मानसिक बीमारी से उबरने के बाद काम पर लौटने से पहले किन बातों पर विचार करना चाहिए

मानसिक बीमारी से उबरने के बाद काम पर लौटने से पहले किन बातों पर विचार करना चाहिए

भारत में मानसिक बीमारी वाले लोगों के लिए कार्यस्थलों में अवसरों की काफी कमी है, और हम में से बहुत कम लोग अपने काम को अपनी सुविधा के अनुसार तय कर पाते हैं। लेकिन वे लोग जो समायोजन कर सकते हैं, नौकरी के आवेदन और साक्षात्कार की प्रक्रिया शुरू करने से पहले आप इन बातों पर विचार कर सकते हैं:

• सबसे पहले अपनी मनपसंद कामकाजी शैली को पहचाने: क्या आप एक छोटा संगठन पसंद करेंगे या समूह? या आप एक बड़े संगठन की गुमनामी पसंद करेंगे? क्या आप एक रचनात्मक भूमिका निभाना चाहेंगे? या आप कोई ऐसा काम पसंद करेंगे जिसमें एक तय और नियमित कार्य करना हो? यदि आपको चुनने में मदद चाहिए तो किसी सलाहकार या भरोसेमंद दोस्त से बात करें।

• क्या आप एक ऐसी नौकरी ढूँढ सकते हैं जिसमे आप काम करने के समय को आपकी जरुरत के अनुसार बदल सकते है, और जरुरत होने पर आप खुद के लिए समय निकाल पाएं? ऐसा एक उदाहरण है घर बैठे लेखन की नौकरी जिसमे आप अपनी सुविधा के अनुसार काम कर सकते हैं या फिर फ्रीलांसिंग, जिसमे आपको एक समय पर एक काम करने की आज़ादी होती है।

• ऐसी नौकरी चुनें जिसमें आप पर उतना ही दबाव हो जितनी झेलने की क्षमता आप में हो। यदि आपको लगता है कि आप ऐसा काम नहीं कर पाएंगे जिसमें आपको हर दिन 24 घंटे काम के लिए तैयार रहने की जरुरत हो, तो आपको अपने काम और जीवन के बीच संतुलन को बनाए रखने के लिए सरल विकल्पों को खोजना होगा।

• उन संगठनों में सक्रिय रूप से नौकरी के अवसर को खोजें जो समावेशी हैं। इसका मतलब है किसी स्टार्ट-अप कंपनी, जिसमे अपनी सुविधानुसार समय पर काम करने की अनुमति हो, या सामाजिक क्षेत्र में नौकरी की तलाश करना। आपके लिए ऐसी जगह पर काम करना आसान हो सकता है जहां विविधता पहले से मौजूद है, क्योंकि संभावना है कि प्रबंधन और कर्मचारियों को विशेष जरूरत वाले लोगों के बारे में कुछ जागरूकता हो।

• यदि आपको सच्चाई बताने का अवसर मिले, तो स्पष्ट रूप से बात करें लेकिन सावधानी के साथ, सिर्फ उतनी ही जानकारी दे जितनी आपको ठीक लगे। उन्हें अपने निदान के बारे में पूरी तरह से बताने की बजाय, आप उन्हें बता सकते हैं कि आप एक मुश्किल घड़ी से गुजर रहे हैं और कुछ हफ्तों / महीनों के लिए कुछ विशिष्ट समर्थन की जरुरत हो सकती है। यह उन्हें आपकी सहायता के लिए तैयार होने में मदद करेगा।

• अपने प्रबंधक या सहकर्मियों को यह समझने में सहायता करें कि आपके काम के संदर्भ में आपकी बीमारी का क्या मतलब हो सकता है। आपको किन चुनौतियों या सीमाओं का सामना करना पड़ता है? आपकी टीम से आपको किस विशिष्ट समर्थन की जरुरत है? यह जानकारी आपके प्रबंधक और सहकर्मियों को आपकी बीमारी के अर्थ को लेकर असमंजस में डालने की बजाय एक ठोस विचार प्रदान करती है।

• उन भूमिकाओं की तलाश करें जो आपको कुछ लचीलापन प्रदान करते हैं। अगर जिम्मेदारियों को कम करने या बदलने से आप परिस्थितियों का बेहतर सामना कर पा रहे हैं, तो ऐसा करने से हिचकिचाए नहीं।

• अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल करने में चूक न रखें। रोज व्यायाम करें और ऐसे काम करें जिससे तनाव दूर करने में मदद मिले।

• सबसे जरुरी है नियमित रूप से अपने थेरेपी सत्र में जाना। इससे एक लम्बे समय के बाद काम पर जाने के कारण होने वाले तनाव से उभरने में मदद मिलेगी। यदि संभव हो तो अपने थेरेपी सत्रों के आस-पास अपने कार्यसूची की योजना बनाएं। यदि नहीं, तो अपने चिकित्सक से बात करें और देखें कि आप अपने कार्यसूची को बनाए रखते हुए नियमित रूप से परामर्श कैसे जारी रख सकते हैं।

जब आप नौकरी के इंटरव्यू के लिए तैयारी कर रहे हैं, तो इन बातों का ध्यान रखें:

• इंटरव्यू सिर्फ कंपनी के लिए आपको जानने का माध्यम नहीं है, बल्कि ये आपके लिए भी कंपनी को जानने का अवसर है। आप क्या ढूंढ रहे हैं? ये सुनिश्चित करें कि आप ऐसे प्रश्न पूछें जो आपको यह तय करने में मदद करे कि नौकरी आपके लिए है या नहीं।

• अपनी चुनौतियों को सावधानी और खुलेपन से साझा करें। अपने पिछले योगदानों के बारे में बात करें और अपने साक्षात्कारकर्ता को यह बताएं कि आप अब कैसे योगदान कर सकते हैं।

• अपने परिवार और दोस्तों का समर्थन लें। अपने परिवार में ऐसे किसी को ढूंढें जिसकी मदद आप तब ले सकें जब आप कहीं अटक जाएँ या निराश महसूस करें।

• पहले अवसर पर ही न कूदें। बल्कि, सही अवसर का इंतज़ार करें। प्रस्ताव स्वीकार करने से पहले सारे पहलुओं की जांच कर लें।

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