थेरेपी के प्रकार

थेरेपी के प्रकार

साइकोथेरेपी क्या है?

साइकोथेरेपी वैज्ञानिक रूप से परीक्षण की गई प्रक्रियाओं का उपयोग करके किसी व्यक्ति को अपने विचारों और भावनाओं को नियंत्रित करने में मदद करता है और परिस्थिति से निपटने की स्वस्थ आदतों को विकसित करने में मदद करता है। यह काम सहानुभूति जताए बिना और मरीज को लेकर कोई धारणा बनाए बिना करना होता है ताकि वे अपनी समस्याओं के बारे में खुलकर बात कर सकें एवं कैसा महसूस कर रहे हैं यह बता सकें। इससे उन्हें बुरे विचार और व्यवहारों से उबरने में मदद मिलती है।

साइकोथेरेपी के विभिन्न प्रकार क्या हैं?

व्यवहार थेरेपी: व्यवहार थेरेपी एक व्यवस्थित दृष्टिकोण का उपयोग करती है जिससे मरीज को अपने व्यवहार के तौर-तरीकों को बेहतर बनाने में मदद मिलती है और वे स्थितियों के अनुरूप उचित व्यवहार कर पाते हैं। इस थेरेपी में मरीजों के विचार और व्यवहार को समझने पर ध्यान दिया जाता है, मरीजों के बर्ताव के नकारात्मक पहलुओं की पहचान करके उन्हें सकारात्मक तरीकों में बदला जाता है।

संज्ञानात्मक मनोचिकित्सा: संज्ञानात्मक मनोचिकित्सा का उद्देश्य क्रोध, दुख और चिंता उत्पन्न करने वाले गलत धारणाओं और विचारों को सही करना है। यह भावनाओं और विचारों के बीच अंतर करने के लिए पुरस्कार और दंड जैसे सीखने के सिद्धांतों का उपयोग करता है, जिसके चलते मरीज इसे क्रियान्वित करते हैं।

संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (सीबीटी): सीबीटी मनोचिकित्सा का एक अल्पकालिक, व्यवस्थित और लक्षित रूप है जो एक तरह से संज्ञानात्मक और व्यवहार मनोचिकित्सा का मिश्रण है। इसका उद्देश्य विचारों, भावनाओं और विश्वासों के तरीकों को बदलकर व्यक्ति के दृष्टिकोण और व्यवहार को बदलना है। सीबीटी के बारे में और पढ़ें।

इंटरपर्सनल थेरेपी (आईपीटी): आईपीटी चिकित्सा का एक व्यवस्थित रूप है जो व्यक्ति को अपने पारस्परिक संबंधों को बेहतर बनाने में मदद करता है। उपचार में दुख या शोक, रोजमर्रा के जीवन में अपनी भूमिका को लेकर उत्पन्न समस्याएं और उसमें बदलाव पर काम करना शामिल है।

साइकोडायनेमिक थेरेपी: इसे अंतर्दृष्टि-उन्मुख थेरेपी के रूप में भी जाना जाता है जो व्यक्ति के व्यवहार के माध्यम से प्रत्यक्ष होने वाले अवचेतन विचार प्रक्रियाओं पर केंद्रित होता है। इसका उद्देश्य व्यक्ति को आत्म-जागरूक बनाना है एवं उन्हें अंतर्दृष्टि प्राप्त करने में मदद करना है ताकि उन्हें पता चले कि अतीत की घटनाएं उनके वर्तमान व्यवहार को कैसे प्रभावित कर रही हैं।

पारिवारिक थेरेपी: पारिवारिक थेरेपी में थेरेपिस्ट उन रिश्तों और अतीत की घटनाओं का मूल्यांकन करता है जिनके कारण भावनात्मक समस्याएं हो रही हैं। इस थेरेपी में परिवार के आपसी संवाद न होने की बारीकियों की पहचान की जाती है। इसके बाद परिवार को सिखाया जाता है कि कैसे समानुभूति के साथ मरीज की बात सुनें, सवाल पूछें और क्रोध या प्रत्युत्तर से बचते हुए उनके सवालों के जवाब किस तरह से दें। पारिवारिक थेरेपी के बारे में और पढ़ें।

डायलेक्टिकल बिहेवियर थेरेपी (डीबीटी): डीबीटी व्यवहार चिकित्सा का एक संशोधित रूप है। इसका उद्देश्य किसी व्यक्ति को अपनी भावनाओं को आत्म-नियंत्रित करने का तरीका सिखाकर जीवन जीने में मदद करना है। इस प्रक्रिया में मरीजों की समस्याओं को हल करने के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया जाता है। इस थेरेपी में समस्याओं के कारगर इलाज के लिए मरीजों को सक्षम बनाने के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाता है। डीबीटी के बारे में और पढ़ें।

मेंटेलाइजेशन बेस्ड थेरेपी (एमबीटी): एमबीटी अपनी और दूसरों की मानसिक स्थिति की कल्पना पर केंद्रित एवं बातचीत पर आधारित एक प्रकार की थेरेपी है जिसमें चिकित्सक मरीज को अपने विचारों और भावनाओं को जाहिर करने और घटनाओं को विभिन्न दृष्टिकोण से देखने में मदद करता है। इसके आधार पर गैर-मानसिक तौर-तरीकों से चरम सीमा की सोच ( जैसे कि हमेशा, कभी नहीं, केवल) की पहचान भी की जाती है। एमबीटी के बारे में अधिक पढ़ें।

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