आपके जीवन की खुशियाँ निर्भर करती हैं आपके दोस्ती की गुणवत्ता पर- डॉ एडवर्ड हॉफमैन

आपके जीवन में दोस्ती क्या मायने रखता है? क्या कोई है जिसके साथ आप अपना सुख-दुख बाँटते हैं?

आपके जीवन में दोस्ती क्या मायने रखता है? क्या कोई है जिसके साथ आप अपना सुख-दुख बाँटते हैं? क्या आपको यकीन है है कि ये हर परिस्तिथि में आपका साथ देगा न कि सिर्फ़ खुशी में? क्या आप बेशर्तें एक दूसरे पर भरोसा करते हैं या एक दूसरे से अपनी भावनाओं को छुपाते हैं? ऐसे सवाल सिर्फ़ बड़े रोचक व विचार करने लायक हैं क्यों कि मनोविज्ञान के अनुसार इनके जवाब ही हमारे कल्याण और लंबी उम्र के जिम्मेदार हैं.

एरिस्‌टॉटल ने सदियों पहले अपनी पुस्तक ‘निकोमकीयन एथिक्स’ में रिश्ते, नैतिक आचरण और चरित्र गुण के विषय में लिखा था. उनके अनुसार दोस्ती तीन प्रकार की हैं जो उपयोगिता, खुशी और सदाचार पर आधारित हैं लेकिन सदाचार पर आधारित दोस्ती का स्थान सबसे ऊँचा है जिसमें भावनात्मक चिंता और अनुकंपित देखभाल शामिल हैं. ये भावनाएँ मानव की रोज़मर्रा ज़िन्दगी को बहुत प्रभावित करते हैं.

मध्य युग में, रब्बी विद्वान-चिकित्सक मोसस मैमोनीड्स ने एरिस्टॉटल ज़ोर दिया कि के दृष्टिकोण को विस्तृत किया. उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि सभी को अपने जीवनकाल में एक अच्छे दोस्त की ज़रूरत है- सुख-संतोष में, दुख में और बुढ़ापे में सहारा बनकर.

सिग्मंड फ़्रायड वैज्ञानिक व्यक्तित्व पर अध्ययन करते थे लेकिन मित्रता की भूमिका पर, दोस्त बनाने की क्षमता पर कहने के लिये उनके पास कुछ भी नहीं था. परंतु उनके सहयोगी अल्फ्रेड एडलर, ऑस्ट्रियाई सेना चिकित्सक, के पास कहने के लिए काफी था. प्रथम विश्व युद्ध में मानव आक्रामकता के भयानक दृश्य देखने के बाद उन्होंने सामाजिक भावना के प्रभाव पर अवधारणा विकसित की. उन्होंने कहा कि मनुष्य के अंदर प्यार और परवाह की एक सहज क्षमता है जिसका विकास बचपन में ही परिवार के सदस्यों, शिक्षकों आदि द्वारा किया जाना चाहिए.

‘बच्चों और किशोरों में सामाजिक भावना का पोषण कैसे किया जाए’- इस पर लेखन के लिए एडलर ने अंतरराष्ट्रीय यश हासिल की. उनका कहना है कि एक बच्चे की भावनात्मक भलाई के लिए दोस्तों की उपस्तिथि बहुत ज़रूरी है. क्लिनिकल अनुभव के आधार पर उनका कहना है कि जिन युवाओं के मित्र नहीं होते उन्हें मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ घेर सकती हैं जिससे उबरने के लिए पेशेवर मदद की ज़रूरत पड़ सकती है. वे उन्हें सामाजिक कौशल सिखाते हैं. सकारात्मक मनोविज्ञान के नाम से जानी जाने वाली नई विशेषता एडलर का ही प्राथमिक काम है जिसमें उन्होंने परिवार के उपचार और स्कूल मार्गदर्शन से बच्चों में सामाजिक भावना को बढ़ावा दिया जा सकता है.

मैत्री और व्यवहार चिकित्सा

पिछले 30 वर्षों में, व्यवहार अनुसंधान ने हमारे व्यक्तिगत कल्याण और एक विश्वासपात्र की उपस्तिथि के बीच के रिश्ते (लिंक) को स्थापित किया है.

एक करीबी दोस्त हमारे व्यक्तित्व से इतनी अच्छी तरह परिचित होता है जो हमें सहानुभूति और मार्गदर्शन दोनों प्राप्त करने के लिए सक्षम बनाता है क्योंकि उसे हमारी खुशी की परवाह है. इससे हमारे दैनिक जीवन में तनाव कम होता है. इतनी तेज़ गति से बढ़ते हुए समाज में तनाव के कम होने की संभावना बहुत कम है, इसलिए हमारे भले के लिए एक विश्वसनीय मित्र का होना ज़रूरी है.

एक विश्वासपात्र रिश्ते को बनाए रखने के लिए 6 युक्तियाँ:

1. प्रामाणिक होना और अपनी भावनाओं, चिंताओं और परेशानियों को स्पष्ट रूप से बताना.

2. अहंकार से बचें. केवल अपनी ही न कहकर उनकी भी सुनें. यानि एक अच्छे श्रोता भी बनें. अपने विश्वासपात्र के जीवन की घटनाओं में भी दिलचस्पी दिखाएँ.

3. अपने विश्वास्पात्र को हर छोटी-छोटी परेशानी बताकर उन्हें भी परेशान न करें जिससे उन्हें थकान महसूस हो.

4. आभार व्यक्त कीजिए ताकि वह खुद को शोषित न महसूस करे. एक विश्वसनीय आपका चिकित्सक नहीं है जिसे आप फ़ीस देते हैं. कृतज्ञता किसी भी रूप में प्रकट कर सकते हैं.

5. समय-समय पर सीधी प्रतिक्रिया लेते रहें. अपने विश्वास्पात्र से ये पूछने में झिझक न महसूस करें कि उनकी सलाह को मानते हुए आप अपनी गलतियों से सीख रहे हैं या नहीं. उनके जवाब पर अमल करने को भी तैयार रहें.

हर रिश्ते में संतुलन बनाए रखना ज़रूरी है, इसलिए सुख-दुख दोनों बाँटिए. फ़ुर्सत में मौज-मस्ती वाली गतिविधियाँ करें जिससे आप दोनों के जीवन में उत्साह कम न हो.

डॉ एड्वर्ड हॉफ़मन के कॉलम में आप इस ई-मेल पर लिख सकते हैं-columns@whiteswanfoundation.org

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