहार को प्रभावित करते हैं।
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दोनो साथ मिलकर समस्याओं को पहचानने, लक्ष्य तय करने और इनके वैकल्पिक समाधान निकालने के लिये काम किया जाता है जिसमें संबद्ध जोखिम और लाभ भी शामिल है। व्यक्ति किसी परिस्थिति के उनके वास्तविक जीवन में आने से पूर्व ही उसका अभ्यास कर सकता है। उदाहरण के लिये यदि समस्या गुस्से की है, तब यह आकलन किया जा सकता है कि किस स्थिति में व्यक्ति गुस्सा होता है, इस स्थिति में कैसे सही बुद्धिमानी के साथ प्रतिक्रिया दी जा सकती है और उन तकनीकों को सीखा जा सकता है जिसमें इस प्रकार की समस्या जैसे गुस्सा आदि को कम किया जा सकता है।
थैरेपी के दौरान की गतिविधियां
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थैरेपी के दौरान, व्यक्ति को स्वचलित नकारात्मक विचारों को लेकर जागरुक किया जाता है।
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वे वैकल्पिक विचार करने के तरीके का विकास करते हैं, खासकर निर्माणात्मक और बौद्धिक प्रकार।
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वे जीवन में तनाव पैदा करने वाले कारकों को प्रबन्धित करने का कौशल सीखते हैं।
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वे नकारात्मक विचारों और वे किन स्थितियों में आए हैं, इसकी एक डायरी रखते हैं।
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वे घर पर दिये जाने वाले काम या कोई अभ्यास जिसमें इन शिक्षाओं पर काम दिया जाता है, को पूरा करते हैं।
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थैरेपिस्ट द्वारा नियमित रुप से इन सत्रों का आकलन किया जाता है जिससे यह जांचा जा सके कि व्यक्ति को लाभ हो रहा है या नही और आवश्यकता पड़ने पर इसमें बदलाव भी किये जाते हैं।
वे जानकार जो सीबीटी प्रदान करते हैं
एक कुशल थैरेपिस्ट जो कि मानसि आरोग्य व्यवसायी हो (मानसशास्त्री, मानसिक रोग जानकार, मानसिक रोग परिचारिका, मानसिक स्थिति संबंधी सामाजिक कार्यकर्ता) जिसे सीबीटी के लिये प्रशिक्षित किया गया हो, के द्वारा इस चिकित्सा को दिया जा सकता है। थैरेपिस्ट से अपेक्षा की जाती है कि वे अपने व्यवसाय संबंधी नैतिकता के नियमों का पालन चिकित्सा के दौरान करेंगे।
सीबीटी की अवधि
ज्ञानात्मक उपचार एक अल्पावधि का उपचार है जिसे व्यक्ति की परेशानियों और स्थितियों के अनुरुप दिया जाता है। अधिकांश समस्याओं की अवधि लगभग 5 से 20 सप्ताह तक की होती है। सत्रों की संख्या और उपचार का समय इस बात पर निर्भर करता है कि व्यक्ति स्वयं कितनी सक्रियता से इसमें शामिल होता है जिससे वास्तविक परिणामों को पाया जा सके।